सहरसा। मैथिली भाषा एवं साहित्य का प्रतिष्ठित पुरस्कार विश्व मैथिली साहित्य पुरस्कार मैथिली के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार, समालोचक डॉ. सुभाष चन्द्र यादव को प्रदान किया जायेगा। डॉ. यादव मैथिली, हिन्दी, बंगला, संस्कृत, उर्दू, अंग्रेजी, स्पेनिश एवं केंच भाषा के ज्ञाता हैं। उनका जन्म 5 मार्च 1948 में हुआ। साहित्यिक विधा में डॉ. सुभाष चन्द्र यादव कथाकार, समीक्षक एवं अनुवादक है। डॉ. यादव मूलतः बलवा मेनाही, जिला सुपौल, बिहार के रहने वाले है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविधालय, नई दिल्ली से हिन्दी में स्नातकोत्तर एवं शोध करने के बाद उन्होंने कई वर्षों तक अध्यापन के क्षेत्र में योगदान दिया।

महज एक कहानी ”घरदेखिया” से सुभाष ने मैथिली व हिन्दी जगत में अपनी धमक बनाई है। इनकी कई कथा साहित्य अकादमी दिल्ली के पत्रिका समकालीन भारतीय साहित्य ”पहल”, ”ज्ञानोदय” व ”हंस” में प्रकाशित हो चुकी है। वर्ष 2013 में सुभाष को प्रबोध साहित्य सम्मान प्रदान किया गया। डॉ. सुभाष चन्द्र यादव को साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित अनेकों पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। आपने मैथिली भाषा में लगभग 70 से अधिक कथाए, 30 समीक्षा एवं हिन्दी, बंगला एवं अंग्रेजी मे अनेक अनुवाद प्रकाशित है।डॉ. यादव को विश्वम्भर मैथिली साहित्य सम्मान 2023 का सम्मान 10 मार्च को रांची के हरमू क्षेत्र स्थित स्वागतम बैंकवेंट हॉल में भव्य कार्यक्रम के आयोजन मे समाज के गणमान्य अथिति एवं साहित्यकारों की उपस्थिति में प्रदान किया नायेगा।

विश्वम्भर फाउंडेशन ट्रस्ट का गठन वर्ष 2018 में किया गया। इसके सचिव, नवीन कुमार झा, जो मिथिला नगरी दरभंगा जिला के अधार गांव के मूल निवासी है। इनके परिवार के सदस्यों ने मिलकर अपने पिता के स्मृति में इस फाउंडेशन का गठन किया। नवीन कुमार झा और आपके अनुज, राजेश कुमार झा झारखण्ड के रांची में रियलस्टेट के व्यापार से जुड़े हैं। विश्वम्भर फाउंडेशन एक चौरिटेबल ट्रस्ट है। यह न्यास सामजिक, सांस्कृतिक और भाषा-साहित्य के विकास के लिए कार्य करता है। मानव सेवा सबसे बड़ा धर्म का कार्य है, इसी मूल मंत्र को ध्यान में रखकर फाउंडेशन अनवरत अपने स्थापना काल से भाषा साहित्य, शिक्षा एवं अनेको क्षेत्र में कार्य करता आया है और आगे कार्य करता रहेगा।

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