आय से छह लाख 28 हजार रुपये अधिक अर्जित करने का मामला
वरीय संवाददाता
रांची। पूर्व मंत्री बंधु तिर्की पर आय से अधिक संपत्ति मामले में आरोप गठित किया गया है। इससे पहले कोर्ट ने बंधु तिर्की की डिस्चार्ज पिटीशन को खारिज कर दिया। आरोप गठन के समय बंधु तिर्की सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एके मिश्र की कोर्ट में उपस्थित थे। कोर्ट ने उनके खिलाफ लगे आरोप को पढ़ कर सुनाया। बंधु ने अपने खिलाफ लगे आरोप से इंकार किया। मामले में अब 30 जनवरी से गवाही शुरू होगी। सीबीआइ की टीम ने उन्हें बीते दिसंबर माह में उनके बनहौरा स्थित आवास से गिरफ्तार किया था।
अगस्त 2010 में दर्ज हुआ था मामला : सीबीआइ ने बंधु तिर्की के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा एवं अन्य की अवैध संपत्ति से जुड़े मामले में 11 अगस्त 2010 को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी। बंधु तिर्की के खिलाफ आय से छह लाख 28 हजार रुपये अधिक अर्जित करने का आरोप है।
पहले सीबीआइ ने दी थी क्लोजर रिपोर्ट
सीबीआइ ने पूर्व मंत्री बंधु तिर्की के मामले में वर्ष 2013 में सीबीआइ कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी। क्लोजर रिपोर्ट में सीबीआइ द्वारा बताया गया था कि वर्ष 2005-09 तक की अवधि में बंधु ने लोक सेवक के रूप में काम किया था। इस अवधि में सभी स्रोत से उसकी आय 20 लाख रुपये है, जबकि उनकी संपत्ति 26.28 लाख रुपये पायी गयी। आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में राशि कम होने की वजह से सीबीआइ अभियुक्त के खिलाफ मुकदमा चलाने के पक्ष में नहीं है।
सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट को अदालत ने नहीं किया स्वीकार
सीबीआइ कोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश ने सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। साथ ही कहा था कि सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट के अनुसार बंधु के पास अपनी आमदनी के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक राशि है, इसलिए उनके खिलाफ ट्रायल चलेगा। इसके बाद अदालत की ओर से बंधु के खिलाफ समन जारी करते हुए उन्हें न्यायालय में हाजिर होने को कहा गया था। वे उपस्थिति नहीं हुए थे, जिसके बाद सीबीआइ ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इधर बंधु तिर्की ने हाइकोर्ट में अपील दाखिल की है। वह लंबित है। इधर सक्षम न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के आलोक में न्यायिक प्रक्रिया फिर शुरू की।