रांची। झारखंड में महागठबंधन पर अभी भी सस्पेंस कायम है। दिल्ली में कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह और झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के बीच चली मैराथन बैठक के बाद भी महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर बात नहीं बन पायी। शुक्रवार की बैठक में कांग्रेस की सात और झामुमो की चार सीटों को लेकर सिर्फ चर्चा हुई। झामुमो चाईबासा सीट को लेकर अड़ा हुआ था।

जानकारी के अनुसार कांग्रेस ने साफ कह दिया है कि चाईबासा सीट वह किसी भी हालत में नहीं छोड़ेगी। कांग्रेस ने इसके एवज में झामुमो को खूंटी या जमशेदपुर सीट में से एक को देने का आॅफर दिया है। बैठक में तय हुआ कि झामुमो के पास दुमका, राजमहल और गिरिडीह सीट रहेगी। जमशेदपुर और खूंटी में से वह किसी एक सीट का चयन कर ले। वहीं कांग्रेस रांची, लोहरदगा, हजारीबाग, चाईबासा, धनबाद, सीट पर प्रत्याशी देगी।

राजद द्वारा पलामू सीट से पीछे नहीं हटने की स्थिति में कांग्रेस ने यह मन बनाया है कि राजद को पलामू सीट दी जायेगी, लेकिन चतरा लोकसभा सीट कांग्रेस अपने पास रखेगी। गौरतलब है कि राजद लगातार पलामू और चतरा सीट के लिए दावेदारी कर रहा है। महागठबंधन में राजद के कोटे में एक सीट जानी है। राजद प्रमुख लालू यादव चतरा सीट के हिमायती हैं, लेकिन प्रदेश नेतृत्व पलामू को किसी हाल में नहीं छोड़ना चाहता है। राजद प्रमुख लालू यादव बिहार के बालू व्यवसायी सुभाष यादव को चतरा से उतरना चाहते हैं और वह लगातार इसको लेकर महागठबंधन के सहयोगी दलों पर दबाव बनाये हुए हैं।

गोड्डा और कोडरमा सीट झाविमो के खाते में
जानकारी के अनुसार महागठबंधन में गोड्डा और कोडरमा सीट झाविमो के पास रहेगी। इस पर सहमति बन गयी है। गोड्डा से झाविमो के प्रधान महासचिव प्रदीप यादव और कोडरमा से झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी चुनाव लड़ेंगे। गुरुवार को बाबूलाल मरांडी ने गिरिडीह में एक कार्यक्रम के दौरान यह एलान भी कर दिया कि वह कोडरमा से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। मालूम हो कि कांग्रेस का एक खेमा लगातार गोड्डा सीट को लेकर पार्टी नेतृत्व पर दबाव बनाये हुए था। पूर्व सांसद फुरकान अंसारी और उनके विधायक पुत्र इरफान अंसारी गोड्डा सीट झाविमो को देने का लगातार विरोध कर रहे थे।

दिल्ली के निर्णय पर टिकी थीं सबकी आंखें
गुरुवार को झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन दिल्ली गये थे। उनकी कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह, सह प्रभारी उमंग सिंघार और प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार के साथ महागठबंधन को लेकर बात हुई थी। शुक्रवार को भी बातचीत का लंबा सिलसिला चला। नतीजा कुछ नहीं निकला है। प्रदेश के नेताओं की आंखें दिल्ली के निर्णय पर टिकी रहीं। बताया जा रहा है कि झामुमो चाईबासा नहीं मिलने की स्थिति में खूंटी सीट ले सकता है।

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