घने जंगलों से घिरे इसी कसालपाड़ से लगे हुये मिनपा इलाक़े में पुलिस ने कई बार अपना कैंप खोलने की कोशिश की. लेकिन माओवादियों के लगातार हमले के बाद सुरक्षाबलों को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा था.
छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित सुकमा ज़िले में शनिवार को संदिग्ध माओवादियों के इस साल के सबसे बड़े हमले में सुरक्षाबलों के कम से कम 17 जवान मारे गए .बस्तर के आईजी पुलिस सुंदरराज पी ने लापता जवानों के शव मिलने की पुष्टि की है. शनिवार को मुठभेड़ के बाद से ही 17 जवानों के लापता होने की ख़बर थी.
इधर, इस मुठभेड़ के बाद घायल 14 जवानों को राजधानी रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया है, जहां कुछ जवानों की स्थिति गंभीर बनी हुई है. राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को अस्पताल जा कर इन घायल जवानों से मुलाकात की.इन घायलों में से कम से कम 2 लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है.
शनिवार की दोपहर सुकमा ज़िले के चिंतागुफा थाना के कसालपाड़ और मिनपा के बीच संदिग्ध माओवादियों ने सुरक्षाबलों की एक बड़ी टुकड़ी पर हमला बोला था. बुरकापाल में इस टीम में सीआरपीएफ़ के जवान भी शामिल हो गये.
शनिवार की दोपहर चिंतागुफा थाना के कसालपाड़ और मिनपा के बीच संदिग्ध माओवादियों ने सुरक्षाबलों की इस टीम पर उस समय हमला किया, जब जवान सर्चिंग ऑपरेशन के बाद लौट रहे थे. पुलिस के अनुसार संदिग्ध माओवादियों ने सुरक्षाबलों की टीम को चारों तरफ़ से घेर कर कोराज डोंगरी की पहाड़ी के ऊपर से जवानों पर हमला किया.
दोनों तरफ़ से कई घंटों की मुठभेड़ के बाद इस हमले में घायल कुछ जवानों को उनके साथी घटनास्थल से बाहर निकाल पाने में सफल हुए. जिनमें से 14 को एयरलिफ्ट कर के राजधानी रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
इससे पहले 14 मार्च को बस्तर ज़िले के मारडूम में माओवादियों के हमले में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के दो जवान मारे गये थे. इस घटना में सीआरपीएफ़ का एक जवान भी घायल हुआ था.
पिछले महीने की 18 फरवरी को कोंटा ब्लॉक के किस्टारम-पलोडी के बीच सर्चिंग पर निकले जवानों पर किये गये संदिग्ध माओवादियों के हमले में एक जवान की मौत हो गई थी.
10 फ़रवरी को बीजापुर और सुकमा जिलों की सीमा पर स्थित इरापल्ली गांव में माओवादियों के हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की कोबरा बटालियन के दो जवान मारे गये थे और 6 जवान घायल हो गये थे.
राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दावा करते रहे हैं कि माओवादी हिंसा में कमी आई है