अजय शर्मा
रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में इस बार हेमंत सोरेन की उम्र 57 दिन की हो गयी है। जिस मुख्यमंत्री को झारखंड की जनता ने पांच साल के लिए अपना प्रतिनिधि चुना हो, उसके लिए 57 दिनों की उम्र कोई मायने नहीं रखती, लेकिन मात्र 57 दिन में ही अगर कोई जगह या व्यक्ति लोगों के विश्वास का केंद्र बन जाये, तो वह जरूर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। और इस दृष्टि से हेमंत सोरेन और उनका आवास निश्चित रूप से झारखंड के लोगों की आशा का नया केंद्र बन गया है। सीएमओ की तरफ से मिली सूचनाओं के अनुसार इन 57 दिनों की यात्रा में अब तक 12 हजार लोग अपनी समस्याओं के साथ आशा के इस नये केंद्र में पहुंचे। इनमें से छह हजार आवेदनों पर एक्शन भी ले लिया गया है। यानी उन समस्याओं का समाधान निकाल लिया गया है। सीएम आवास में हर समय फरियादियों की भीड़ जमा रहती है। इस दौरान मुख्यमंत्री चाहें जितने भी व्यस्त हों, इन फरियादियों से मिलने के लिए वे अवश्य समय निकाल लेते हैं, ताकि कोई निराश होकर यहां से नहीं जाये। फरियादियों से मिलते समय मुख्यमंत्री के चेहरे पर कोई तनाव नहंी रहता। वह एक-एक एक-एक फरियादी से मिलते हैं।
झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में 29 दिसंबर को गठबंधन की सरकार बनी थी। 23 फरवरी तक आजाद सिपाही को जो आंकड़ा मिला है, उसके अनुसार 12 हजार लोगों से मिलने और उनकी समस्याओं से संबंधित आवेदन लेने का रिकॉर्ड सीएमओ में है। उनमें से छह हजार समस्याओं का निष्पादन भी कर दिया गया है। सीएम बनने के दिन से ही हेमंत का दरवाजा आम लोगों के लिए खुल गया। कोई भी व्यक्ति, कभी भी उनके यहां जा सकता है। अपनी बातें रख सकता है। इसके लिए उसे न किसी पैरवी की जरूरत है और न ही पहुंच की। यही वजह है कि अब सीएम आवास में भीड़ लगने लगी है। 23 दिसंबर से लोगों के आने का जो सिलसिला सीएम आवास में शुरू हुआ, आज तक वह बदस्तूर जारी है। बल्कि उसमें हर रोज इजाफा ही हो रहा है। रांची के सीएम आवास में ही नहीं, बल्कि जब मुख्यमंत्री यहां से बाहर रहते हैं, तो वहां भी लोगों का हुजूम उनसे मिलने चला आता है और वे भी अपने स्वभाव के मुताबिक सुरक्षा घेरा को तोड़ते हुए लोगों से मिलने के लिए उनके बीच चले आते हैं। लोगों को उनके दरबार में आने का साहस इसलिए भी मिलता है, क्योंकि हेमंत खुद कह चुके हैं कि हमको मुख्यमंत्री के रूप में नहीं, बल्एिक अपने बेटा-भाई के रूप में देखिये।
झारखंड के लोगों की नयी आशा का संचार केंद्र सिर्फ सीएम आवास तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि राज्य का प्रोजेक्ट भवन भी यह स्थान ले चुका है। यहां भी अब 21 सौ फरियादी मिल चुके हैं और उनकी समस्याओं का यथासंभव समाधान भी निकाला जा चुका है। यह तो आॅन रिकॉर्ड है। इससे इतर पार्टी कार्यक्रमों में उमड़ी भीड़ और उससे मिलने का अगर आंकड़ा देखा जाये, तो यह संख्या दो लाख से अधिक हो चुकी है। झामुमो दुमका और धनबाद में अपना स्थापना दिवस मना चुका है। इन दोनों शहरों में भारी भीड़ उमड़ी थी। वहां भी सीएम लोगों से मिले थे। मुख्यमंत्री से मिलनेवालों में युवा, बुजुर्ग, महिला और सभी समाज के लोग शामिल हैं। अपनी मिलनसारिता और सहज स्वभाव के कारण ही हेमंत सोरेन इतने कम समय में लोकप्रियता के पायदान पर ऊपर चले गये हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद उस तबके से मिल रहे हैं, जो आज तक थानेदार से मिलने से डरता है। उसकी बातें सुनते हैं और उस पर कार्रवाई भी कर रहे हैं। बता दें कि यह जो आंकड़ा है, यह सोशल मीडिया में सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई से अलग है।
हरमू के दिव्यांग की समस्या का निदान
हरमू का रहनेवाला दिव्यांग अर्जुन महतो बड़ी मुश्किल से सीएम आवास तक पहुंचा था। उसके साथ उसके परिवार के लोग भी थे। उसने सीएम को बताया कि राशन कार्ड में भूलवश उसका नाम नहीं चढ़ पाया है। इस कारण उसे राशन नहीं मिल पा रहा है। सीएम ने तुरंत उसकी समस्या का निदान कर दिया।
उपेक्षा की शिकायत की थी कार्मेला सोरेंग ने
कुछ दिन पहले पुलवामा आतंकी हमले में शहीद विजय सोरेंग की पत्नी कार्मेला सोरेंग सीएम से मिलने पहुंची थीं और उपेक्षा की शिकायत की थी। सीएम ने इस समस्या का भी समाधान कर दिया।
इन समस्याओं का तत्काल समाधान
मुख्यमंत्री के यहां अधिकांशत: वृद्धापेंशन, विधवा पेंशन, राशन नहीं मिलने, पेयजल, फीस के अभाव में बच्चों की रूकी पढ़ाई और स्वास्थ्य की समस्या लेकर लोग पहुंच रहे हैं। उनके निदान भी तुरंत हो रहे हैं।
Previous Articleचार दिन बाद भी ढुल्लू के बारे में पुलिस को सुराग नहीं
Next Article राजनीति के रोमांचक मैच के लिए हेमंत-बाबूलाल तैयार
Related Posts
Add A Comment