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झारखंड के तीन मेडिकल कॉलेजों में नामांकन पर नेशनल मेडिकल काउंसिल ने एक सत्र के लिए रोक लगा दी है। एनएमसी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में आश्वासन दिये जाने के बावजूद राज्य सरकार ने पलामू, हजारीबाग और दुमका मेडिकल कॉलेजों में इंफ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था नहीं की और न ही फैकल्टी की कमी को दूर करने के लिए कदम उठाया। एनएमसी की दलील कहीं से भी गलत नहीं है, लेकिन उसे इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए कि इस साल के सात महीने तो कोरोना

साम्य ढूंढे जाने से मिलते हैं और यदि बेरमो तथा दुमका सीट में महागठबंधन और भाजपा के उम्मीदवारों में साम्य ढूंढे जायें, तो कई समानताएं निकलकर सामने आने लगती हैं। दुमका में झामुमो उम्मीदवार बसंत सोरेन और अनुप सिंह में साम्य ये है कि ये दोनों युवा हैं और पहली बार जनता की अदालत में हैं। वहीं भाजपा उम्मीदवार लुइस मरांडी तथा योगेश्वर महतो बाटुल में साम्य यह है कि ये दोनों अपनी सीटों पर एक या अधिक बार जीत का स्वाद चख चुके हैं। दुमका में लुइस एक बार जीत हासिल कर चुकी हैं

झारखंड की बेरमो सीट पर होनेवाले उप चुनाव के प्रचार के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने झारखंड सरकार पर अमर्यादित टिप्पणी कर एक नये विवाद को जन्म दे दिया। इसके जवाब में झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने जोरदार प्रतिवाद कर हथौड़ा मारा। उन्होंने यह संकेत भी दे दिया कि अब इस तरह की टिप्पणी का मुंहतोड़ जवाब दिया जायेगा और इसके लिए पुरजोर तैयारी भी की गयी है। झारखंड में इस प्रकरण के शुरू होने से पहले देश के दूसरे हिस्से में भी राज्य

झारखंड की उप राजधानी दुमका और कोयला क्षेत्र की प्रमुख सीट बेरमो में तीन नवंबर को होनेवाले विधानसभा उप चुनाव के लिए प्रचार अभियान जोरों पर है। इन दोनों सीटों पर मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस और भाजपा के बीच है। कोरोना काल में हो रहे इस चुनाव में प्रचार का तरीका भी बदल गया है। हालांकि राजनीतिक सभाओं की अनुमति दी गयी है, लेकि

बिहार की राजनीति को नजदीक से जानने-समझनेवालों ने आसन्न विधानसभा चुनाव के परिदृश्य में जिस एक नेता को सबसे चौंकानेवाला माना है, वह हैं लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान। पिछले साल लोकसभा के चुनाव के दौरान उन्होंने अपने पिता और बिहार की दलित राजनीति के कद्दावर नेता रामविलास पासवान के साथ मिल कर जो राजनीतिक सौैदेबाजी की, उससे उनके रणनीतिक कौशल का अंदाजा मिल गया था, लेकिन अब बिहार विधानसभा चुनाव में उनके फैसलों से

झारखंड पिछले तीन दिन से गंभीर संकट में फंस गया है। यह संकट भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उसके खाते से 1417.50 करोड़ रुपये काट लेने के कारण पैदा हुआ है। केंद्र सरकार के निर्देश पर की गयी इस एकतरफा कार्रवाई से झारखंड ही नहीं, देश के दूसरे राज्य भी सकते में हैं, क्योंकि इस कार्रवाई ने गलत परंपरा की नींव डाल दी है। देश की आजादी के बाद यह दूसरा मौका है, जब किसी राज्य के खाते से बिना उसकी जानकारी के रकम काट ली गयी है। यह रकम डीवीसी के बकाये की पहली कि

आपका आजाद सिपाही पांच साल का हो गया। पांच साल, यानी एक हजार आठ सौ सत्ताइस दिन। यह आजाद सिपाही का नहीं, आपके भरोसे की सालगिरह है। इसलिए आज दीन-दुनिया से अलग हट कर केवल इसकी ही बात होगी। आज हम राजनीति, अपराध, बिजनेस, खेलकूद और सामाजिक क्षेत्र की खबरों की नहीं, अपने पांच साल के सफर पर बात करेंगे कि कहां से हमने आपके भरोसे की पूंजी के साथ यह सफर शुरू किया था

झारखंड के कोयला क्षेत्र की प्रमुख विधानसभा सीट बेरमो से भाजपा ने अपने पुराने प्रत्याशी योगेश्वर महतो बाटुल को एक बार फिर उतारा है। बाटुल के चुनाव मैदान में उतरने से आगामी तीन नवंबर को होनेवाला उप चुनाव रोचक हो गया है, क्योंकि इस पुराने अनुभवी प्रत्याशी को इस बार युवा और और जोश से लबरेज प्रतिद्वंद्वी से मुकाबला करना है। इस लिहाज से बाटुल के लिए इस बार का चुनाव उनके भविष्य के लिए भी निर्णायक हो गया है। बाटुल एक बार बेरमो विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

झारखंड विधानसभा में कोयला क्षेत्र की महत्वपूर्ण सीट बेरमो में तीन नवंबर को होनेवाले उप चुनाव में सत्तारूढ़ महागठबंधन की ओर से कांग्रेस ने कुमार जयमंगल उर्फ अनुप सिंह को मैदान में उतारा है। यह सीट दिग्गज कांग्रेसी राजेंद्र प्रसाद सिंह के निधन के कारण खाली हुई है। अनुप सिंह राजेंद्र बाबू के बड़े पुत्र होने के साथ-साथ उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी भी हैं।

दुमका के दंगल में उतर कर डॉ लुइस मरांडी ने जिस जोश और उत्साह का मुजाहिरा किया है, वह यह साबित करने के लिए काफी है कि वह यह चुनाव किसी अंडरडॉग की तरह लड़नेवाली नहीं हैं। लेकिन वह जानती हैं कि दुमका का उप चुनाव उनके चार दशक लंबे राजनीतिक कैरियर का संभवत: सबसे कठिन चुनाव साबित होनेवाला है, क्योंकि इस बार उनका मुकाबला एक ऐसे प्रतिद्वंद्वी से है, जिस पर वार करने के लिए उनके तरकश में बहुत अधिक तीर नहीं है। शायद इसलिए उन्होंने नामांक

झारखंड की उप राजधानी दुमका विधानसभा सीट पर तीन नवंबर को होनेवाले उप चुनाव के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार के रूप में बसंत सोरेन ने नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। इसके साथ ही वह अपने पिता शिबू सोरेन और बड़े भाई हेमंत सोरेन की राजनीतिक विरासत को सहेजने के लिए जनता की अदालत में उतर चुके हैं। बसंत सोरेन के लिए प्रत्यक्ष चुनाव का यह पहला अनुभव है, हालांकि इससे पहले वह राज्यसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। दुमका को झामुमो का मजबूत गढ़ माना जाता है। शिबू