रांची। मुख्य सचिव अलका तिवारी ने सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया है कि वे राज्य में चल रही विभिन्न सड़क योजनाओं की लगातार मॉनिटरिंग करें। अगर किसी में कोई बाधा आ रही है, तो प्राथमिकता के आधार पर उसे दूर करें। जहां जरूरत हो, वहां संबंधित विभागों के साथ समन्वय करें और निर्बाध निर्माण का मार्ग प्रशस्त करें। उन्होंने कहा कि केंद्र से सड़क निर्माण परियोजनाओं को राज्य में लाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है।

एक बार स्वीकृति मिलने के बाद अगर ससमय निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ, तो योजना निरस्त होने का भी खतरा रहता है। इसलिए नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सड़क निर्माण में आ रही बाधाओं का समय पर समाधान करें, ताकि आगे के लिए भी सड़क निर्माण की योजनाएं राज्य के लिए केंद्र से ली जा सके। वह बुधवार को राज्य में चालू और शुरू होनेवाली सड़क योजनाओं की प्रगति की समीक्षा कर रही थीं।

कैंप लगाकर रैयतों को भुगतान करने का निर्देश
मुख्य सचिव की समीक्षा के दौरान स्पष्ट हुआ कि सड़क निर्माण में सबसे बड़ी बाधा उस जमीन का मुआवजा भुगतान को लेकर है, जिसके कागजात नहीं मिल रहे हैं। इसका समाधान निकालते हुए निर्देश दिया गया कि वैसी जमीनों को सरकारी मानकर काम शुरू करें और बाद में कागजात के साथ दावा सामने आता है, तो उसका मुआवजा भुगतान करें।

जहां मुआवजा भुगतान में देरी हो रही है, वहां कैंप लगाकर रैयतों को भुगतान करने को कहा गया। वहीं वन विभाग से जुड़े मसले को शीघ्र सुलझाने पर बल दिया गया। विधि व्यवस्था से बाधित कार्य को प्रशासनिक कुशलता से निपटाने का निर्देश दिया गया।

15 सड़कों का निर्माण जारी
झारखंड में कुल 3,536 किमी सड़क नेशनल हाइवे है। नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा 1,758 किमी। सड़क 52,476 करोड़ रुपये से निर्मित हो रही है, जिसमें से 13,993 करोड़ की लागत से 718 किमी सड़क का निर्माण पूरा हो चुका है। 11,643 करोड़ से 273 किमी। की 8 सड़कों के निर्माण की स्वीकृति मिल चुकी है।

वहीं 9,623 करोड़ की लागत से 263 किमी की 7 सड़कों का निर्माण डीपीआर और टेंडर प्रक्रिया में है। गौरतलब है कि झारखंड में प्रति एक लाख जनसंख्या पर नेशनल हाइवे की 8.62 किमी सड़क है, जो पूरे भारत में 11 किमी है।

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