रांची: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि विधानसभा गुंडों का अखाड़ा नहीं है। सदन में बुद्धि और मस्तिष्क का टकराव होना चाहिए। झारखंड को कलंकित करने का अधिकार किसी को नहीं है। इस तरह सदन चलेगा, तो झारखंड कलंकित होगा। ऐसी कार्यवाही से झारखंड की सवा तीन करोड़ जनता अधिकार से वंचित हो रही है। विधायकों के निलंबन का फैसला बहुमत से लिया गया है। अगर विधायक अपने किये पर पश्चाताप करने को तैयार हैं, तो निलंबन पर पुनर्विचार किया जा सकता है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास विधानसभा की कार्यवाही के दौरान बोल रहे थे। दरअसल, नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने यह प्रस्ताव लाया था कि विधायकों पर कठोर कार्रवाई की गयी है। विधानसभा इस पर पुनर्विचार करे। इसी पर सीएम राय व्यक्त कर रहे थे।
मर्यादा को लांघना कहीं से भी उचित नहीं है : मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान ने बहुमत को माना है। बहुमत की बात तो सबको माननी पड़ेगी। विपक्ष को अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है, लेकिन किसी को भी लक्ष्मण रेखा नहीं लांघनी चाहिए। इस कारण से झारखंड कलंकित हो रहा है। किसी मुद्दे पर आवेश में आकर मर्यादा को लांघना कहीं से भी उचित नहीं है। सीएम ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण का विरोध हुआ, लेकिन सीमा में रहकर। विधायकों का निलंबन का फैसला सदाचार समिति की अनुंशसा के आलोक में सदन में बहुमत से लिया गया है। यह न स्पीकर का फैसला है और न ही सरकार का। सदाचार समिति ने अनुशंसा की कार्रवाई के पहले तीन-तीन बार बात रखने का मौका संबंधित विधायकों को दिया है। बावजूद इसके संबंधित विधायक अपना पक्ष रखने को तैयार नहीं थे। लोकतंत्र की मर्यादा को बनाये रखना सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी है। सीएम ने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत राज्य को चलाने में विधानसभा की अहम भूमिका होती है। इसकी गरिमा को अक्षुण्ण रखने को लेकर विधायक शपथ भी लेते हैं। लोकतंत्र में मतभेद स्वाभाविक है, लेकिन सीमा में रहकर ही विरोध होना चाहिए।
स्पीकर ने दिया नियमन : स्पीकर ने निलंबन पर विधायक, संसदीय कार्य मंत्री, सीएम, नेता प्रतिपक्ष की राय जानने के बाद कहा कि इसके लिए लिखित आग्रह करें। इसके बाद विधायक दल के नेता, सीएम, संसदीय कार्य मंत्री, राधाकृष्ण किशोर संग बैठक में इस पर निर्णय लिया जायेगा।