रांची। गोड्डा संसदीय क्षेत्र में भाजपा से दो-दो हाथ करने के लिए महागठबंधन आतुर है। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के समक्ष इस बार प्रदीप यादव मैदान में होंगे। गोड्डा लोकसभा सीट अब राजमहल परियोजना की कोयला खदानों के साथ-साथ अडानी के निर्माणाधीन पावर प्लांट के लिए प्रसिद्ध हो रही है। पिछले सात चुनावों में बीजेपी ने यहां छह बार जीत दर्ज की है। यहां से बीजेपी के निशिकांत दुबे लगातार दूसरी बार सांसद बने हैं। झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से गोड्डा सीट पारंपरिक रूप से भाजपा का गढ़ रही है। गोड्डा, देवघर और दुमका जिले में फैली यह सीट कोयला खदानों के लिए प्रसिद्ध है। यहां ललमटिया स्थित कोयला खदान ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के तहत एशिया की सबसे बड़ी ओपन कास्ट माइंस है । यह राजमहल परियोजना के अधीन है। यहां के कोयला से कहलगांव और फरक्का बिजली घर चलता है। इस सीट के तहत छह विधानसभा सीटें आती हैं। यहां के लोग कृषि पर निर्भर हैं। प्रमुख फसलें धान, गेहूं और मक्का है। कोयला कारोबार के अलावा यहां व्यापक पैमाने पर बालू की तस्करी होती है।

गोड्डा संथाल जनजाति की भूमि है। यहां ब्राह्मण, वैश्य, यादव और मुस्लिम वोटर्स निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। गोड्डा लोकसभा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर होती रही है। 1962 और 1967 के चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के प्रभुदयाल जीते थे। 1971 और 1977 का चुनाव जगदीश मंडल जीते। 1971 में जगदीश कांग्रेस और 1977 में भारतीय लोकदल के टिकट पर लड़े थे। 1980 और 1984 में इस सीट से मौलाना समीनुद्दीन ने जीत दर्ज की थी।1989 में इस सीट पर भाजपा के जनार्दन यादव ने चुनाव जीता। वहीं 1991 के आम चुनाव में झामुमो के सूरज मंडल ने भाजपा- कांग्रेस को धूल चटाते हुए जीत दर्ज की। इसके बाद बीजेपी ने फिर वापसी की। 1996, 1998 और 1999 का चुनाव बीजेपी के टिकट पर जगदंबी प्रसाद यादव लगातार जीते।

2000 के चुनाव में बीजेपी के ही टिकट पर प्रदीप यादव जीते। 2004 में कांग्रेस ने वापसी की और फुरकान अंसारी जीते। 2009 और 2014 में बीजेपी के निशिकांत दुबे लगातार दूसरी बार जीते। गोड्डा लोकसभा सीट पर पिछड़ी जातियों और मुस्लिमों का दबदबा है। इस सीट पर अनुसूचित जाति की आबादी करीब 11 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की आबादी करीब 12 फीसदी है। पिछड़ी जातियों की गोलबंदी के कारण बीजेपी यहां अच्छा प्रदर्शन करती रही है। मतदाताओं की संख्या 15 लाख 90 हजार है, इसमें आठ लाख 25 हजार पुरुष और सात लाख 64 हजार महिला मतदाता शामिल हंै। गोड्डा लोकसभा सीट के अंतर्गत मधुपुर, देवघर, जरमुंडी, पोड़ैयाहाट, गोड्डा और महगामा विधानसभा आती हैं। इनमें से देवघर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 2014 के विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने चार सीटों मधुपुर, देवघर, गोड्डा, महगामा, झाविमो ने एक सीट पोड़ैयाहाट और कांग्रेस ने भी एक सीट जरमुंडी पर जीत दर्ज की थी।

पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के निशिकांत दुबे ने कांग्रेस के फुरकान अंसारी को हराया था। निशिकांत दुबे को तीन लाख 80 हजार और फुरकान अंसारी को तीन लाख 19 हजार वोट मिले थे। झामुमो के प्रदीप यादव एक लाख 93 हजार वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे। इस सीट पर करीब 65 फीसदी मतदान हुआ था। इससे पहले 2009 के चुनाव में भी निशिकांत दुबे ने फुरकान अंसारी को करीब 6 हजार वोटों से हराया था। मुख्य तौर पर गोड्डा और देवघर जिले में फैला है गोड्डा लोकसभा क्षेत्र। पिछले चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार निशिकांत दुबे को बाबा धाम देवघर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं का जबरदस्त समर्थन मिला था। उन्हें सिर्फ देवघर विधानसभा क्षेत्र से एक लाख से अधिक वोट मिला था। इस बार भी बाबा धाम से भाजपा को सबसे अधिक उम्मीद है। देवघर के लोगों से और उम्मीद करने की वजह है यूपीए महागठबंधन। पिछली बार भाजपा के खिलाफ कांग्रेस और झाविमो अलग- अलग लड़े थे। इस बार कांग्रेस और झाविमो मिल कर यूपीए महागठबंधन की छतरी तले चुनाव लड़ेंगे। अगर पिछले लोकसभा चुनाव में सभी दलों को मिले मतों पर गौर करें तो कांग्रेस और झाविमो मिल कर भाजपा पर भारी हैं।

कांग्रेस और झाविमो ने मिल कर भाजपा से एक लाख 31 हजार से अधिक मत पाये थे। जाहिर है, भाजपा के भीतर महागठबंधन बनने पर बेचैनी तो है। गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में भाजपा ने विकास को फोकस किया है। रणनीति है कि लोगों तक यह बात पहुंचायी जानी चाहिए कि मोदी राज में गोड्डा लोकसभा क्षेत्र के लोगों की बल्ले बल्ले हो गयी। कई बड़े काम देवघर विधानसभा क्षेत्र में मंजूर किये गये हैं। उन तक यह बात और शिद्दत से पहुंचाने की योजना है। एयर स्ट्राइक से राष्ट्रवाद का वातावरण बना है। भाजपाइयों को उम्मीद है कि इसका खुद ब खुद लाभ मिलेगा। देवघर में एम्स, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा देकर भाजपा ने एक बड़े तबके में अपनी पकड़ और मजबूत की है। वहीं यूपीए महागठबंधन को भलीभांति भान है कि गोड्डा लोकसभा के चुनाव में देवघर विधानसभा क्षेत्र भाजपा के लिए रीढ़ की हड्डी की तरह है। विरोधी उन मसलों को हवा दे रहे हैं, जो कभी भाजपा के लिए सरदर्द बने थे। तीन महीने पहले बाबा धाम में शीघ्र दर्शनम का शुल्क 250 से बढ़ा कर 500 रुपये किया गया था। पुरोहित समाज ने इसका सड़क पर आकर विरोध किया था। धरना दिया। इसके बाद शुल्क बढ़ोत्तरी रोकी गयी थी।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version