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    Home»स्पेशल रिपोर्ट»सरकार में रहेंगे, जनहित में आवाज उठायेंगे : सुदेश
    स्पेशल रिपोर्ट

    सरकार में रहेंगे, जनहित में आवाज उठायेंगे : सुदेश

    azad sipahiBy azad sipahiMarch 20, 2017No Comments3 Mins Read
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    संवाददाता
    रांची। सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन और स्थानीय नीति को लेकर सरकार के खिलाफ आंदोलन पर आजसू ने अपना स्टैंड क्लीयर कर दिया है। आजसू पार्टी सरकार से समर्थन वापस नहीं लेगी, बल्कि सरकार में रहकर जनविरोधी फैसलों को वापस लेने के लिए दबाव बनायेगी। आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा कि हम विषय से भागना नहीं चाहते, विषय को मनवाना हमारी प्राथमिकता है। आजसू सरकार में रहकर जनता की आवाज सरकार के दरवाजे तक पहुंचायेगी। मोरहाबादी मैदान में आजसू के केंद्रीय महाधिवेशन के दौरान खुला सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बातें कहीं। सुदेश ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन से 22 अत्यंत पिछड़ी और 24 ओबीसी जातियां भी प्रभावित होंगी। उन्होंने कहा कि सरकार जमीन की सुरक्षा के लिए एक्ट में संशोधन कर रही है, तो संशोधन से समाज पर पड़ने वाले असर का भी मूल्यांकन होना चाहिए। क्या किसी समाज ने कभी एक्ट में संशोधन की मांग की थी। सुदेश ने कहा कि सरकार ने संशोधन का फैसला झारखंडवासियों के कहने पर नहीं, बल्कि व्यापारियों के कहने पर किया है। इससे सिर्फ व्यापारियों के हितों की रक्षा होगी। उन्होंने कहा कि एक्ट में संशोधन के बाद जमीन का स्वरूप बदल जायेगा। अगली सरकार अगर झारखंड को कृषि कॉरिडोर बनाना चाहेगी, तो वह जमीन कहां से खरीदेगी। सरकार को यह तय करना होगा। सुदेश ने कहा कि सरकार को झारखंड के अहित में फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने पार्टी के 1 लाख पदेन पदाधिकारियों से इस विषय को लेकर घर-घर जाने की अपील की। पार्टी के 3 दिवसीय केंद्रीय महाधिवेशन में मिशन 2019 को लेकर रणनीति तैयार की गयी। अंतिम दिन केंद्रीय कमेटी भंग हुई और सुदेश महतो एक बार फिर सर्वसम्मति से आजसू के केंद्रीय अध्यक्ष चुने गये।

    रोज सबेरे नौकरियां बांटती दिखती है सरकार : सुदेश
    सुदेश महतो ने कहा कि झारखंड सरकार हर रोज सबेरे नौकरियां बांटती दिखती है। सभी अखबारों में हजारों नौकरियों की घोषणाएं होती हैं। डेढ़ साल में सरकार ने लाखों नौकरियों की घोषणा की है, जबकि अब तक सिर्फ कुछ हजार नियुुक्तियां ही हुई हैं। उन्होंने कहा कि देश के अन्य राज्यों में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियों में वहां के स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन झारखंड सरकार अपने यहां के स्थानीय युवाओं की अहर्ता को छोटा कर दूसरे राज्यों के लोगों को नौकरी दे रही है।
    गलतफहमी में सरकार, चिमनियों से निकलने वाले धुएं को समझती है रोजगार : सुदेश ने कहा कि राज्य सरकार गलतफहमी में है। वह चिमनियों से निकलने वाले धुएं को रोजगार मानती है, जबकि इंडस्ट्री से रोजगार नहीं बेरोजगारी पैदा हो रही है। उन्होंने कहा कि जब टाटा कंपनी ने झारखंड में इंडस्ट्री लगाया था उस वक्त 44 हजार कर्मचारी कंपनी के पास थे, लेकिन आज टाटा के कर्मचारियों की संख्या घटकर 14 हजार के करीब हो गयी है। हां उत्पादन जरूर बढ़ गया है। वहीं बोकारो, एचइसी की हालत भी कमोेबेश ऐसी ही है।

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