रांची। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पूरे देश में पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण मिला हुआ है, जबकि झारखंड में मात्र 14 फीसदी ही आरक्षण का लाभ उन्हें प्राप्त है। या यूं कहें कि झारखंड में सामाजिक न्याय की हत्या हो रही है, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। जबकि राज्य की स्थापना पिछड़े, दलित, शोषित को न्याय दिलाने और उनका वाजिब हक देने के लिए हुआ था। समय के साथ आजसू जरूर पिछड़ा वर्ग की आवाज बना। 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग उठायी। पिछड़ा वर्ग को न्याय दिलाने की जंग शुरू की। उसी जंग का एक और शंखनाद 17 फरवरी को रांची में होने जा रहा है। यहां विधानसभा के मैदान में देशभर के पिछड़ों की आवाज बननेवाले दिग्गजों का जमावड़ा लगेगा। यह कोई पार्टी का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि राष्टÑीय अधिवेशन सह राज्य प्रतिनिधि सम्मेलन इस बार झारखंड की राजधानी रांची में हो रहा है। इस सम्मेलन का उद्घाटन देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालकृष्णन करेंगे। वहीं झारखंड के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो मुख्य अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में शिरकत होंगे।
यहां यह बात जगजाहिर है कि आजसू पार्टी सरकार की सहयोगी होने के बाद भी नीतिगत फैसलों पर सवाल उठाती रही है। पार्टी सुप्रीमो सुदेश महतो कई बार खुले मंच से स्थानीय नीति पर विरोध जता चुके हैं। भूमि अधिग्रहण बिल पर आजसू को आपत्ति है। पार्टी ने जनसंवाद के माध्यम से सरकार को नियोजन नीति का भी ड्राफ्ट सौंपा था। इस मसलों को लेकर पार्टी ने एक लाख से अधिक पोस्टकार्ड मुख्यमंत्री रघुवर दास को भेजा था। इसके अलावा पिछड़ों के लिए 73 फीसदी आरक्षण की भी मांग की है, जिसमें पिछड़ों को 27 फीसदी, अनुसूचित जनजाति को 32 फीसदी और अनुसूचित जाति को 14 फीसदी आरक्षण देने की मांग है। पिछड़ों के अलावा आदिवासी वोट बैंक पर भी आजसू की पैनी नजर है। इसी का नतीजा है कि स्वराज स्वाभिमान यात्रा के दौरान आदिवासी वोटरों को भी साधने की कोशिश की गयी। इधर, झारखंड में यह पहला अवसर होगा, जब पिछड़ा वर्ग को न्याय दिलाने की दिशा में एक सशक्त आवाज का शंखनाद होगा। पूर्व न्यायमूर्ति आरएल चंदापुरी की 95वीं जंयती पर रविवार को सम्मेलन होने जा रहा है। सम्मेलन की सफलता को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। अखिल भारत पिछड़ा वर्ग संघ और अखिल झारखंड पिछड़ा वर्ग महासभा के बैनर तले होने वाले महासभा के अध्यक्ष इंद्रकुमार सिंह चंदापुरी ने बताया कि झारखंड में पिछड़ों को 27 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत और अनुसूचित जाति को 14 प्रतिशत आरक्षण देने की वकालत को लेकर इस सम्मेलन में पिछड़ा वर्ग से आने वाले कई नेता और प्रतिनिधि भाग लेंगे। बता दें कि झारखंड में पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग को लेकर झारखंड पिछड़ा वर्ग महासभा लंबे समय से आंदोलन करता रहा है।
सम्मेलन को सफल बनाने के लिए झारखंड के सभी जिलों में पोस्टर-बैनर लगाये जा गये हैं। साथ ही नारा दिया गया है-पिछड़ों ने भरी हुंकार, 27 प्रतिशत आरक्षण हमारा अधिकार। सम्मेलन को सफल बनाने की तैयारी में जुटे इंद्रकुमार सिंह चंदापुरी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी झारखंड में सरकार ने पिछड़ों को 27 के बदले 14 फीसदी आरक्षण दिया है। नौ सदस्यों वाली खंडपीठ ने 16 नवंबर 1992 को पिछड़ा वर्ग के उत्थान के लिए 27 फीसदी आरक्षण लागू करने का आदेश दिया था। इसके तहत केंद्रीय और कई राज्य सरकारों ने सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में दाखिला के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण देने की व्यवस्था की है।
‘पिछड़ों की हुंकार, 27 प्रतिशत आरक्षण हमारा अधिकार’
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