रांची। राष्ट्रीय उद्यान बेतला नेशनल पार्क में हजारों पशुओं पर एक भी चिकित्सक उपलब्ध नहीं है. जब भी किसी जानवर को शारीरिक नुकसान पहुंचता है तो पीटीआर प्रबंधन उसके इलाज के लिए प्रखंड में पदस्थापित निजी पशु चिकित्सक का सहारा लेने को मजबूर होता है. इस संबंध में जब हमने पीटीआर के निदेशक कुमार आशुतोष से पूछा तो उन्होंने कहा कि पीटीआर प्रबंधन अगले माह संविदा के आधार पर पशु चिकित्सक की नियुक्ति करेगा.
पलामू टाइगर रिजर्व में 29 प्रकार के वन्यप्राणी है, जिसकी तायदाद 35 से 40 हजार हैं. हाथी, चीतल, हिरण, बंदर, तेंदूआ, लकड़बग्घा, नीलगाय, चौसिंघा, भेड़िया, खरगोश के अलावा विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी निवास करते हैं. इस टाइगर प्रोजेक्ट को सन 1974 में शुरू किया गया था, लेकिन आज से अबतक जानवरों के इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं थी. लातेहार जिलान्तर्गत 1130 वर्ग किलोमीटर में फैले इस रिजर्व में अबतक जानवरों के इलाज बाहरी पशु चिकित्सकों द्वारा की जाती थी. वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम 1972 में अस्तित्व में आई थी.
पीटीआर के डायरेक्टर कुुमार आशुतोष कहते हैं कि ऐसी स्थिति से निपटने में रांची से भी पशु चिकित्सकों को बुलाया जाता रहा है. हमारे जगल में रहने वाले जीव-जन्तु को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होने दी जायेगी. अगले माह से यहां पशु चिकित्सक की नियुक्ति कर दी जायेगी. इस अभ्यारण में मनुष्य और वन्यप्राणी के संघर्ष में अमूमन जानवरों को ही नुकसान होता है, विशेष कर हिरण का शिकार किए जाने की शिकायत जब-तब मिलती रही है और इस क्रम में घायल जीव-जंतुओं को मौके पर ही इलाज की सुविधा पशु चिकित्सक के होने से उपलब्ध होगी.
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