रांची। कांके रोड स्थित सीएम हाउस के पास स्पेशल ब्रांच का एक समानांतर कार्यालय चलता है। इस कार्यालय में 10 कंप्यूटर लगे हैं। अलग-अलग विभागों के तकनीशियन को यहां समय-समय पर प्रतिनियुक्त भी किया जाता है। इसके लिए कोई लिखित आदेश जारी नहीं होता। तकनीकी मामलों के विशेषज्ञ माने जानेवाले जवानों को समय-समय पर यहां भेजा जाता है। रविवार के दिन यहां खासी भीड़ रहती है। इस कार्यालय से झामुमो, निर्दलीय, कांग्रेसी नेताओं और बिल्डर, जमीन कारोबारी के फोन के सीडीआर निकाले जाते हैं। यह काम भी गलत तरीके से होता रहा है। सब कुछ नवंबर माह के पहले तक हुआ। यहीं से उस समय के विपक्षी नेताओं की गतिविधियों पर नजर रखी जाती थी। साइबर थाना के कुछ तकनीशियनों को वहां भेजा जाता रहा है। जो तकनीशियन इस काम में लगे हैं, उनकी नियुक्ति अनुबंध पर की गयी है। पहले भी नेताओं की जासूसी कराने का आरोप पूर्व की सरकार पर लगता रहा है। जानकारी के मुताबिक जहां, कार्यालय चलता था, वह सरकारी क्वार्टर है। क्वार्टरों पर कब्जा कर इस काम के लिए उपयोग किया जाने लगा है। झारखंड में पहले से ही फोन टैपिंग के आरोप सरकार पर लगे हैं। इस बार जिस मामले का खुलासा हुआ, वह काफी गंभीर है। वर्तमान सीएम हेमंत सोरेन (उस समय नेता प्रतिपक्ष), निर्दलीय विधायक सरयू राय और सीएम से जुड़े लोगों के फोन पर नजर रखी जा रही थी। उस समय भी इसे लेकर काफी हंगामा हुआ था। फोन के सीडीआर निकालने और फोन टेपिंग के आरोप पहले से ही लगते रहे हैं। पुलिस मुख्यालय को इस कार्यालय की जानकारी है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। कार्यालय का काम बदस्तूर जारी है।
सरयू राय ने खड़ा किया था सवाल
निर्दलीय विधायक सरयू राय ने सरकार बदलने के साथ ही मामले पर सवाल खड़ा किया था। उन्होंने इस संबंध में मुख्य सचिव को पत्र लिखकर यह आरोप लगाया था कि विशेष शाखा और दूसरे विभाग से दस्तावेज हटाये जा रहे हैं। तत्कालीन सरकार के निर्देश पर मुख्यालय के डीजी पीआरके नायडू ने पूरे मामले की जांच कर सरयू राय के आरोपों को ही निराधार बता दिया था।

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