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    Home»Breaking News»आजादी के बाद पहली बार झारखंड के शहीदों का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा:सीएम
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    आजादी के बाद पहली बार झारखंड के शहीदों का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा:सीएम

    azad sipahiBy azad sipahiJanuary 23, 2019No Comments4 Mins Read
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    रांची। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि इतिहास स्याही से नहीं रक्त से लिखा जाता है। जुल्मी अंग्रेजों एवं मुगलों से मुक्ति दिलाने के लिए हमारे वीर पुरखों ने प्रयास और संघर्ष किया। आज गौरवान्वित हुई इस धरा की माटी, जिससे वीर शहीदों की प्रतिमा को आकार दिया जायेगा। मुख्यमंत्री बुधवार को मोरहाबादी मैदान में झारखंड के वीर शहीदों, स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में पावन मिट्टी संग्रहण कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में वीर शहीदों के गांवों से लायी गयी पावन मिट्टी का संग्रहण किया गया। फिर पदयात्रा कर पावन मिट्टी को बिरसा मुंडा संग्रहालय पहुंचाया गया। पदयात्रा में मुख्यमंत्री समेत शहीदों के गांवों से राज्यभर से आये हजारों लोग शामिल हुए।

    वीर गाथाओं को स्वर्ण अक्षर से विश्व पटल पर अंकित भी करेगी : मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद से राज्य के वीर शहीदों का नाम काली स्याही से मिटाने का प्रयास किया गया, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। राज्य सरकार उनकी प्रतिमा भी बनायेगी और उनकी वीर गाथाओं को स्वर्ण अक्षर से विश्व पटल पर अंकित भी करेगी। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने शहीदों की प्रतिमा निर्माण में उपयोग होनेवाली पावन माटी का विधान से पूजन कर नमन किया। साथ ही आम लोगों के बीच जाकर उनका अभिनंदन किया और शीश नवा कर उनका अभिवादन स्वीकार किया।

    ये बने साक्षी : मंत्री सीपी सिंह, मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, सांसद लक्ष्मण गिलुआ, राज्यसभा सांसद समीर उरांव, मेयर आशा लकड़ा, विधायक हरेकृष्ण सिंह, विधायक शिवशंकर उरांव, विधायक राधाकृष्ण किशोर, विधायक जीतुचरण राम, विधायक गंगोत्री कुजूर, विधायक मेनका सरदार, मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी, वरीय अधिकारी एवं विभिन्न जिलों से आये सैकड़ों लोग इस अद्भुत आयोजन के साक्षी बने।
    पहली बार लाल किला से गूंजा बिरसा आबा का नाम : मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद से पूर्व की केंद्र सरकार और झारखंड नामधारी पार्टियों ने इन वीर शहीदों के नाम पर राजनीति कर मत पेटी और अर्थ पेटी भरने का काम किया। लेकिन पहली बार लाल किला से प्रधानमंत्री ने बिरसा आबा भगवान बिरसा मुंडा को नमन किया। राज्य के वीर शहीदों की प्रतिमा निर्माण के लिए 25 करोड़ की राशि दी, ताकि ऐसे वीर शहीदों की वीर गाथाओं से आनेवाली पीढ़ी प्रेरणा ले सके। राज्य सरकार 1857 में शहीदों की प्रतिमा का भी निर्माण बिरसा मुंडा कारागार स्थित संग्रहालय में करेगी।

    आनेवाली पीढ़ी को अपनी परंपरागत संस्कृति सौंपें
    मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज को विखंडित करने वाली शक्तियां जागृत हैं। आदिवासी समाज को इससे प्रभावित हुए बिना रहना है। अपनी संस्कृति को सम्मान देते हुए बचा कर रखना है, ताकि आने वाली पीढ़ी को आदिवासी समाज परंपरागत संस्कृति सौंप सकें।

    वर्तमान सरकार के रहते कोई आपकी जमीन नहीं छीन सकता : मुख्यमंत्री ने कहा कि संथाल परगना में जन चौपाल के दौरान मैंने पूछा कि क्या सरकार ने आपकी जमीन छीनी, तो एक महिला ने कहा कि नहीं छीनी, लेकिन एक पार्टी के लोगों ने ऐसा कहा था। मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि वर्तमान सरकार के रहते कोई आपकी जमीन नहीं छीन सकता। आदिवासी कल्याण के लिए आदिवासी विकास समिति का गठन किया गया है, जिसके तहत पांच लाख रुपये गांव के विकास के लिए दिये जायेंगे। साथ ही 12 सौ आदिवासी गांवों में पेयजल के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी, ताकि गांव की मां-बहनों को पानी के लिए परेशान न होना पड़े।

    पूजा के बाद निकली पदयात्रा : इस मिट्टी का उपयोग आदिवासी महापुरुषों की ऐतिहासिक प्रतिमा निर्माण में किया जायेगा। राज्य भर से पवित्र सरना स्थलों और शहीदों के जन्मस्थलों की मिट्टी को मोरहाबादी मैदान लाया गया। यहां पाहन द्वारा विधिवत पूजा करने के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में पदयात्रा निकाली गयी। इसके बाद जेल परिसर में मिट्टी अर्पित की गयी।

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