रांची। विधानसभा में मंगलवार को वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए कृषि विभाग की 3345 करोड़ रुपये से ज्यादा की अनुदान मांग ध्वनिमत से पारित हुई। विपक्ष के कटौती प्रस्ताव का जवाब देते हुए कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने कहा कि पिछले चार वर्षों में झारखंड ने कृषि के क्षेत्र में ऊंची छलांग लगायी है। कहा कि वर्ष 2014 में राज्य की कृषि विकास दर माइनस 4.5 प्रतिशत थी, जो बढ़ कर 14.5 प्रतिशत हो गयी है। चार वर्षों में कृषि विकास दर में 19 प्रतिशत की छलांग लगानेवाला झारखंड देश का पहला राज्य है। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता गांव, गरीब और किसान हंै। इस क्षेत्र को ध्यान में रख कर ही बजट में राशि का प्रावधान किया गया है। कहा कि सरकार का लक्ष्य 2022 तक किसानों की आय को चार गुणा करना है।
इसको ध्यान में रख कर मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना की शुरुआत की गयी है। इस योजना से किसानों को प्रति एकड़ भूमि पर खेती करने के लिए सरकार पांच हजार रुपये देगी। अधिकतम 25 हजार रुपये सरकार एक किसान को खेती के लिए उनके बैंक खाते में ट्रांसफर करेगी।
कहा कि कांग्रेस पार्टी ने किसानों को कंगाल बना दिया। किसानों की उपज का सही दाम मिले, इसको लेकर राज्य में फूड प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किये जा रहे हैं। एग्रीकल्चर समिट में फूड प्रोसेसिंग प्लांट के लिए 100 से ज्यादा एमओयू हुए हैं। भविष्य में यह किसानों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। कहा कि पूर्व की सरकार वर्ष में 200 तालाबों का जीर्णोद्धार करती थी, वर्तमान सरकार हर वर्ष 2000 तालाबों का जीर्णोद्धार करवा रही है। उन्होंने कहा कि जलनिधि योजना के तहत इस बार डीप बोरिंग के लिए 150 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
इसी तरह सुजलाम सुफलाम योजना के माध्यम से पांच हजार तालाबों का जीर्णोद्धार होना है। तालाबों की खुदाई के लिए 110 करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में किया गया है। 21 हजार से ज्यादा किसानों को स्मार्ट फोन दिया जा रहा है। टपक सिंचाई योजना के लिए 50 करोड़ की व्यवस्था की गयी है।
इस योजना से कम पानी में खेती का काम होगा। कहा कि सरकार ने दो लाख 25 हजार मैट्रिक तन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा है। 14 कोल्ड स्टोरेज का काम चालू है। सरकार ने 100 कोल्ड रम बनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि किसानों की बीमा प्रीमियम की राशि का भुगतान सरकार कर रही है और इसके लिए 150 करोड़ रुपये का प्रावधान है।
कर्ज लेकर घी पी रही है सरकार : प्रदीप यादव
कृषि विभाग की अनुदान मांग पर कटौती प्रस्ताव लाते हुए झाविमो विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि सरकार कर्ज लेकर घी पी रही है। उन्होंने कहा कि इस राज्य का जितना बड़ा बजट है, उतना ही कर्ज भी है। सरकार ने 85 हजार 429 करोड़ का बजट लाया है और वर्ष 2018 तक कर्ज भी 85 हजार 234 करोड़ रुपये है। झारखंड के प्रत्येक व्यक्ति पर 26 हजार का कर्ज है। कहा कि किसानों का कर्ज माफ होना चाहिए।
पांच हजार का झुनझुना पकड़ाने से किसानों का भला नहीं होनेवाला है। कहा कि सरकार ने अपनी चहेती कंपनी को बीमा का काम दिया है। किसानों को बीमा की राशि नहीं मिल रही है। 2016 से 2018 तक में बीमा कंपनी को 600 करोड़ का भुगतान किया गया, लेकिन किसानों को इसका फायदा नहीं मिला। कहा कि सरकार को किसानों के दर्द से कोई मतलब नहीं है। सुखाड़ के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुई है। 129 सुखाड़ प्रखंडों के किसानों को आजीविका के लिए राशि नहीं मिली। उन्होंने कहा कि सिंचाई के क्षेत्र में जो योजनाएं लाभकारी नहीं हैं, उनमें पैसा झोंका जा रहा है। मत्स्य पालकों से 27 रुपये लीटर दूध लेकर 42 रुपये बेचा जा रहा है।
पारा शिक्षकों की गैर पारा कोटि में 31 मार्च तक नियुक्ति का निर्देश
रांची। झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष दिनेश उरांव ने मानव संसाधन विकास विभाग को अनारक्षित कोटि के अभ्यर्थियों की नियुक्ति मामले में 31 मार्च तक समाधान निकालने का निर्देश दिया है। इसके पूर्व प्रभारी शिक्षा मंत्री लुइस मरांडी ने मंगलवार को विधानसभा में प्रश्नोत्तर काल के दौरान बताया कि झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के बाद नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने को लेकर अदालत से चार महीने अतिरिक्त समय की मांग की गयी है। मरांडी मासस के अरूप चटर्जी के एक अल्पसूचित प्रश्न का उत्तर दे रही थीं। उन्होंने बताया कि जल्द ही नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी। इस मामले में संसदीय कार्यमंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सरकार नियुक्ति के लिए तैयार है और यह प्रक्रियाधीन है। उन्होंने कहा कि सरकार अदालत के आदेश का पालन करेगी। मंत्री ने स्वीकार किया कि राज्य के इंटर प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्ति वर्ष 2015-16 में 50 प्रतिशत आरक्षण का लाभ न लेकर योग्यता और अहर्ता के आधार पर अनारक्षित कोटि के अभ्यर्थियों ने आवेदन दिया था। उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश को लागू करने के लिए आवश्यक औपचारिकताएं प्रक्रियाधीन हैं। मामले में अरूप चटर्जी यह जानना चाह रहे थे कि विभाग ने अब तक जिलों को नियुक्ति का निर्देश क्यों नहीं दिया। मंत्री ने बताया कि नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन में पारा शिक्षकों के लिए 25 फीसदी सीटें आरक्षित रखी गयी थीं, परंतु सामान्य वर्ग की सीटें बचे रह जाने के कारण उन पर योग्य पारा शिक्षकों की नियुक्ति के संबंध में न्यायादेश का अक्षरश: पालन किया जायेगा।