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    Home»राजनीति»लोकसभा चुनाव : कोडरमा संसदीय सीट पर भाजपा का पलड़ा भारी
    राजनीति

    लोकसभा चुनाव : कोडरमा संसदीय सीट पर भाजपा का पलड़ा भारी

    adminBy adminMarch 18, 2024No Comments5 Mins Read
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    रांची। राज्य की कोडरमा लोकसभा सीट पर कांग्रेस कभी भी मजबूत नहीं रही है। यह भाजपा की पारंपरिक सीट मानी जाती है। भाजपा ने यहां हुए 13 लोकसभा चुनावों में छह बार जीत दर्ज की है जबकि कांग्रेस दो बार। इस लोकसभा क्षेत्र में कोडरमा विधानसभा क्षेत्र के अलावा हजारीबाग जिले का बरकट्ठा, गिरिडीह का धनवार, बगोदर, जमुआ और गांडेय विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इस संसदीय क्षेत्र को अभ्रक के लिए जाना जाता है। साथ ही बिहार के बॉर्डर पर होने के कारण इसे झारखंड का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। यहां से फिलहाल अन्नपूर्णा देवी सांसद हैं और केंद्र में मंत्री भी हैं।

    1977 में हुआ पहला लोकसभा चुनाव

    कोडरमा लोकसभा सीट का गठन 1977 में हुआ था। 1977 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में भारतीय लोकदल के रीतलाल प्रसाद वर्मा कोडरमा लोकसभा सीट से जीते थे और उन्हें कुल 64.8 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चपलेंदु भट्टाचार्य को 20.4 फीसदी वोट मिले। 1980 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी के रीतलाल प्रसाद वर्मा जीते और उन्हें 39.5 प्रतिशत वोट मिले जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जावेद वारसी को 31.3 प्रतिशत वोट मिले। 1984 के लोकसभा चुनाव में तिलकधारी सिंह ने इस सीट से जीत हासिल की थी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तिलकधारी सिंह को 57 प्रतिशत वोट मिले जबकि भारतीय जनता पार्टी से चुनाव लड़े रीतलाल प्रसाद वर्मा को 26.6 प्रतिशत वोट मिले।

    भाजपा ने 1989 में हासिल की जीत

    1989 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के रीतलाल प्रसाद वर्मा फिर से इस सीट से जीते, उन्हें कुल 44.5 प्रतिशत वोट मिले जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 25.8 प्रतिशत वोट और झारखंड मुक्ति मोर्चा को 20.3 प्रतिशत वोट मिले। 1991 के लोकसभा चुनाव में जनता दल ने यहां से जीत हासिल की और उनके उम्मीदवार मुमताज अंसारी को 32.6 फीसदी वोट मिले। भाजपा के रीतलाल प्रसाद वर्मा को 29.7 फीसदी वोट मिले जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तिलकधारी प्रसाद सिंह को 25.7 फीसदी वोट मिले।

    रीतलाल प्रसाद वर्मा 1996 में फिर जीते

    1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के रीतलाल प्रसाद वर्मा एक बार फिर यहां से जीते। उन्हें 38.7 प्रतिशत वोट मिले जबकि जनता दल के रमेश प्रसाद यादव को 31.2 प्रतिशत। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उमेश चंद्र अग्रवाल को 11 प्रतिशत और झारखंड मुक्ति मोर्चा के सालखन सोरेन को 7.5 प्रतिशत वोट मिले। 1998 के लोकसभा चुनाव में यह सीट एक बार फिर भाजपा के खाते में गई और रीतलाल प्रसाद वर्मा 41.2 फीसदी वोट के साथ विजयी रहे।

    दूसरे स्थान पर रहे राष्ट्रीय जनता दल के आबिद हुसैन को 26.8 फीसदी वोट मिले जबकि इंडियन नेशनल कांग्रेस के तिलकधारी प्रसाद सिंह को 18 फीसदी वोट मिले। 1999 के लोकसभा चुनाव में यह सीट भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने जीती थी। इसमें तिलकधारी प्रसाद सिंह को 45.4 फीसदी वोट मिले थे जबकि भाजपा के रीतलाल प्रसाद वर्मा को 43.8 फीसदी वोट मिले थे।

    झारखंड बंटवारे के बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा जीती

    झारखंड विभाजन के बाद 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा के उम्मीदवार बाबूलाल मरांडी ने जीत हासिल की। 2004 में कोडरमा लोकसभा सीट ही एकमात्र ऐसी सीट थी, जहां भाजपा विजयी रही थी। दूसरे स्थान पर झारखंड मुक्ति मोर्चा की चंपा वर्मा रहीं थी।

    बाबूलाल मरांडी ने जेवीएम से 2009 में जीते

    2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने वाले बाबूलाल मरांडी एक बार फिर कोडरमा लोकसभा सीट से विजयी हुए। झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को 25.6 फीसदी वोट मिले जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लिबरेशन को 19.3 फीसदी वोट, भाजपा को 14.8 फीसदी वोट और राष्ट्रीय जनता दल को 14.2 फीसदी वोट मिले।

    2014-2019 में भाजपा का कब्जा

    2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भी मोदी लहर का असर दिखा और भाजपा को जीत मिली। भाजपा उम्मीदवार रवींद्र कुमार राय ने कोडरमा लोकसभा सीट से जीत हासिल की। उन्हें कुल 35.7 फीसदी वोट मिले। जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लिबरेशन दूसरे स्थान पर थी, वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रजातांत्रिक तीसरे स्थान पर थी।

    2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपना उम्मीदवार बदल दिया और कभी राष्ट्रीय जनता दल की कद्दावर नेता रहीं अन्नपूर्णा देवी को भाजपा ने अपने टिकट पर मैदान में उतारा। यह फैसला भाजपा के लिए सही साबित हुए। भाजपा की अन्नपूर्णा देवी 62.3 फीसदी वोट के साथ विजयी रहीं जबकि 2004 में भारतीय जनता पार्टी को पहली जीत दिलाने वाले और झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, जिन्होंने अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक से चुनाव लड़ा था, उन्हें सिर्फ 24.6 फीसदी वोट मिले।

    इस बार राजनीतिक परिवर्तन बड़ा रूप ले चुका है। 2019 में अन्नपूर्णा देवी ने भाजपा से जबकि बाबूलाल मरांडी ने झारखंड विकास मोर्चा से चुनाव लड़ा था। अन्नपूर्णा देवी को 62.3 फीसदी और बाबूलाल मरांडी को 24.6 फीसदी वोट मिले। अब जब बाबूलाल मरांडी भाजपा का हिस्सा बन गए हैं और अन्नपूर्णा देवी भी मोदी सरकार में मंत्री हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि कोडरमा सीट भाजपा के लिए काफी सुरक्षित है।

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