रांची। बीते सोमवार को भाजपा में विलय के साथ ही झाविमो का अस्तित्व समाप्त मान लिया गया। इसी दिन उधर, दिल्ली में एक और खिचड़ी पकी, जब झाविमो से निष्कासित विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने कांग्रेस का दामन थामा। साथ ही वहां घोषणा की गयी कि असली झाविमो का विलय कांग्रेस में हुआ है। देखने-सुननेवाले भी चक्कर में पड़ गये कि एक ओर पार्टी प्रमुख बाबूलाल मरांडी के साथ भाजपा में हुए झाविमो के विलय को सही माने या ये दोनों विधायक जो दिल्ली में कह रहे हैं, वो सही है। इधर, मंगलवार को रांची पहुंचने पर प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने खुद को असली झाविमो का दावा करते हुए कहा कि पार्टी में तीन विधायक थे, जिसमें से हम दो ने कांग्रेस के साथ विलय किया है। इसलिए बाबूलाल मरांडी की दावेदारी गलत है। उनपर दलबदल कानून लागू होता है। और इस मुद्दे को लेकर वे स्पीकर के पास जायेंगे।
अब स्पीकर ही इस मामले में फैसला करेंगे। इधर स्पीकर रवींद्रनाथ महतो ने भी कह दिया है कि वह इस मामले को देखेंगे। हालांकि फिलहाल बाबूलाल मरांडी अभी चुप हैं। इस मामले पर उन्होंने मुंह नहीं खोला है। पर झाविमो के महासचिव अभय सिंह ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि कार्य समिति की बैठक में बंधु तिर्की और प्रदीप यादव के निष्कासन को मंजूरी दी गयी है। साथ ही कार्य समिति ने 7ही भाजपा में विलय का फैसला लिया है। इसलिए पार्टी से निष्कासित लोगों की बातों की कोई अहमियत नहीं है। बहरहाल ये बातें अब झारखंड की राजनीतिक फिजा में तैरने लगी हैं। इससे यह स्पष्ट है कि भले ही कहने को झाविमो का अस्तित्व समाप्त हो गया हो, पर असली-नकली के विवाद में यह पार्टी अभी जिंदा रहेगी और झारखंड में राजनीति के कई रंग दिखायेगी।
Previous Articleपार्टी की मजबूती के लिए पूरी ताकत लगा दूंगा : मरांडी
Next Article ढुल्लू के करीबियों की हो रही है तलाश