पूछताछ के लिए 11 जनवरी को दस्तावेज और सबूतों के साथ कोलकाता बुलाया
रांची। टाटा के बाद झारखंड में निजी क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी उषा मार्टिन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अपने इस्पात डिविजन को टाटा के हाथों बेच चुकी इस कंपनी के निदेशकों को कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय ने समन भेजा है। मंत्रालय के तहत कंपनी रजिस्ट्रार कार्यालय से जारी इस समन में कंपनी के प्रबंध निदेशक राजीव झवर और तीन अन्य निदेशकोें को 11 जनवरी को पूछताछ के लिए हाजिर होने के लिए कहा गया है। समन में साफ कहा गया है कि हाजिर होने के बाद वे सहायक कंपनी रजिस्ट्रार के कार्यालय परिसर से बिना अनुमति के बाहर नहीं निकलें। सहायक कंपनी रजिस्ट्रार आइजे पांड्या द्वारा कंपनी कानून की धारा 207 (3) के तहत जारी इस समन (आरओसी/ टीएस/ 207(3)/ 091621 दिनांक 07.01.2019) में कहा गया है कि पूछताछ के लिए हाजिर नहीं होने पर कंपनी कानून की धारा 207(4)(1) के तहत कार्रवाई की जायेगी।
इस पूछताछ के दौरान उषा मार्टिन के निदेशकों को यह बताने को कहा गया है कि कंपनी के इस्पात डिविजन की बिक्री से मिली रकम से कर्ज कैसे चुकाया जायेगा। इसके अलावा वित्तीय गड़बड़ियों समेत कई अन्य शिकायतों के बारे में भी विस्तार से जवाब देने को कहा गया है। ये शिकायतें बसंत कुमार झवर ने की हैं और निदेशालय इसकी जांच कर रहा है।
समन में बसंत कुमार झवर द्वारा की गयी शिकायतों के आधार पर निदेशालय के नोटिस के जवाब में कंपनी ने जो बात कही थी, उनकी विस्तृत जानकारी और दस्तावेजी सबूत भी प्रस्तुत करने को कहा गया है। इन मुद्दों के बारे में पिछले पांच वर्ष के दौरान निदेशक मंडल या आम बैठकों की कार्यसूची, फैसले और कार्यवाही का विवरण भी जमा करने को कहा गया है। कंपनी से उस पर चल रहे तमाम कर्जों, उन्हें लेने के औचित्य, उनके खर्च करने की प्रक्रिया और औचित्य तथा उन्हें चुकाने के तरीकों के बारे में विस्तार से जानकारी भी मांगी गयी है। समन में कहा गया है कि कंपनी ने 2016-17 के दौरान बड़ी मात्रा में 2.49 करोड़ रुपये खर्च कर कंप्यूटर सॉफ्टवेयर खरीदा था। महज एक साल के दौरान 31 मार्च को यह रकम 33.25 करोड़ रुपये हो गयी। इस पूरे सौदे की प्रक्रिया, औचित्य और अन्य मुद्दों से संबंधित दस्तावेज भी लाने को कहा गया है।
समन के अनुसार कंपनी की 31 मार्च 2018 की बैलेंस शीट के अनुसार कंपनी पर 850 करोड़ रुपये की देनदारी है। इस बारे में तमाम सबूत, दस्तावेज और समुचित स्पष्टीकरण भी देने को कहा गया है।
इधर जानकारों के अनुसार उषा मार्टिन को आइसीडी के तहत टाटा स्पौंज से जो दो सौ करोड़ रुपये मिले हैं, उनसे कंपनी के कर्ज को समाप्त नहीं किया जा सकता है। कंपनी पर अकेले भारतीय स्टेट बैंक का 26 सौ करोड़ रुपये का कर्ज है, जबकि झारखंड सरकार ने अवैध खनन के आरोप में कंपनी पर चार सौ करोड़ का जुर्माना लगा रखा है। इसके अलावा करीब 850 करोड़ रुपये उषा मार्टिन को आकस्मिक देनदारों को देना है। कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय को इस बात की चिंता है कि उषा मार्टिन अपने इस्पात डिविजन को बेच कर इतनी देनदारी कैसे चुकायेगी।