विशेष
दिल्ली और बिहार में विधानसभाचुनाव के दौरान मचेगा धमाल
राज्यसभा की आठ सीटों पर होनेवाले चुनाव में भिड़ेंगे गठबंधन
शताब्दी वर्ष में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी कुछ नया जरूर करेगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सितंबर में मनायेंगे अपना 75वां जन्मदिन
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
साल 2024 विदा हो चुका है और 2025 हमसे गलबहियां कर रहा है। नये साल के स्वागत में मनाये जा रहे जश्न के बीच गुजर गये साल के दौरान घटी घटनाएं अब इतिहास के पन्नों में समा चुकी हैं। लेकिन कहा जाता है कि आगे बढ़नेवाला समाज हमेशा अपने इतिहास से सीखता है। इसलिए साल 2024 की घटनाओं को भी सामने रखने की जरूरत है। लेकिन इन तमाम बौद्धिक बातों के बीच यह जानना भी दिलचस्प हो सकता है कि आखिर 2025 के दौरान दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में ऐसी कौन सी सियासी घटनाएं होंगी, जो भारत के भविष्य का रास्ता तय कर सकती हैं। जाहिर है, हर साल कुछ न कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं और 2025 भी इस मायने में अपवाद नहीं रहेगा। 2024 में देश ने आम चुनाव में लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाने का फैसला सुनाया, तो कई राज्यों में भी चुनाव हुए। इस लिहाज से 2025 बहुत महत्वपूर्ण नहीं रहेगा, क्योंकि इस साल केवल दो राज्यों, दिल्ली और बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसी तरह संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में भी केवल आठ सीटों पर ही चुनाव होंगे, लेकिन यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपना 75वां जन्मदिन मनायेंगे, तो कुछ बड़ा होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। 2025 में क्या होंगी बड़ी सियासी घटनाएं और कैसा रहेगा देश का आर्थिक परिदृश्य, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
तमाम खट्टी-मीठी घटनाओं की यादों के साथ 2024 का साल इतिहास के पन्नों में समा चुका है और 2025 का साल हमारे साथ गलबहियां कर रहा है। ऐसे में यह जानना दिलचस्प हो सकता है कि यह साल अपनी कोख में किन सियासी घटनाओं को लेकर आया है। इस साल जिस तरह से लोकसभा चुनाव में बैकफुट में जाने के बाद हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने वापसी की है, उसे देखते हुए आने वाले साल में भी राजनीतिक रस्काकशी और तेज होने की संभावना है। आने वाले साल में भी बीजेपी और एनडीए विपक्ष को रोकने की पूरी ताकत लगायेगा। हालांकि 2025 अपने पूर्ववर्ती की तरह चुनावी साल नहीं होगा, लेकिन दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र सियासी घटनाक्रमों से अछूता रह जाये, यह संभव नहीं है। इस साल भी चुनाव होंगे, सियासी उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे और दूसरे घटनाक्रम भी होंगे।
दो विधानसभाओं के चुनाव
साल 2025 में देश में विधानसभाओं के दो अहम चुनाव होने हैं- दिल्ली और बिहार। दिल्ली में बीजेपी अपने दम पर उतरेगी। बीजेपी दिल्ली से अपने 27 साल के वनवास को खत्म करने के लिए पूरी ताकत लगायेगी। दिल्ली में अगर अरविंद केजरीवाल अपनी जीत का चौका लगाते हैं, तो यह विपक्ष के लिए बेशक बड़ी बात होगी। जहां लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सात सीटों पर कांग्रेस और आप साथ थे, वहीं 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव दोनों अलग-अलग लड़ रहे हैं। 2025 में बिहार में भी विधानसभा चुनाव होना है। नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा हैं और एनडीए के सभी साथी मिलकर ही चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं। वहीं, तेजस्वी यादव भी लालू के मार्गदर्शन में अपने बल पर सरकार बनाने की पुरजोर कोशिश करेंगे। अगर देश के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की बात करें, तो दोनों ही राज्यों में वह सहयोगी या कहें एक्स्ट्रा की भूमिका में है। चुनावी लिहाज से कांग्रेस के पास दांव पर ज्यादा कुछ नहीं है।
सबसे अमीर कॉरपोरेशन के चुनाव
इस साल मुंबई नगर निगम, यानी बीएमसी के भी चुनाव होने हैं। बीएमसी को एशिया का सबसे अमीर कॉरपोरेशन कहा जाता है। इसमें महायुति और महाविकास अघाड़ी की जंग होगी। हालांकि यहां मुकाबला शिवसेना (उद्धव) और एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना के बीच है, लेकिन बीजेपी भी इस बार चुनाव में अहम भूमिका में दिख सकती है। मुंबई में बीजेपी ने अपनी जड़ें मजबूत की हैं। 1985 से (1992-1996 को छोड़कर) बीएमसी पर शिवसेना का राज रहा है, लेकिन अब शिवसेना के दो टुकड़े हैं।
कांग्रेस संगठन में दिखेगा बदलाव
देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस में साल 2025 में संगठन में बदलाव होने के आसार हैं। कांग्रेस को अपने संगठन को भी मजबूत करना होगा। कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती जहां देश के मुद्दों को लेकर जमीन पर संघर्ष की भी रहेगी, तो वहीं दूसरी ओर तेलंगाना, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में अपनी सरकार को टिकाये और बचाये रखने की होगी। इंडी गठबंधन में जिस तरह से खेमे की अगुवाइ को लेकर चर्चा है, टीएमसी की ओर से ममता बनर्जी का नाम बढ़ाने और कई अन्य दलों से समर्थन की बात की जा रही है, उसके मद्देनजर यह मुद्दा भी अहम रहेगा। जिस तरह से राहुल गांधी या गांधी परिवार बीजेपी और सरकार के निशाने पर दिख रहा है, इस साल में कांग्रेस के सामने एक चुनौती उससे पार पाना भी रहेगी।
बीजेपी को नया अध्यक्ष मिलेगा
नये साल में बीजेपी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष भी मिलेगा। बीजेपी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा, इस पर तमाम तरह के कयास लग रहे हैं। हर रोज नये-नये नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन बीजेपी नेता अनौपचारिक बातचीत में एक बात जरूर कह रहे हैं कि जो भी अध्यक्ष होगा, वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का करीबी होगा। कम से कम आधा दर्जन राज्यों में भी बीजेपी संगठन में बदलाव देखने को मिल सकता है।
एक सौ साल का हो जायेगा आरएसएस
2025 में विजया दशमी के दिन दुनिया के सबसे बड़े सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के एक सौ साल पूरे हो जायेंगे। संघ ने लक्ष्य रखा है कि तब तक देश भर में अपनी शाखाओं की संख्या बढ़ाकर एक लाख करनी है। संघ तब कई बड़े आयोजन भी करेगा और जिसका राजनीति परिदृश्य में भी असर दिखेगा। संघ ने 2025 के लिए जो अपना एजेंडा बनाया है, उसमें पहले की तरह सामाजिक समरसता भी शामिल है। एक तरफ जहां विपक्षी दल जाति जनगणना की बात करेंगे, वहीं बीजेपी पहले की तरह ही विपक्ष के इस एजेंडे को विभाजनकारी बताते हुए अपनी मुहिम जारी रख सकती है। सामाजिक समरसता अभियान के जरिये ही संघ ने कई चुनाव में बीजेपी के पक्ष में माहौल भी बनाया है। लोकसभा चुनाव के वक्त यह चर्चा रही कि संघ और बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं है। संघ प्रमुख मोहन भागवत के कई बयानों से भी इसी तरह का संदेश गया। चुनाव नतीजों के बाद समीक्षा में संघ ने पाया कि पार्टी का संगठन कई राज्यों में काफी कमजोर हुआ है। इसके बाद तय किया गया कि संघ की तरफ से अब ढील नहीं दी जायेगी।
75वां जन्मदिन मनायेंगे पीएम मोदी
17 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75 साल के हो जायेंगे। विपक्ष की तरफ से सवाल फिर उठाये जा सकते हैं। अरविंद केजरीवाल पहले ही यह सवाल उठा चुके हैं कि क्या पीएम 75 साल के हो जाने पर बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में चले जायेंगे। हालांकि 75 साल में रिटायरमेंट का बीजेपी के संविधान में कोई जिक्र नहीं है। ऐसे में इस साल प्रधानमंत्री मोदी के अगले सियासी कदम पर दुनिया की निगाहें रहेंगी।
आर्थिक महाशक्ति बनेगा भारत
भू-राजनीतिक चुनौतियों से उत्पन्न आपूर्ति शृंखला और कच्चे तेल के दामों में आयी तेजी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था 2024 में विश्व की सबसे तेज बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी रही। तकनीकी प्रगति, प्रौद्योगिकी, बैंकिंग, नवीकरणीय ऊर्जा और आत्मनिर्भर भारत जैसे नीतिगत उपायों से भारत वैश्विक आर्थिक क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत रखने में सफल रहा है। निवेश, उपभोग और ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले सुधार वर्ष 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार तैयार करेंगे। दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के कारण वर्ष 2025 में भी घरेलू मांग में मजबूत निरंतरता बनी रहेगी। शहरी के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों की मांग में भी सकारात्मक रुझान दिखाई दे रहा है। 2025 में सरकार की प्राथमिकता मौद्रिक नीति में मामूली ढील द्वारा मुद्रास्फीति के दबाव को घटाने की भी होगी। पूंजी निर्माण को प्रोत्साहन मिलने से निम्न एवं मध्य आय वर्ग की क्रय शक्ति को बढ़ावा मिलेगा। जन धन, आधार और मोबाइल के तहत खोले गये खातों में 2.32 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रकम जमा है। वर्तमान में इ-लेनदेन बढ़कर 134 अरब रुपये हो गया है, जो सभी वैश्विक डिजिटल भुगतानों के 46 प्रतिशत के बराबर है। उम्मीद है 2025 की शुरूआत में ही भारतीय अर्थव्यवस्था जापान की अर्थव्यवस्था के आकार को पछाड़ कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगी।
इस साल इन पांच चुनौतियों से जूझेंगे हेमंत सोरेन
झारखंड के लिए भी 2024 का साल उतार-चढ़ावों से भरा रहा। इसी तरह साल 2025 राज्य के लिए नयी उम्मीद लेकर आया है। लगातार दूसरी बार और कुल मिला कर चौथी बार झारखंड की कमान संभालने वाले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस साल कई चुनौतियों से जूझना होगा। साल 2024 के विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में इंडी गठबंधन ने प्रचंड बहुमत के साथ जीत हासिल की। अब हेमंत सोरेन के सामने कई चुनौतियां हैं, जिनसे 2025 में उन्हें जूझना होगा।
रोजगार के अवसर सृजित करना
झारखंड में रोजगार आज भी सबसे बड़ा मुद्दा है। चुनाव से पहले इंडी गठबंधन ने 10 लाख लोगों को रोजगार देने की बात कही थी। इतने लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार क्या कदम उठायेगी, यह अब भी बड़ा सवाल है। समय पर प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन न होना भी राज्य में बड़ी समस्या है। हालांकि मुख्यमंत्री ने अपने पहली ही कैबिनेट में साल 2025 का परीक्षा कैलेंडर जारी करने का निर्देश दे दिया है। इतना ही नहीं, उन्होंने इस साल दो लाख युवाओं को नौकरी देने का एलान किया है और इसके लिए प्रक्रिया जल्दी शुरू करने की बात कही है।
मंईयां सम्मान योजना के लिए रकम की व्यवस्था
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी फ्लैगशिप योजना, झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के तहत प्रत्येक लाभुक को एक हजार रुपये हर महीने दिये जाने की शुरूआत की है। यह रकम अब ढाई हजार रुपये कर दी गयी है। मुख्यमंत्री इसी सप्ताह इतनी रकम लाभुकों के खातों में भेजेंगे। अब उनके सामने इस रकम की व्यवस्था करने की चुनौती है।
खतियान के आधार पर स्थानीयता नीति लागू करना
झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले इंडी गठबंधन ने 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता नीति लागू करने का वादा किया था। इससे पहले भी हेमंत सोरेन सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में इस बिल को विधानसभा से पारित कर राजभवन भेज दिया था। अब सबसे बड़ी चुनौती सरकार के सामने ये है कि वह कैसे इसे लागू करेगी।
सरना धर्म कोड
इंडी गठबंधन ने चुनाव के पहले सरना धर्म कोड लागू करने की भी बात कही थी। इससे पहले के कार्यकाल में भी सीएम हेमंत सोरेन ने विशेष सत्र बुलाकर सरना धर्म कोड का बिल विधानसभा से पास कर केंद्र के पास भेज दिया था। अब इसे लागू करना बड़ी चुनौती है।
आरक्षण का दायरा बढ़ाना
इंडी गठबंधन ने अपनी सात गारंटी में 50 फीसदी आरक्षण का दायरा बढ़ाने की भी बात कही है। इसके तहत एसटी को 28 प्रतिशत, एससी को 12 और ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार चुनाव प्रचार के दौरान इसका जिक्र करते थे। हेमंत सोरेन के सामने इस वादे को पूरा करने की चुनौती होगी।
बकाये पर केंद्र से भिड़ंत
इन सबके अलावा झारखंड अपने बकाये के लिए केंद्र से दो-दो हाथ कर सकता है। झारखंड का कोयला कंपनियों पर 1.36 लाख करोड़ का बकाया है, लेकिन केंद्र सरकार ने इससे साफ इनकार किया है। झारखंड सरकार ने इस बकाये की वसूली के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने की बात कही है। 2025 में हेमंत सोरेन के लिए यह मुद्दा बड़ी चुनौती बनेगा।