विशेष
-अब केवल सचिन पायलट ही बचे कांग्रेस के युवराज की टीम में
-2024 से पहले देश की सबसे पुरानी पार्टी को लगा जोरदार झटका
चुनावी हार और दरकते जनाधार के बीच अब तक सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की वह ‘युवा ब्रिगेड’ एक के बाद एक बिखरती चली जा रही है, जो कभी उनकी खास और पार्टी का भविष्य मानी जाती थी। इस युवा ब्रिगेड से नयी विदाई मिलिंद देवड़ा की है, जो मुंबई में पार्टी के स्तंभ माने जाते थे। मिलिंद देवड़ा का इस्तीफा राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ से ठीक पहले हुआ है और 2024 के चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है। मिलिंद देवड़ा कांग्रेस के उस कद्दावर परिवार से हैं, जिसके मुखिया मुरली देवड़ा को कभी मुंबई में कांग्रेस का पर्याय माना जाता था। वह लगातार 22 साल तक मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष रहे, जो आज तक एक रिकॉर्ड है। उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी मिलिंद देवड़ा ने जब कांग्रेस से अपने परिवार के 55 साल पुराने रिश्ते को खत्म करने का एलान किया, तब कांग्रेस की अंदरूनी कमजोरी और राहुल ब्रिगेड के बिखरने का एहसास हुआ। कुछ दिन पहले ही कांग्रेस ने मिलिंद देवड़ा को पार्टी का संयुक्त कोषाध्यक्ष नियुक्त किया था। राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले प्रमुख युवा नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला मार्च, 2020 में उस समय हुआ, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस को अलविदा कह भाजपा का दामन थाम लिया। नतीजा यह हुआ कि मध्यप्रदेश में 15 साल के बाद बनी कांग्रेस की सरकार 15 महीनों में ही सत्ता से बाहर हो गयी। सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के कुछ महीने बाद ही एक समय ऐसा आया कि सचिन पायलट कांग्रेस से जुदा होने के मुहाने पर खड़े हो गये, हालांकि आलाकमान की दखल और बातचीत के बाद वह पार्टी में रह गये। केंद्र में यूपीए सरकार के समय सिंधिया, पायलट, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह और मिलिंद देवड़ा वे चंद युवा नेता थे, जिन्हें राहुल गांधी की ‘युवा ब्रिगेड’ की संज्ञा दी जाती थी। आज इनमें से केवल पायलट ही कांग्रेस में रह गये हैं। पिछले साल ही महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने कांग्रेस को छोड़ कर तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था। मिलिंद देवड़ा के इस्तीफे की पृष्ठभूमि में राहुल ब्रिगेड के बिखरने के कारणों और इसके असर का विश्लेषण कर रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
एक दौर था, जब राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को युवाओं की पार्टी कहा जाता था। वजह थे राहुल गांधी के साथ जुड़े वे पांच नेता, जो उनकी टीम के अभिन्न अंग माने जाते थे और हर छोटे-बड़े फैसले में गांधी परिवार के साथ रहते थे। इनमें अधिकतर नेता अपने परिवार के कांग्रेस से जुड़ाव के कारण पार्टी में शामिल रहे और राहुल के करीबी बने। हालांकि 2014 में भाजपा के केंद्र में सरकार बनाने और देश की राजनीति में परिवारवाद का मुद्दा उठने के बाद एक-एक कर इन युवा नेताओं ने राहुल से दूरी बना ली है। इनमें सबसे ताजा नाम महाराष्ट्र कांग्रेस के अहम चेहरे और युवा नेता मिलिंद देवड़ा का है, जिन्होंने रविवार को पार्टी से परिवार का 55 साल पुराना नाता खत्म करने का एलान किया।
कुछ वर्ष पहले कांग्रेस के इन युवा रणबांकुरों की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी। यह फोटो 2012 में राष्ट्रपति भवन में हुए एक कार्यक्रम की थी। इस फोटो में कांग्रेस के युवा चेहरों का जुटान था। तस्वीर में सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया, आरपीएन सिंह, मिलिंद देवड़ा और जितिन प्रसाद आपस में बात करते देखे जा सकते हैं। इन चेहरों को एक समय पर राहुल के साथ पार्टी का भविष्य करार दिया जा रहा था। हालांकि ये चेहरे एक-एक कर के पार्टी से अलग हो चुके हैं।
सबसे पहले बाहर हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया
साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा देने का एलान किया था। बताया जाता है कि वह पार्टी में युवा चेहरों की अनदेखी से खासे नाराज थे। इससे पहले वह पीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व में केंद्र में मंत्री भी रहे। हालांकि 2018 में मध्यप्रदेश में उनकी जगह कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने का पार्टी का फैसला भी उन्हें रास नहीं आया था। इसके बाद उन्होंने 28 विधायकों के साथ कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। इससे कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार रातों-रात गिर गयी थी। सिंधिया बाद में भाजपा में शामिल हो गये और शिवराज सिंह चौहान फिर मध्यप्रदेश के सीएम बने।
जितिन प्रसाद ने छोड़ा कांग्रेस का साथ
उत्तरप्रदेश में बड़ा ब्राह्मण चेहरा कहे जाने वाले जितिन प्रसाद ने जून 2021 में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा ज्वाइन कर ली थी। उनका राजनीतिक करियर यूथ कांग्रेस से शुरू हुआ था और वह यूपीए सरकार में मंत्री भी रहे। सिंधिया की तरह ही जितिन प्रसाद भी पारिवारिक तौर पर कांग्रेस से जुड़े थे। उनके पिता जितेंद्र प्रसाद और बाबा ज्योति प्रसाद कांग्रेस का अहम चेहरा रहे थे। हालांकि इस्तीफे से ठीक पहले जितिन प्रसाद को पार्टी हाइकमान से नाराज बताया जा रहा था। वह कांग्रेस में तवज्जो न मिलने और यूपी कांग्रेस के कुछ नेताओं से अपनी नाराजगी जाहिर भी कर चुके थे। जितिन प्रसाद की शिकायत को पार्टी हाइकमान ने नजरअंदाज किया, जिसके बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया।
फिर गिरा आरपीएन सिंह का विकेट
कांग्रेस से युवा चेहरों के जाने का सिलसिला इसके बाद भी जारी रहा। अगला नाम था आरपीएन सिंह का, जिन्होंने 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी को झटका दे दिया और सिंधिया की मौजूदगी में भाजपा का दामन थाम लिया था। मजेदार बात यह थी कि आरपीएन सिंह ने यह इस्तीफा तब दिया था, जब कांग्रेस ने उनकी क्षमताओं पर भरोसा करते हुए यूपी में उन्हें अपना स्टार प्रचारक नियुक्त किया था। आरपीएन सिंह ने मनमोहन सरकार में पेट्रोलियम मंत्रालय से लेकर गृह मंत्रालय में राज्यमंत्री की भूमिका संभाली थी।
और अब मिलिंद देवड़ा ने छोड़ा कांग्रेस का साथ
रविवार को, जब राहुल गांधी अपनी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ पर रवाना हो रहे थे, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, मुंबई में पार्टी के प्रमुख चेहरे और पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा कर मिलिंद देवड़ा ने लिखा कि आज वह अपनी राजनीतिक यात्रा के अहम अध्याय का अंत कर रहे हैं। मैंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। साथ ही कांग्रेस पार्टी से अपने परिवार के 55 साल पुराने रिश्ते का भी अंत कर रहा हूं।
मिलिंद देवड़ा कांग्रेस के दिवंगत वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली देवड़ा के बेटे हैं और साल 2004 और 2009 में दक्षिण मुंबई सीट से सांसद रह चुके हैं। साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में मिलिंद देवड़ा को शिवसेना उम्मीदवार के सामने हार का सामना करना पड़ा था। मिलिंद देवड़ा की गिनती कांग्रेस के युवा चेहरों में होती थी। वह कांग्रेस सरकार में साल 2012 में केंद्रीय नौका परिवहन राज्यमंत्री भी बनाये गये थे। इसके अलावा वह सांसद रहने के दौरान रक्षा मंत्रालय की समिति, केंद्रीय शहरी विकास समिति के सदस्य भी रह चुके हैं।
मिलिंद देवड़ा ने क्यों तोड़ा कांग्रेस से रिश्ता
यहां बड़ा सवाल यह है कि जिस देवड़ा परिवार से कांग्रेस का इतना गहरा रिश्ता रहा, उससे अचानक यह रिश्ता टूट कैसे गया। दरअसल मिलिंद देवड़ा पिछले कुछ समय से पार्टी के स्थानीय नेताओं से नाराज चल रहे थे। वह अपनी संसदीय सीट दक्षिण मुंबई में पार्टी की गतिविधियों पर एकाधिकार चाहते थे। 2024 के चुनाव में भी वह इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन महाविकास अघाड़ी के समझौते के अनुसार यह सीट अब शिवसेना (उद्धव गुट) के पास जानेवाली है, क्योंकि 2014 और 2019 में उसके प्रत्याशी अरविंद सावंत ने मिलिंद देवड़ा को हराया था। इसलिए मिलिंद देवड़ा ने संसद में जाने के लिए कांग्रेस को छोड़ने का फैसला किया। माना जा रहा है कि अब मिलिंद देवड़ा एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल होकर दक्षिण मुंबई सीट से फिर चुनाव मैदान में उतर सकते हैं।
अब सचिन पायलट ही बचे
मिलिंद देवड़ा के इस्तीफे के बाद अब राहुल ब्रिगेड में केवल सचिन पायलट ही बच गये हैं, जो राजस्थान में अशोक गहलोत के खिलाफ लगातार मोर्चाबंदी किये हुए हैं। बताया जा रहा है कि 2024 के चुनाव से पहले वह भी अलग रास्ता अख्तियार कर सकते हैं और यदि ऐसा होता है, तो बहुत आश्चर्य की बात नहीं होगी।