आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। हजारीबाग में एनटीपीसी द्वारा जमीन अधिग्रहण मामले के दौरान हुए तीन हजार करोड़ के भूमि-मुआवजा घोटाला में दायर जनहित याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने सीबीआई को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की बेंच ने मंटू सोनी द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई की। मंटू सोनी की ओर से अधिवक्ता अभिषेक कृष्ण गुप्ता और मदन कुमार ने पक्ष रखा। अदालत अब दो सप्ताह बाद इस जनहित याचिका पर सुनवाई करेगी। हजारीबाग में भूमि-मुआवजा से संबंधित गड़बड़ियों के सामने आने के बाद वर्ष 2016 में तत्कालीन उपायुक्त मुकेश कुमार की अनुसंशा पर, राज्य सरकार ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एसआईटी टीम गठित की थी। एसआईटी की टीम ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट में 3000 करोड़ के भूमि मुआवजा घोटाले किए जाने और 300 करोड़ मुआवजा बांट दिए जाने की जानकारी दी थी। प्रार्थी के मुताबिक, राज्य सरकार द्वारा कार्रवाई के नाम पर अब तक सिर्फ एनटीपीसी के प्रबंध निदेशक और हजारीबाग उपायुक्त को पत्राचार किया गया है। वहीं देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता वाली एसआइटी की रिपोर्ट फिलहाल सार्वजनिक नहीं की गयी है। जानकारी के मुताबिक, रिपोर्ट में कई रसूखदारों द्वारा सरकारी गैर मजरुआ खास-आम भूमि, सार्वजनिक उपयोग की जाने वाली जमीन, श्मशान घाट,स्कूल, मैदान आदि जमीनों का भी फर्जी कागजात बनाकर मुआवजे का बंदरबांट किया गया था। देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता वाली एसआईटी रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं किए जाने के बाद मंटू सोनी ने इसकी शिकायत पीएमओ से भी की थी। पीएमओ की तरफ से मुख्य सचिव को कार्रवाई करने और कार्रवाई की रिपोर्ट तलब करने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इधर राज्य सरकार द्वारा एसआईटी रिपोर्ट के बाद एनटीपीसी को कई बार पत्राचार किया गया। लेकिन एनटीपीसी की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। एनटीपीसी अपनी सफाई में बस इतना कहती है कि हमने जो मुआवजा बांटा है, वह राज्य सरकार के अधिकारियों के क्लियरेंस देने के बाद बांटा है। लेकिन इस सवाल का जवाब नहीं देती है कि मुआवजा वितरण से पहले जमीन का भौतिक सत्यापन क्यों नहीं किया?