रांची। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट राज्य की महिलाओं, युवाओं, बुजुर्गों, दिव्यांगों, मजदूरों के लिए निराशाजनक बजट है। हालांकि सरकार ने इस बजट को अबुआ बजट का नाम दिया है जबकि हमारे लिए यह बजट निकृष्ट बजट है। उक्त बातें अमर कुमार बाउरी ने मंगलवार को चंदनकियारी स्थित आवासीय कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भले ही हेमंत सोरेन सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में 1.45 हजार करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया है जबकि सरकार अपने आंतरिक संसाधनों और राजस्व की वसूली मात्र बजट का 42 प्रतिशत ही कर पायेगी। हेमंत सोरेन ने अपने चुनावी भाषण में जो लोक लुभावने योजनाओं का सब्जबाग जनता को दिखाया वह इस बजट में धरातल पर उतरता नजर नहीं आ रहा है।
सरकार ने 200 यूनिट बिजली मुफ्त में देने का वादा किया था लेकिन आज हर घर में मीटर रीडिंग और बिजली बिल देने का काम कर रही है। इस सरकार ने मात्र 13 प्रतिशत बजट को कर्ज के रूप में दिखाया है वही बाकी का बजट केंद्र सरकार के खाते में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि ने कहा कि मंईंयां योजना के कारण ही सरकार दोबारा सत्ता में आयी है और अपने चुनावी भाषणों में और अखबारों में विज्ञापन के माध्यम से सरकार ने बताया था कि पिछली सरकार में ही राज्य की 60 लाख से अधिक महिलाओं को मंईंयां सम्मान योजना का लाभ दिया जा रहा है। यदि इस आंकड़े को देखा जाए तो 60 लाख महिलाओं को इस योजना का लाभ देने के लिए सरकार को 18000 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी जबकि इस बार के बजट में मात्र 13000 करोड़ रुपये ही मंईंयां सम्मान योजना के लिए दिया गया है। कहा जा सकता है कि अब सरकार मंईंयां सम्मान योजनाओं के लाभुकों को कम करने का मन बना रही है। आने वाले समय में यह आंकड़ा 35 से 40 लाख महिलाओं तक ही सीमित हो जायेगी।
इस सरकार ने मंईंयां योजना के नाम पर राज्य की सभी महिलाओं को धोखा देने का काम किया है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने भारतीय जनता पार्टी की तरफ से मांग किया कि सरकार राज्य की मातृ शक्ति के प्रति अपनी ईमानदारी को दिखाएं और 18 से 60 वर्ष तक की सभी महिलाओं को मंईंयां योजना का लाभ दें।पर्यटन में सरकार के नये बजट को देखते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2023- 24 के बजट में सरकार ने पर्यटन के विकास के लिए 349.20 करोड़ रूपया का प्रावधान लाया था जबकि वर्ष 2025-26 में यह आंकड़ा 336.64 करोड़ रूपया ही रह गया है। झारखंड को पर्यटन हब बनाने की बात कहने वाले हेमंत सोरेन की सरकार ने पर्यटन के बजट को ही काम कर दिया। उन्होंने कहा कि पर्यटन को आगे बढ़ाने के लिए विधि व्यवस्था का दुरुस्त होना अति महत्वपूर्ण होता है और यह सरकार विधि व्यवस्था को नियंत्रित नहीं कर पा रही है जिसका सीधा असर पर्यटन के क्षेत्र में हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस ऐतिहासिक बजट में दादा-दादी, दिव्यांगों, विधवाओं को पेंशन मिलेगा की नहीं इस पर भी आशंका है।