विशेष
पुलिस प्रशासन के लिए सिरदर्द बन चुका है आशाकोठी का दबंग
सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी को चुनौती देकर बता दी अपनी ताकत
आखिर किसका संरक्षण प्राप्त है कारू यादव को
घटना के दूसरे दिन किसके इंतजार में बैठा था कारू
लोग तो कह रहे हैं कि कारू तो मोहरा है, असली खिलाड़ी कोई और है
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
धनबाद का बाघमारा इलाका एक बार फिर चर्चा में है। यह चर्चा कोयले के अवैध कारोबार के क्रम में हुई वर्चस्व की लड़ाई के कारण हो रही है। इस चर्चा के केंद्र में है आशा कोठी खटाल का कारू यादव, जिसने गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी को ही नहीं, पूरे पुलिस प्रशासन को चुनौती देकर इलाके के नये बॉस के रूप में अपना नाम लोगों के बीच दर्ज करा लिया है। कारू यादव का नाम धर्माबांध में हुई हिंसक वारदात के बाद अचानक बड़े स्तर पर सुर्खियों में आया। वैसे कोयलांचल के लोगों के बीच में वह एक जाना पहचाना नाम है। लेकिन धर्माबांध में हुई हिंसक वारदात के बाद आज इलाके के हर व्यक्ति की जुबान पर उसका नाम बैठा हुआ है। मूल रूप से बिहार का रहनेवाला कारू यादव कोयले के अवैध कारोबार में बड़ी तेजी से आगे बढ़ा, तो आज वह इलाके में पहले से स्थापित दबंगों को चुनौती देने की स्थिति में पहुंच गया है। अकूत संपत्ति अर्जित करने के बाद अब वह राजनीति के मैदान में भी किस्मत आजमा सकता है, क्योंकि आजसू पार्टी के सांसद को खुलेआम चुनौती देना इतनी मामूली बात नहीं है। कारू यादव के रसूख और उसकी राजनीतिक पहुंच का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सात प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद पुलिस अब तक उसके पास नहीं पहुंच सकी है। बाघमारा इलाके में कारू यादव की दबंगई के किस्से काफी मशहूर हैं। वह दबंगई करता है, तो लोगों की खूब मदद भी करता है, जिसके कारण उसके हिमायतियों की संख्या भी कम नहीं है। कोयलांचल में पहले ही दबंगों से जूझ रहे पुलिस प्रशासन के सामने कारू यादव अब एक बड़ी चुनौती बन कर उभरा है और इस पर लगाम लगाना इतना आसान भी नहीं है। कौन है कारू यादव और कैसे उसने कोयलांचल में अपना दबदबा कायम किया है, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह, साथ में धनबाद टीम।
इस साल 9 जनवरी से पहले बाघमारा इलाके से बाहर के लोग कारू यादव के नाम से परिचित नहीं थे, लेकिन 9 जनवरी को जब धर्माबांध इलाके में एक हिंसक झड़प हुई और बाद में पुलिस प्रशासन की कार्रवाई हुई, तब लोगों को पता चला कि वास्तव में कारू यादव इलाके का नया बॉस है। कारू यादव ने गिरिडीह के आजसू सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के कार्यालय पर हमला कर उसे जला दिया और अपनी ताकत और अपने प्रभाव का प्रदर्शन कर दिया। अब कारू यादव का नाम केवल बाघमारा इलाके में ही नहीं, पूरे झारखंड में चर्चित हो गया है। यहां तक कि पुलिस प्रशासन भी उसे पकड़ने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाये हुए है। दावा किया जा रहा है कि उसे पाताल से भी खोज कर निकाला जायेगा। उसकी तलाश में झारखंड से लेकर बिहार तक में छापामारी की जा रही है, लेकिन कारू यादव किसी के हाथ नहीं आ रहा है। जिस कारू यादव को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने दो दर्जन से अधिक टीमें गठित की हों, सारे वरीय अधिकारी सक्रिय हों, ऐसे में 9 जनवरी से आज की तारीख तक उसका गिरफ्तार नहीं होना इस बात के संकेत हैं कि उसकी पहुंच बहुत गहरी है और उसे संरक्षण देनेवाला हर तंत्र में सक्रिय है। राजनीतिक संरक्षण के साथ पुलिसिया संरक्षण के बगैर वह इतने दिनों तक पुलिस की आंखों में चकमा नहीं दे सकता। कहा ही जाता है, पुलिस अगर चाह ले, तो पाताल से सूई भी खोज निकालती है, कारू यादव तो इतना बड़ा जीता-जागता बड़ा कद काठी का दबंग इंसान है। उसके साथ उसके समर्थकों का पूरा कारवां चलता है।
पुलिस की अनदेखी से बढ़ता चला गया कारू यादव
कारू यादव ने केजीएफ फिल्म की तर्ज पर अपनी हिंसक गतिविधियों से क्षेत्र में दहशत फैला रखी है। बीसीसीएल और पुलिस के कतिपय अधिकारियों के साथ मिलीभगत ने उसे हमेशा सुरक्षित रखा, लेकिन ऐसा लगता है कि इस बार वह बुरी तरह फंस गया है। मूल रूप से बिहार के नवादा इलाके का रहनेवाला कारू यादव बाघमारा इलाके के आशा कोठी में चर्चित खटाल का संचालक है। करीब तीन दशक पहले आशा कोठी आये कारू यादव शुरूआत में खलासी था। फिर निजी ड्राइवर बन गया। इसी दौरान कोयला और लोहा चोरी में अपना हाथ आजमाया और एक संगठित गिरोह बना लिया। इसके बाद उसने राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेना शुरू किया, ताकि अवैध कारोबार पर पर्दा पड़ा रहे। बॉलीवुड फिल्मों के खलनायकों की तरह उसने सुनियोजित तरीके से अपना कारोबार जारी रखा। धीरे-धीरे उसने इलाके में अपना दबदबा कायम किया। फिर इस कारोबार का पक्का खिलाड़ी बन गया। कई बार उसके गुर्गों ने बम और गोलियों की तड़तड़ाहट से इलाके में अपने आतंक का परिचय देना चाहा। कारू ने बिहार से पेशेवर अपराधियों को बुलाया और आशा कोठी में उन्हें बसाया। उसने कोयले के अवैध कारोबार के लिए आउटसोर्सिंग कंपनियों पर ध्यान लगाया और बीसीसीएल के अधिकारियों की मदद से उन पर नियंत्रण करने लगा। इसके अलावा छोटे-मोटे अपराध करनेवालों को भी कारू यादव ने संरक्षण देना शुरू किया। इसका परिणाम यह हुआ कि आशा कोठी में उसके नाम की तूती बोलने लगी। कारू यादव के खिलाफ कतरास, मधुबन, बरोरा और खरखरी ओपी में दर्जनों मामले दर्ज हैं। ये मामले वर्चस्व स्थापित करने के लिए हिंसा करने से संबंधित हैं। पुलिस की अनदेखी कहें या मिलीभगत, कारू यादव का साम्राज्य धीरे-धीरे मजबूत होता चला गया।
आखिर किसका संरक्षण प्राप्त है कारू को
कारू के मन से पुलिस का खौफ खत्म होता चला गया। पुलिस प्रशासन की ओर से कभी ठोस कार्रवाई नहीं होने से उसका मनोबल लगातार बढ़ता चला गया। हाल ही में उसे गोविंदपुर एरिया-3 के बाबूडीह में प्रस्तावित हिलटॉप कंपनी की जिम्मेदारी मिली, जिसके बाद उसने खुलेआम अपनी दबंगई का प्रदर्शन करना शुरू किया। बीते 9 जनवरी को हुई हिंसक घटना में कारू के साम्राज्य का खौफनाक स्वरूप फिर से उजागर हुआ। इस घटना में कारू यादव के गुर्गों ने पुलिस प्रशासन पर जानलेवा हमला करते हुए, बाघमारा डीएसपी, पुरषोत्तम कुमार सिंह को लहूलुहान कर दिया था। उसके बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया, और आइजी, डीआइजी समेत तमाम आलाधिकारी पुलिस बल के साथ कारू यादव के आशाकोठी स्थित आवास और नावागढ़ तालाब स्थित उसके मार्केट में छापेमारी की। कारू यादव के बुलंद हौसले का प्रमाण यहीं से मिलता है कि एक सूत्र ने बताया कि जब घटना हुई और उसके बाद पुलिस की कार्रवाई तेज हुई, तब भी कारू यादव घटना के दूसरे दिन आशाकोठी में अपने घर पर ही था। उस सूत्र का कहना है कि बाघमारा का एक दबंग व्यक्ति उस दिन उससे मिलने पहुंचने वाला था। सच कहा जाये तो कोयलांचल नगरी के दबंग बादशाह के संरक्षण के बगैर कारू यादव इतने दिनों तक पुलिस को चकमा नहीं दे सकता था। चूंकि कोयला का कारोबार ही काला है और इसमें सभी के हाथ काले हो चुके हैं, इसलिए कारू जैसे दबंगों को हर सिस्टम से सपोर्ट मिलता है यह धर्माबांध में हुई घटना में उजगार हो चुका है। इंतजार कीजिए, संरक्षण देनेवालों के चेहरों से नकाब तो एक न एक दिन उठेगा ही।
पुलिस-प्रशासन के लिए सिरदर्द बना कारू
कारू यादव की ताकत और प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने न केवल आजसू सांसद को चुनौती दी, बल्कि पुलिस प्रशासन को भी विवश कर दिया। नौ जनवरी को उसके गुर्गों ने पुलिस दल पर जानलेवा हमला किया, जिसमें बाघमारा के डीएसपी पुरुषोत्तम कुमार सिंह घायल हो गये। बताया जाता है कि इससे पहले कारू यादव के सामने इलाके का कोई पुलिस अधिकारी ऊंची आवाज में बात भी नहीं करता था। इलाके के पुलिस अधिकारियों की पोस्टिंग में उसकी पसंद-नापसंद का खास ध्यान रखा जाता था। बीसीसीएल प्रबंधन में भी कारू यादव की ऊंची पहुंच है और बाघमारा इलाके में वही अधिकारी काम कर पाता था, जिसे वह पसंद करता था। कारू यादव ने आशा कोठी में एक शानदार मार्केट कांप्लेक्स बना रखा है और वहां उसका अवैध कोयला डिपो भी है। बीसीसीएल के 60 से अधिक आवासों पर कारू यादव का कब्जा है और उसके पास सैकड़ों हाइवा, ट्रक और जेसीबी हैं। कोयले के अवैध कारोबार में लिप्त कारू यादव के साम्राज्य को तबाह करने के लिए पुलिस प्रशासन ने अब कमर कस ली है। जब अपने पे बात आयी तब पुलिस नींद से जागी। डीएसपी पर हमला और बाबूडीह में गोली-बम से दहशत फैलाने के बाद प्रशासन ने कार्रवाई तेज की। पुलिस ने आशाकोठी में छापेमारी कर सैकड़ों टन अवैध कोयला जब्त किया और साथ ही खरखरी स्थित कारू के मॉल-मार्केट में भी बड़ी छापेमारी की। पुलिस ने मॉल कंप्लेक्स के कार्यालय का ताला तोड़कर सीसीटीवी फुटेज भी जब्त कर लिया। पुलिस ने पूरे इलाके की घेराबंदी कर ली है।
कई सफेदपोश भी आ सकते हैं घेरे में
नौ जनवरी की घटना और उसमें कारू यादव की संलिप्तता के बाद कतरास और बाघमारा इलाके के कई छोटे-बड़े नेता भी पुलिस के निशाने पर हैं। पुलिस ने कारू यादव के पूरे नेटवर्क को खंगालना शुरू कर दिया है। डीएसपी के घायल होने के बाद अब पुलिस प्रशासन ने कारू यादव के वर्चस्व को पहली बार चुनौती दी है। पुलिस की नजर कारू यादव की संपत्ति पर गयी है, तो लगता है कि यह मामला दूसरी एजेंसियों के हाथ में भी जा सकता है। इतना तय है कि जांच आगे बढ़ेगी, तो कई सफेदपोश भी घेरे में आ सकते हैं।
कोयले का अवैध कारोबार झारखंड की राजनीति को भरपूर मदद करता है और यही वजह है कि पूरे प्रदेश में कारू यादव जैसे कई सरगना सक्रिय हैं। धर्माबांध की घटना के बाद पुलिस इन सरगनाओं का सिर कुचलती है अथवा नहीं, यह देखने वाली बात होगी। पुलिस पर चौतरफा दबाव है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि कोयलांचल ने कोयले के अवैध कारोबार में इतिहास रच दिया है। अब इस आरोप से इलाके को मुक्त करने की जिम्मेदारी पुलिस की है।
कारू के ठिकानों पर पुलिस का छापा
मधुबन क्षेत्र में हुई हिंसक घटना के बाद जिला प्रशासन ने माफिया कारू यादव के अवैध साम्राज्य को ध्वस्त करने के लिए बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। गोली-बम चलने, डीएसपी पर जानलेवा हमले और आजसू कार्यालय को जलाने के बाद प्रशासन ने कड़ा कदम उठाया है। प्रशासन ने आशाकोठी क्षेत्र में उसके अवैध कोलडिपो से सैकड़ों टन कोयले को जब्त किया गया। उसके ठिकाने पर ताबड़तोड़ छापेमारी जारी है। इसके लिए पुलिस ने 30 टीमें बनायी हैं। पुलिसिया कार्रवाई के बाद आसाकोठी, खरखरी, बाबूडीह, और अन्य ग्रामीण इलाकों में दहशत फैल गयी है और लोग पलायन को मजबूर हैं। लगातार छापामारी करते हुए पुलिस ने महुदा के भाटडीह बस्ती, सीनिडीह, नावागढ़ बस्ती, आशाकोठी, खरखरी और ब्रह्मणडीहा से दर्जनों अभियुक्तों की धर-पकड़ की है। वहीं पुलिस ने अब तक 120 से अधिक उपद्रवियों को नामजद अभियुक्त बनाया है। छापामारी के दौरान पुलिस ने दो दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि अन्य के खिलाफ पूछताछ जारी है। घटना के पांचवें दिन सोमवार को धनबाद एसएसपी, ग्रामीण एसपी समेत भारी संख्या में पुलिस कारू के अड्डे पर पहुंचे थे। इस दौरान पुलिस ने आशाकोठी स्थित जमीन की मापी के लिए सरकारी अमीन को बुलाया है और जमीन की मापी करायी गयी थी। इस बीच, आशा कोठी में 500 टन से ज्यादा अवैध कोयला बरामद किया गया है और 60 से अधिक घरों पर अवैध कब्जे की पुष्टि हुई है। पुलिस ने कारू यादव और उसके करीबियों की संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है। जांच के दौरान उसके अवैध गतिविधियों द्वारा अर्जित अकूत संपत्ति की बात सामने आ रही है। फिलहाल क्षेत्र में जोरदार चर्चा है कि धर्माबांध के हिंसक कांड के पीछे, कुछ राजनीतिक ताकतों का हाथ है, जो कारू यादव को संरक्षण दे रहे हैं। अब एक सवाल जो तेजी से उठ रहा है कि वह कौन व्यक्ति है जो पर्दे के पीछे से कारू यादव को संरक्षण दे रहा है। आखिर वह कौन व्यक्ति है, जिसने कारू का चेहरा आगे कर अपने काम को अंजाम दे रहा है। लोग तो कह रहे हैं कि कारू तो मोहरा है असली खिलाड़ी कोई और है।