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मोदी सरकार के बजट 2023 को ‘अमृत बजट’ कहा जा रहा है। बजट मंथन के दौरान हर वर्ग को मोदी सरकार ने कहीं न कहीं अमृत पान करवाने की कोशिश की है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने पांचवें और देश के 75वें बजट में कई बड़े एलान किये। गरीब से लेकर मध्यम वर्ग तक का इस बजट में खास खयाल रखा गया। अपने एक घंटे 27 मिनट के भाषण में वित्त मंत्री ने पूरे देश को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की है कि अब तक सब कुछ सही रहा, तो अब आने वाले दिनों में भी विकास की नयी इबारत लिखी जायेगी। पीएम नरेंद्र मोदी ने बजट 2023 को ऐतिहासिक बताते हुए इसे देश का विकास बढ़ाने वाला बताया है। पीएम मोदी ने बजट को गांव, गरीब, किसान और मध्यम वर्ग के सपनों को पूरा करने वाला बताया है। दरअसल, इस इस बजट के जरिये मोदी सरकार ने मिशन 2024 का एजेंडा सेट कर दिया है। विपक्षी दल भी इसे चुनावी बजट ही बता रहे हैं। अब बजट चुनावी हो या देशहित में हो, जनता को फायदा हो रहा है, तो किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। अपने बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, युवाओं और महिलाओं के लिए योजनाओं की भरमार कर दी है। हाल के दिनों में भारतीय जनता पार्टी के ये कोर वोटर बन गये हैं। मध्यम वर्ग से लेकर किसानों के लिए योजनाओं की सौगात के जरिए मोदी सरकार ने मिशन 2024 के लिए कमर कस ली है। लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने अपने आखिरी पूर्ण बजट में हर वर्ग को साधने की कोशिश की है। नौकरी करनेवाले लोगों के लिए विशेष राहत की घोषणा की गयी है। अब साल में सात लाख रुपये तक सेलरी पानेवालों को इनकम टैक्स से छूट दी गयी है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस बजट के मायने क्या हैं? इससे केंद्र सरकार की उम्मीदें कितनी मजबूत होंगी? क्या इसका असर आने वाले चुनाव में भी देखने को मिलेगा, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
अगर चुनावी नजरिये से देखा जाये, तो मोदी सरकार का यह बजट मास्टर स्ट्रोक है। इसके जरिये मोदी सरकार ने हर वर्ग को साधने की कोशिश की है। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले इस बजट से गरीब, मध्यम वर्ग के करोड़ों लोगों को फायदा पहुंच सकता है। आठ साल से टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ था। इस बार टैक्स स्लैब में बदलाव कर के सरकार ने करोड़ों लोगों को खुश करने की कोशिश की है। इसका फायदा आने वाले चुनावों में मोदी सरकार को मिल सकता है। पिछले कुछ सालों से दुनिया के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को भी झटका लगा है। कोरोना और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते काफी नुकसान उठाना पड़ा। महंगाई ने लोगों को परेशान किया। ऐसे में विपक्ष लगातार सरकार को घेरने में जुटा था। अब सरकार ने अपने इस बजट के जरिये हर वर्ग की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है। इस साल नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। इसमें त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, मिजोरम, राजस्थान, तेलंगाना शामिल हैं। इसके बाद अगले साल लोकसभा चुनाव भी है। बजट में चुनावी राज्यों का भी सरकार ने पूरा खयाल रखा है। कर्नाटक की भद्रा परियोजना के लिए सरकार ने पांच हजार तीन सौ करोड़ रुपये स्वीकृत किया है। इसके अलावा पूर्वोत्तर राज्यों के विकास के लिए 5892 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं। ज्यादातर रकम केंद्र सरकार की परियोजनाओं पर खर्च होगी। इसी तरह अन्य चुनावी राज्यों के लिए भी सरकार ने अलग-अलग तरह की परियोजनाओं के लिए बजट का आवंटन किया है।
पीएम मोदी ने भी बजट को ऐतिहासिक करार देते हुए मिशन 2024 की झलक दे दी। पीएम मोदी ने कहा कि यह बजट वंचितों को वरीयता देता है। यह आज के आकांक्षी समाज, गांव, गरीब, किसान, मध्यम वर्ग, सभी के सपनों को पूरा करेगा। पीएम ने कहा कि गांव से लेकर शहर में रहने वाली महिलाओं के जीवन स्तर में बदलाव लाने के लिए बजट में बड़ी घोषणाएं की गयी हैं। पीएम ने कहा कि उन्हें अब और ताकत के साथ आगे बढ़ाया जायेगा। दरअसल, पीएम ने उज्ज्वला समेत कई बड़ी योजनाओं के जरिये महिला वोटरों को बीजेपी के साथ जोड़ा है। ऐसे में निर्मला के बजट से पीएम मोदी ने 2024 को भी साधा है।
गरीबों की योजना को मिला विस्तार
बजट में पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को अगले एक साल तक के लिए बढ़ा दिया है। इसके तहत सरकार कुल दो लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी। इस योजना से देश के गरीबों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया जाता है। कोरोना में शुरू की गयी इस योजना के जरिये मोदी सरकार को चुनावों में बड़ा लाभ मिला है। पीएम मोदी ने इस योजना के जरिये 2024 के साथ-साथ इस साल होने वाले नौ राज्यों के विधानसभा चुनावों के वोटरों को भी साध लिया है।
महिलाओं को सौगात
बजट में महिला सम्मान बचत पत्र लाने का एलान किया गया है। इस योजना को दो साल के लिए लाया जा रहा है। इस योजना के तहत किसी महिला या लड़की के नाम पर दो लाख रुपये तक का एक बार में निवेश किया जा सकता है। इस योजना पर 7.5 फीसदी निश्चित ब्याज मिलेगा। इस योजना के तहत जमा राशि में से आंशिक निकासी का भी विकल्प मिलेगा। दरअसल, पीएम मोदी ने मंगलवार को बजट सत्र की शुरूआत के मौके पर ही कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि निर्मला सीतारमण आम लोगों को ध्यान में रख कर बजट पेश करेंगी। जिस तरह से बजट में महिलाओं को ध्यान में रखा जा रहा है, ये बीजेपी के मिशन 2024 पर ही निशाना है। 2019 के आम चुनाव में महिला वोटरों ने जम कर बीजेपी के लिए वोट किया था। ऐसे में बीजेपी की तैयारी अपने कोर वोटर को कुछ फायदे के जरिये फिर से अपने पाले में बरकरार रखने की योजना है।
कैसे साधा किसानों को
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पीएम-किसान सम्मान निधि के तहत छोटे किसानों को 2.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय सहायता मुहैया करायी गयी है। इसके साथ ही करीब तीन करोड़ महिला किसानों को योजना के तहत 54 हजार करोड़ रुपये प्रदान किये गये हैं। इसके अलावा एग्रीटेक उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भी बजट में प्रावधान किये गये हैं। किसानों को फसलों का पूरा लाभ देने के लिए कई योजनाएं शुरू करने की घोषणा की गयी है। दरअसल, वित्त मंत्री ने किसानों पर सौगात की बौछार करके एक बड़े वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। पीएम मोदी को यह पता है कि 2024 के चुनाव में किसानों का साथ बीजेपी के लिए बेहद जरूरी है। ऐसे में उनके लिए योजनाओं की घोषणा के जरिये उन्हें साधने की कोशिश की गयी है।
रोजगार से युवाओं को साधा
बजट में रोजगार के मौके पैदा करने के लिए छोटे और मंझोले उद्योगों को कई छूट देने की घोषणा की गयी है। इसके अलावा 47 लाख युवाओं को तीन साल तक भत्ता देने का भी एलान किया गया है। बजट में इन युवाओं को ग्लोबल स्तर की ट्रेनिंग दिलवाने का प्रस्ताव किया गया है। रोजगार की बात करके मोदी सरकार ने युवाओं को अपने साथ जोड़े रखने की पहल कर दी है। विपक्ष बेरोजगारी के मुद्दे पर ही मोदी सरकार को घेरता रहा है। बजट में रोजगार की बात करके निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार की एक बड़ी टेंशन को कम कर दिया है। रोजगार के जरिये ही मिशन 2024 को साधेगी मोदी सरकार।
बजट से आदिवासियों को साधा
इस बार के बजट में जनजातीय समूहों के लिए भारी राशि आवंटित की गयी है। केंद्र सरकार ने अगले तीन वर्षों में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों की सामाजिक आर्थिक स्थितियों में सुधार के लिए 15 हजार करोड़ रुपये के विकास कार्य शुरू करने की घोषणा की है। इसके साथ ही आदिवासी मामलों के मंत्रालय का बजटीय आवंटन बढ़ा कर 12,414.95 करोड़ रुपये कर दिया, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में लगभग 48 फीसदी अधिक है। इस साल देश में नौ राज्यों में चुनाव है और सरकार के इस कदम को भी उससे जोड़ कर देखा जा रहा है। साल 2023 में नौ राज्यों-कर्नाटक, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों को 2024 के आम चुनाव के पहले का सेमीफाइनल माना जा रहा है। इनमें से कई राज्यों में जनजातीय आबादी की सरकार बनाने में अहम भूमिका होने वाली है। छत्तीसगढ़ और त्रिपुरा में 30 फीसदी से अधिक जनजातीय आबादी है। मेघालय और नागालैंड में 85 फीसदी से अधिक जनजातीय आबादी है, जबकि मिजोरम में 90 फीसदी जनजातीय आबादी है। चालू वित्त वर्ष में आदिवासी मामलों के मंत्रालय को 8,401.92 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे, जो बाद में संशोधित अनुमान में 7,281 करोड़ रुपये हो गये। वित्त मंत्री ने प्रधानमंत्री पीवीटीजी विकास मिशन के लिए 15 हजार करोड़ रुपये की घोषणा की, जो अगले तीन वर्षों में उपलब्ध कराये जायेंगे। पिछले साल, पीवीटीजी के विकास के लिए 252 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे। संशोधित अनुमान में इसे घटा कर 124.79 करोड़ रुपये कर दिया गया।
एकलव्य मॉडल स्कूल से एसटी को साधने की कोशिश
बजट में अगले तीन साल में 3.5 लाख जनजातीय छात्रों के लिए चलाये जा रहे 740 एकलव्य मॉडल स्कूलों के लिए 38,800 अध्यापक और सहायक कर्मियों की नियुक्ति की जायेगी। इस घोषणा के जरिये बेरोजगार और अनुसूचित जाति के लोगों को साधने की कोशिश की गयी है। देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की नियुक्ति के समय से ही बीजेपी आदिवासी वोटरों को लुभाने के लिए ताकत झोंक रही है। बजट में आदिवासियों के लिए योजना के जरिये बीजेपी ने देश की 50 से ज्यादा लोकसभा सीटों के लिए दांव चल दिया है।
पीएम आवास योजना का दांव बड़ा है
बजट में पीएम आवास योजना के लिए राशि में 66 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गयी है। इसे बढ़ा कर 79 हजार करोड़ कर दिया गया है। जाहिर तौर पर इस बढ़ोतरी का जिक्र बीजेपी 2024 के चुनाव में जरूर करेगी। गरीबों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना, जो सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है और सरकार जिसे 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य बना कर चल रही है, उसमें बड़ी वृद्धि करते हुए इस बार के बजट में योजना के लिए 79,500 करोड़ रुपये आवंटित करने का एलान किया है, जो 2022-23 के बजट 48,000 करोड़ से 66 फीसद ज्यादा रखा गया है। इस योजना के तहत इस साल करीब 2.94 करोड़ गरीब लोगों को 2024 तक घर मुहैया कराने का लक्ष्य तय किया गया है। खास बात यह है कि इसमें से 2.12 करोड़ घरों का निर्माण पूरा हो चुका है और इन्हें गरीबों को सौंपा भी जा चुका है। मोदी सरकार का सपना भी है कि देश के हर व्यक्ति का अपना मकान हो। इस विजन को भी इससे बल मिलता है।
जल जीवन मिशन
इसी तरह सरकार का दूसरा बड़ा लक्ष्य है जल जीवन मिशन, जिसके लिए 2023-24 में 70,000 करोड़ के बजट की घोषणा की गयी है। इस योजना के तहत देश के सभी 20 करोड़ परिवारों तक पीने का साफ पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इसकी तय सीमा ही 2024 रखी गयी है। जल जीवन मिशन के बजट को भी पिछले साल की तुलना में 60,000 करोड़ से बढ़ा कर 70,000 करोड़ किया गया है। योजना के तहत अब तक करीब 11 करोड़ लोगों को पीने का साफ जल मुहैया कराया जा चुका है। यह संख्या 2019 में मात्र तीन करोड़ थी। यह वह योजना है, जो 2024 में भाजपा के लिए चुनाव का रुख बदल सकती है।
नौकरपेशा वालों की बल्ले-बल्ले
बजट में नौकरी पेशा वालों के लिए विशेष राहत की घोषणा करके मोदी सरकार ने एक बहुत बड़े वर्ग को अपनी ओर आकर्षित किया है। जाहिर है, आठ साल बाद उन्हें मिली बड़ी राहत से उनका झुकाव सरकार की तरफ होगा और इसका निश्चित रूप से लाभ भाजपा को मिलेगा।इस तरह इस बजट से साफ हो जाता है कि इस ‘अमृत बजट’ को यूं ही नहीं सामने लाया गया है, बल्कि इससे 2024 का एजेंडा भी तय कर दिया गया है।