रांची। झारखंड विधानसभा में बजट सत्र के पांचवें दिन बुधवार को एक बार फिर जोरदार हंगामा हुआ। बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग को लेकर विधानसभा के बजट सत्र की दूसरी पाली में भी भाजपा विधायकों ने हंगामा किया। हंगामे के बीच ही मूल बजट पर चर्चा जारी रही। इसके बाद सदन का बहिष्कार किया गया। इसके पूर्व हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्?थगित कर दी गयी। दिन के 11 बजे कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा के विधायक वेल में आकर अपने नेता बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्?यता देने को लेकर नारेबाजी और हंगामा करने लगे। इस बीच स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने भाजपा विधायकों को अपनी सीट पर वापस जाने और प्रक्रिया के तहत न्?याय मिलने की बात कही। आसन के बार-बार आग्रह के बाद भी भाजपा विधायक अपनी सीट पर वापस नहीं गये, वे वेल में ही जमे रहे। भाजपा के सदस्य विरोध प्रकट करते हुए रिपोर्टर्स टेबल थपथपाना शुरू कर दिया। इसी दौरान भाजपा के रणधीर सिंह हाथ में पोस्टर लेकर सदन में टहलने लगे। इस पर स्पीकर ने आपत्ति जतायी। इसके बाद सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी। इसी हंगामे के बीच विनोद सिंह और प्रदीप यादव का सवाल भी लिया गया। दोपहर बाद 12.05 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, भाजपा विधायक फिर से न्याय दो, न्याय दो के नारे लगाते हुए वेल में पहुंच गये। प्रश्नकाल और ध्यानाकर्षण प्रस्तावों के बीच स्पीकर ने भाजपा सदस्यों पर गहरी नाराजगी प्रकट की। फिर विधानसभा की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इधर भाजपा विधायक अनंत ओझा ने कहा कि बिना नेता प्रतिपक्ष के आखिर सदन कैसे चल सकता है। विधानसभा अध्यक्ष को इस मामले में तुरंत फैसला लेना चाहिए। सत्ता पक्ष और दूसरे राजनीतिक दलों के दलगत राजनीति के कारण बाबूलाल को नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाया जा रहा है। इससे झामुमो-कांग्रेस के सदस्?यों की गलत मंशा स्पष्ट हो रही है।
इससे पहले बजट सत्र की कार्यवाही शुरू होने के क्रम में बुधवार को यहां हाथों में तख्तियां लेकर मुख्य द्वार पर भाजपा विधायक लगातार नारेबाजी करते रहे। बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को सदन का नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग पर अड़े विधायक बाबूलाल को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता दो, न्याय करो, न्याय करो, लोकतंत्र की हत्या बंद करो आदि नारे लगा रहे थे। दोपहर दो बजे के बाद जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, भाजपा विधायक एक बार फिर वेल में आ गये और नारेबाजी करने लगे। न्याय देने की गुहार लगाने लगे। इस बीच विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि गतिरोध दूर करने के लिए जो सर्वदलीय बैठक बुलायी गयी थी, उसमें क्या हुआ। इससे सदन को अवगत कराया जाना चाहिए। इस बीच कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने कहा कि सदन है कि क्या है। भाजपा विधायकों को मार्शल बुलाकर बाहर करें। इस बीच भाजपा विधायकों का हंगामा जारी रहा। मंत्री बन्ना गुप्ता और मिथिलेश ठाकुर ने सदन को व्यवस्थित करने की बात कही। इसके बाद स्पीकर ने कहा कि आसन्न न्याय से नहीं भाग रहा। मामला प्रक्रियाधीन है, न्याय होगा। इसमें किसी तरह की शंका नहीं होनी चाहिए। विरोध न्याय के अनुरूप हो। नियम के विरूद्ध नहीं होना चाहिए। स्पीकर के समझाने के बाद भी नहीं माने। अंतत: भाजपा विधायकों ने सदन से वॉक आउट कर दिया। इसके बाद बजट पर चर्चा की गयी।
चलने दें विधानसभा :रामेश्वर उरांव
वहीं सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले कांग्रेस विधायक रामेश्वर उरांव ने भाजपा से सदन चलने देने की अपील की। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष को लेकर कहा है कि हम सभी को संविधान पढ़ने समझने की जरूरत है। इस पर निर्णय होगा। जल्दबाजी में निर्णय करा लेना उचित नहीं होगा। जनता के सवालों को सदन में आने देना चाहिए।
विनोद सिंह का कार्यस्थगन अमान्य
वहीं इसी हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही चल रही थी। विधायक विनोद सिंह ने उसी दौरान कार्य स्थगन प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जबकि विधायक लंबोदर महतो अपने पूछे गये सवाल का जवाब गलत बता बता रहे थे। दरअसल लंबोदर महतो ने सरकार से सवाल किया था कि पंचायत प्रतिनिधियों को 10 माह से बकाया वेतन कब दिया जायेगा। इसके जबाव में सरकार की ओर से बताया गया कि साल 2015-16 और 2016-17 का अनुदान दे दिया गया है, लेकिन लंबोदर महतो ने सरकार की ओर से दिये गये जबाव को गलत बताया। इधर, विनोद सिंह ने सीएए पर चर्चा की मांग की। इस पर स्पीकर ने कहा कि चलते सत्र में इस पर विचार संभव है। इस कारण इस कार्यस्थगन प्रस्ताव को अमान्य किया जाता है।
कड़े फैसले लेने के लिए नहीं करें मजबूर: स्पीकर
रांची। स्पीकर रवींद्र नाथ महतो बुधवार को विपक्ष के रवैये से काफी नाराज हो गये। उन्होंने विपक्ष को कड़े शब्दों में चेतावनी दी। कहा कि मर्यादा में रहकर विरोध करें, तो आपत्ति नहीं है, लेकिन असंसदीय माहौल नहीं होना चाहिए। निर्णय लेने के लिए आसन पर दबाव नहीं दें। आसन झुकने वाला नहीं है और न्याय से ही चलेगा। विरोध में भी गंभीरता नजर आनी चाहिए। अगर इसी बात को दूसरे लहजे में कहा जाये, तो सभी को खराब लगेगा। यह मामला प्रक्रियाधीन है। न्याय होगा। आसन न्याय ने कहीं नहीं भाग रहा है। सत्य की जय तो होती ही है। आसन आपके और न्याय के साथ है। किसी भी शंका का शिकार नहीं होना चाहिए। आसन को कड़े फैसले लेने पर मजबूर नहीं करें। बुधवार को स्पीकर सदन की पहली पाली में विपक्ष द्वारा शोर मचाये जाने के तरीके से और उनकी गतिविधियों से ज्यादा नाराज हो गये थे।