विशेष
-राहुल गांधी प्रकरण पर चुप्पी के बाद से ही उठने लगे हैं सवाल
-भाजपा नेता के घर जाने के बाद से बिहार में ‘प्रसाद पॉलिटिक्स’ की चर्चा
-नये ‘मौसम वैज्ञानिक’ बनते जा रहे हैं सुशासन बाबू

राजनीति भी अजीब फंडा है और फिर यदि वह बिहार की राजनीति हो, तो इसके तो जलवे ही अलग हैं। यहां के नेताओं की हर गतिविधि के पीछे कुछ न कुछ सियासी मतलब निकाला जाता है। इसलिए बिहार में राजनीति की संभावनाएं किसी भी दूसरे राज्य के मुकाबले अधिक संवेदनशील होती हैं। अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही ले लीजिए। वह चैती छठ महापर्व के मौके पर भाजपा के विधान पार्षद संजय मयूख के सरकारी आवास पर खरना का प्रसाद लेने पहुंचे थे। सीएम कुछ देर वहां रुके, बातचीत की और खरना प्रसाद खाकर वापस चले गये। इस पूरे प्रकरण में प्रत्यक्ष रूप से कोई सियासी बात दिखायी नहीं देती है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से नीतीश कुमार के रुख में जो बदलाव देखा जा रहा है, उससे इस ‘प्रसाद पॉलिटिक्स’ की चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है। अब इस बात की संभावना देखी जाने लगी है कि क्या नीतीश कुमार एक बार फिर पलटी मारने की तैयारी कर रहे हैं। यह सवाल पूरी तरह खारिज किये जाने लायक भी नहीं है, क्योंकि पहले तेजस्वी से सीबीआइ की पूछताछ और फिर राहुल गांधी प्रकरण पर नीतीश कुमार की चुप्पी ने इस संभावना को हवा दे दी है। इतना ही नहीं, रामचरित मानस विवाद और राजद विधायक सुधाकर सिंह के मुद्दे पर राजद के रुख को भी नीतीश भूल नहीं पाये हैं। ऐसे में उन्हें बिहार का नया ‘मौसम वैज्ञानिक’ बताया जा रहा है, जो 2024 में अपनी छिपी हुई महत्वाकांक्षा को पूरा होने का सपना देखने लगे हैं। बिहार की राजनीति में आये इस नये ट्विस्ट का पूरा विश्लेषण कर रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

उगते सूरज को हर कोई नमस्कार करता है, लेकिन बिहार का छठ अकेला ऐसा पर्व है, जिसमें डूबते सूरज का महत्व उग रहे सूर्य से कम नहीं है। सूर्य उपासना का ऐसा ही एक और पर्व चैती छठ बिहार में मनाया जा रहा है और इस राज्य की सियासत की धुरी कई बार इन्हीं ‘उत्सवी कूटनीति’ से गति पाती आयी है। इस वक्त बिहार की राजनीति के केंद्र में हैं सीएम नीतीश कुमार और उनके चारों तरफ अटकलों का एक नया घेरा हर दिन बनता जा रहा है। कहा जा रहा है कि सीएम नीतीश अपना सियासी रथ जिस दिशा में हांक रहे हैं, बड़ी ही जल्दी उससे यू-टर्न लेने वाले हैं, यानी सुशासन बाबू एक बार फिर पलटी मारने की तैयारी में हैं।

संजय मयूख के घर पहुंचे थे सीएम नीतीश
इस बात की अटकलों में और तेजी रविवार शाम से आयी है, जब सीएम नीतीश भाजपा नेता संजय मयूख के घर खरना का प्रसाद खाने पहुंच गये। खरना चार दिन चलने वाले चैती छठ पर्व का दूसरा दिन होता है, जिसमें व्रती महिलाएं दिन भर व्रत रख कर शाम को सूर्यदेव और छठी माता को भोग लगा कर गुड़ के रस से बनी खीर और रोटी का प्रसाद बांटती हैं और फिर खुद भी खाती हैं। खरना के प्रसाद का महत्व इसलिए है, क्योंकि यह अधिक से अधिक लोगों में बांटने की कोशिश होती है और जो भी यह प्रसाद खा लेता है, ऐसा मानते हैं कि उससे कोई बैर नहीं रहा, वह अपनी ही जमात का आदमी हुआ।

राहुल गांधी मामले में चुप क्यों हैं सीएम नीतीश कुमार
इस पलटी मारने वाले कथन को बल बीते गुरुवार को भी मिला, जब राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता छिन गयी थी। इस मामले में हर राजनीतिक दल और राजनेता की प्रतिक्रिया आयी, लेकिन सीएम नीतीश चुप्पी साधे रहे। सवाल उठता है कि क्या सीएम नीतीश कुमार भाजपा के साथ अपने चल रहे खट्टे-कड़वे रिश्ते को कूलिंग आॅफ पीरियड की ओर लेकर जा रहे हैं। एक बार फिर लौटते हैं, संजय मयूख के घर, जहां सीएम नीतीश हंसते-मुस्कुराते लोगों से मिल रहे हैं। सीएम नीतीश यहां अकेले नहीं गये, बल्कि बड़े दल-बल के साथ पहुंचे थे। इस मौके पर वित्त मंत्री विजय चौधरी और कई अन्य बड़े नेता भी उनके साथ थे।

संजय मयूख के घर जाने के क्या हैं मायने
सवाल यह है कि नीतीश का संजय मयूख के घर जाना इतना सियासी महत्व क्यों पा रहा है? इसकी वजह है कि डॉ संजय मयूख बिहार में भाजपा के विधान पार्षद हैं। दूसरे वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। इस लिहाज से अगर सीएम नीतीश प्रचलित अटकलों के मुताबिक पलटी मारने ही वाले हैं, तो इस क्रिया में जिस संभावित दरवाजे को उन्हें खटखटना है, बिहार में उसकी कुंडी संजय मयूख के पास है।

याद आती है अप्रैल 2022 की वो एक शाम
खरना के बारे में इस मान्यता के बाद यह सवाल तो बनता ही है कि क्या सीएम नीतीश भाजपा नेता संजय मयूख के घर इसी वादे-इरादे के साथ पहुंचे थे कि वह साबित कर सकें कि वह भाजपा से अलग नहीं हैं, या फिर उन्हें अलग नहीं समझा जाये। इस पूरे आयोजन की जिस तरह की तस्वीरें आयी हैं, वे कुछ साफ-साफ तो नहीं कहतीं, लेकिन सीएम नीतीश की बॉडी लैंग्वेंज को लेकर कुछ इशारा जरूर करती हैं। वह हाथ जोड़े हुए, हंसते-मुस्कुराते हुए संजय मयूख के घर पहुंचे हैं। लोगों से गर्मजोशी से मिल रहे हैं। उनका यह अंदाज अप्रैल 2022 की याद दिलाता है।

जब इफ्तार के लिए राबड़ी आवास पहुंचे थे सीएम नीतीश
अप्रैल 2022 में बिहार में पूर्व सीएम राबड़ी देवी के आवास पर दावत-ए-इफ्तार का आयोजन किया गया था। इस दौरान सीएम नीतीश बिहार से लेकर केंद्र की सत्ता तक को चौंकाते हुए इसी हाथ जोड़े हुए अंदाज में राबड़ी आवास तक पैदल गये थे। इसके ठीक दो दिन बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बिहार दौरा था और सीएम नीतीश का इस दौरान राबड़ी आवास जाना बड़ा सियासी संकेत था। यह ‘उत्सवी राजनीति’ पूरी तरह अगस्त में खुल कर आयी, जब एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत नीतीश ने एनडीए से दामन छुड़ा लिया और राजद का साथ लेकर महागठबंधन में शामिल हो गये। इसके साथ ही उन्होंने फिर से एक बार सीएम पद की शपथ ली।

बिहार की सियासत में उथल-पुथल
इसके बाद से बिहार की सियासत में उथल-पुथल जारी है। अंदरखाने की हलचल बता रही है कि राजद-जदयू में सब कुछ ठीक नहीं है। राजद के पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह हाथ धोकर सीएम नीतीश के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं। उधर, उपेंद्र कुशवाहा ने जनवरी 2023 में यह कह कर हलचल मचा दी कि सीएम नीतीश और राजद में कोई डील हुई है। इस डील की बाबत कहा जाता है कि नीतीश बस कुछ ही दिन सीएम रहेंगे, फिर कुर्सी तेजस्वी को दे देंगे। राजद की ओर से कई बार सीएम नीतीश को पीएम मेटेरियल बता कर बहाने से यह भी कहा गया है कि वह 2024 की समग्र तैयारी करें, बिहार के सीएम की कुर्सी तेजस्वी के लिए छोड़ दें। जगदानंद सिंह ने जनवरी में कहा था कि लालू यादव में वह ताकत है कि वह नीतीश कुमार को पीएम बना सकते हैं। राजद के मंत्री मृत्युंजय तिवारी भी कह चुके हैं कि तेजस्वी यादव सीएम बनने वाले हैं। इधर लालू परिवार के खिलाफ जांच एजेंसियों की तेजी और उन लोगों पर लग रहे आरोप से भी सुशासन बाबू का चेहरा असहज मजसूस कर रहा है। जिस तरह से सुशील मोदी लालू परिवार के खिलाफ आरोपों का पुलिंदा जारी कर रहे हैं, उससे कहीं न कहीं नीतीश की छवि को धक्का लग रहा है।

राजद में लगातार हो रही तेजस्वी को सीएम बनाने की बात
17 जनवरी के ही एक वाकये को याद करें, बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने अपने एक ट्वीट में लिखा, ‘बुनियादी संसाधन, उचित पाठन, शिक्षित बिहार-तेजस्वी बिहार’। उनके इस ट्वीट में ‘तेजस्वी’ आ जाने से इसके कई मायने निकाले गये। इधर उपेंद्र कुशवाहा और भाजपा नेता भी बार-बार दोहराते रहे हैं कि नीतीश कुमार एक बार और पलटी मारेंगे। इससे पहले अक्टूबर 2022 में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी दावा कर चुके हैं कि सीएम नीतीश कुमार एक बार फिर पलटी मारेंगे। उन्होंने कहा था कि महागठबंधन में भाजपा और पीएम मोदी को हराने की ताकत नहीं है। सीएम नीतीश एक बार फिर पलटी मारेंगे। बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी भी कई मौकों पर ऐसी ही बात कह चुके हैं। दिसंबर 2022 में जहरीली शराब मामले में सीएम को घेरते हुए सुशील मोदी ने कहा था कि जो पलटी मारेगा, वह क्या सरकार चलायेगा।

नीतीश की भाजपा नेताओं से नजदीकियां
हाल के दिनों में नीतीश कुमार की भाजपा नेताओं से नजदीकियां बढ़ी हैं। पिछले दिनों सीएम नीतीश पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद के पिता के श्राद्धकर्म में शामिल होने उनके घर गये थे। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से उनकी फोन पर बातें हुईं। नीतीश यह भी समझ चुके हैं कि भाजपा उनके अति पिछड़ा वोट बैंक को तेजी से कमजोर कर रही है। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री खुद को महागठबंधन में असहज महसूस कर रहे हैं। ऐसे में वह लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन बदलने का फैसला ले सकते हैं। ऐसे में अब देखना यह है कि सीएम नीतीश कितने दिन में सारी अटकलों को सच साबित करते हुए मौजूदा दिशा से ‘यू-टर्न’ लेते हैं। हालांकि सीएम नीतीश के मन में क्या है यह किसी को नहीं पता है।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version