कोरोना महामारी को लेकर देशव्यापी लॉकडाउन का गुरुवार को दूसरा दिन है। झारखंड के लिए यह सुकून भरी बात है कि अब तक यह खूबसूरत प्रदेश इस महामारी से अछूता है। इसके लिए जहां राज्य सरकार की कोशिशों की तारीफ होनी चाहिए, वहीं यहां के लोगों के संयम की प्रशंसा की जानी चाहिए। लेकिन पिछले तीन दिनों की तीन घटनाओं ने पूरे राज्य को चिंता में डाल दिया है। एक तरफ जहां झारखंड के गांवों-कस्बों और शहरों के मुहल्लों में बाहर से आये किसी भी व्यक्ति को वहां के निवासी जांच के लिए भेज रहे हैं, तो दूसरी तरफ कुछ मुट्ठी भर लोग अपने घर में या अपने धार्मिक स्थानों में विदेशी नागरिकों को पनाह दिये हुए हैं। किसी को पनाह देना गलत नहीं है, लेकिन संकट के इस दौर में, जब हमें किसी भी आगंतुक के बारे में प्रशासन को सूचित करना चाहिए, तब ऐसी हरकत चिंता पैदा करती है। चाहे तमाड़ में 11 विदेशी हों या धनबाद के गोविंदपुर में नौ विदेशी, इनकी मौजूदगी की सूचना प्रशासन को दी जानी चाहिए। एक तरफ जहां गांवों-मुहल्लों में बाहरी लोगों का प्रवेश बंद किया जा रहा है, वहां विदेश से आये लोगों को गुपचुप तरीके से पनाह देने के पीछे की मंशा क्या है। इसी तरह, जब शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया गया है, रातू और गिरिडीह के मदरसे क्यों खुले रहे। झारखंड हर व्यक्ति, हर कौम और हर धर्म के लोगों का है। इसे कोरोना से बचा कर रखना हर कौम की जिम्मेवारी है। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो झारखंड की तबाही को कोई रोक नहीं सकता। इस गैर-जिम्मेदार रवैये पर आजाद सिपाही ब्यूरो की खास रिपोर्ट।

जरा सी लापरवाही से तबाह हो जायेगा हमारा प्रदेश
पिछले तीन दिनों में चार ऐसी खबरें आयीं, जिसने कोरोना को लेकर चिंतित झारखंड के लोगों के जीवन को तनावों से भर दिया है। ये चार खबरें थीं, तमाड़ के रड़गांव की मस्जिद से 11 विदेशी पकड़ाये, गिरिडीह के मदरसे से 80 बच्चे मुक्त कराये गये, रातू के मदरसे से छह सौ बच्चियां मुक्त और धनबाद के गोविंदपुर की आसनबनी मस्जिद में नौ विदेशी क्वारेंटाइन किये गये।
इन चार खबरों से साफ हो जाता है कि झारखंड के कुछ लोग अब तक कोरोना की गंभीरता को समझ नहीं रहे हैं या फिर इसे जानबूझ कर नजरअंदाज कर रहे हैं। एक तरफ जहां झारखंड के कई गांवों, कस्बों और मुहल्लों में बाहर से आनेवाले लोगों का प्रवेश या तो पूरी तरह बंद कर दिया गया है या फिर उन्हें जांच कराने के लिए अस्पताल भेजा जा रहा है, तो दूसरी तरफ कुछ लोग अब भी बाहर से आये लोगों और विदेशी नागरिकों को अपने यहां पनाह दिये हुए हैं। किसी को पनाह देना भारतीय संस्कृति में गलत नहीं माना गया है, लेकिन अभी स्थिति अलग है। अब यह तथ्य स्थापित हो चुका है कि कोरोना महामारी विदेश से हमारे यहां आयी है। ऐसी स्थिति में हम बिना किसी जांच-पड़ताल के किसी विदेशी को अपने यहां पनाह कैसे दे सकते हैं। हमारी यह एक भूल पूरे झारखंड को खतरे की उस आग में झोंक सकती है, जिससे अब तक हम बचे हुए हैं। यह बात समाज के हर वर्ग को, हर कौम को और हर उस व्यक्ति को समझनी होगी। इस महामारी से हमारे देश का 95 प्रतिशत भूभाग प्रभावित हो चुका है और पूरा देश लॉकडाउन की स्थिति में है। लॉकडाउन के तनाव के बीच झारखंड के लोग इसलिए खुश हैं, क्योंकि इस बीमारी का प्रवेश यहां नहीं हुआ है। लेकिन तमाड़ और धनबाद की घटनाओं को देख कर नहीं लगता कि हम बहुत दिनों तक झारखंड को इस बीमारी से अछूता रखने में कामयाब हो सकेंगे।
आखिर इस गैर-जिम्मेदार हरकत का कारण क्या है। जब हमारी सरकार ने, प्रशासन ने संक्रमण की जांच के लिए मुकम्मल व्यवस्था की है, तब किसी विदेशी या बाहरी आगंतुक की जानकारी प्रशासन को क्यों नहीं दी जा रही है। यह समय सरकार और प्रशासन को इस महामारी से लड़ने की तैयारी करने के लिए दिया जाना चाहिए, ना कि उसकी ताकत और संसाधन को छिपाये गये बाहरी लोगों की तलाश करने और छोटे-छोटे कमरों में बंद कर रखे गये बच्चों को छुड़ाने में बर्बाद करने में लगाया जाना चाहिए। आखिर इन बाहरी या बाहर से आये लोगों को छिपानेवाले समाज को क्या बताना चाहते हैं। स्वाभाविक रूप से जैसे-जैसे ऐसी घटनाएं बढ़ेंगी, हमारा सामाजिक ताना-बाना कमजोर होगा, अलगाव भी बढ़ेगा। लोगों के मन में शंका होगी और तब स्थिति खतरनाक हो सकती है। इस स्थिति से बड़ी आसानी से बचा जा सकता है।
झारखंड के हर वर्ग को, हर समाज को यह समझना होगा कि झारखंड तभी तक कोरोना से सुरक्षित है, जब तक हम जिम्मेदारी से, संकल्प से और गंभीरता से निर्देशों का पालन करेंगे।
दुनिया के ताकतवर और विकसित देशों का उदाहरण हर दिन हमारे सामने आ रहा है। दुनिया में दूसरी सबसे बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाओं वाले देश इटली में कोहराम मचा हुआ है। दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका कोरोना के कहर से कराह रहा है। अमेरिका को चुनौती देनेवाला चीन पहले ही तबाह हो चुका है। यह सब केवल इसलिए हुआ, क्योंकि वहां का सामाजिक ताना-बाना हमारे जैसा नहीं था। वहां के लोगों की गैर-जिम्मेदारी ने उन्हें तबाही के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। झारखंड के लोगों को यह समझना होगा। यदि उनके यहां बाहर से आकर कोई व्यक्ति ठहरा है, तो इसकी सूचना तत्काल प्रशासन को देनी ही होगी, क्योंकि संक्रमण किस से और कहां से आयेगा, किसी को नहीं पता।
इस स्थिति में समाज की प्रमुख हस्तियों को, नेताओं को और बुद्धिजीवियों-धार्मिक नेताओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्हें तत्काल आगे आना चाहिए और लोगों को इस खतरे के प्रति आगाह करना होगा। यदि आज उन्होंने यह जिम्मेवारी नहीं निभायी, तो फिर आनेवाली पीढ़ी उन्हें कभी माफ नहीं करेगी। यहां हमें यह भी सोचना होगा कि क्या हम अपनी भावी पीढ़ी के लिए तबाही भरा मंजर छोड़ कर जाने के लिए तैयार हैं। हम कतई ऐसा नहीं चाहेंगे, क्योंकि हर इंसान अपना भविष्य सुनहरा बनाना चाहता है। तो फिर झारखंड को बचाने के लिए आगे आइए। ऐसी गैर-जिम्मेदार हरकत मत कीजिए और अपना भविष्य सुनहरा बना कर रखिए।

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