ब्रह्मर्षी धर्मशाला मनाई गई स्वामी सहजानंद सरस्वती की 136वीं जयंती

रामगढ़। स्वामी सहजानंद सरस्वती का जीवन आम लोगों के लिए समर्पित था। उन्होंने किसानों को उनका हक दिलाने के लिए आंदोलन किया। यही वजह थी कि किसान आंदोलन के प्रणेता माने गए। यह बातें रविवार को रामगढ़ शहर के अषेश्वर सिंह ब्रह्मर्षि धर्मशाला में स्वामी सहजानंद सरस्वती की 136वीं जयंती समारोह में रामगढ़ विधायक सुनीता चौधरी ने कही। उन्होंने कहा कि स्वामी सहजानंद आम जनमानस से जुड़े हुए थे। उन्होंने कभी भी अपनी चिंता नहीं की, बल्कि किसानों और समाज के विकास के लिए ही अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। लोगों को न्याय दिलाने के लिए वह कई बार जेल गए, लेकिन वहां भी उनके आंदोलन को विराम नहीं मिला।

मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद नागेश्वर सिंह ने कहा कि स्वामी सहजानंद सरस्वती विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने तब अपनी छाप छोड़ी जब वे अपनी पढ़ाई कर रहे थे। 11वीं की पढ़ाई के बाद ही उन्होंने अपनी दिशा तय कर ली थी। कई बार घर वालों ने उन पर दबाव डाला लेकिन उन्होंने जो निर्णय लिया उससे वे महापुरुष बन गए।

उन्होंने समाज को वह दिशा दिखाई इसके बारे में तब लोग विचार भी नहीं कर पा रहे थे। व्यवसायियों और दमन करने वालों के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए उन्होंने संन्यास ग्रहण किया और कई पुस्तकों का निर्माण किया।

स्वामी सहजानंद सरस्वती, सुभाष चंद्र बोस के साथ भी हजारीबाग जेल में रहे थे। तब भी उन्होंने स्वाधीनता के लिए कई लेख लिखा। उन्होंने तब भी झारखंड के किसानों पर एक पुस्तक लिखी जिसका सीधा संबंध किसानों के उत्थान से जुड़ा हुआ है।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version