Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Friday, May 9
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»विशेष»बिहार में राजद-कांग्रेस के बीच ‘कन्हैया’ का कांटा
    विशेष

    बिहार में राजद-कांग्रेस के बीच ‘कन्हैया’ का कांटा

    shivam kumarBy shivam kumarMarch 18, 2025Updated:March 20, 2025No Comments7 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    विशेष
    लालू-तेजस्वी की नाराजगी के बाद इंडी गठबंधन के भविष्य पर संशय
    कांग्रेस आलाकमान भी अब खुल कर बैटिंग करने की तैयारी में जुटा
    कन्हैया कुमार को लेकर गठबंधन के दूसरे घटक भी सहज नहीं दिख रहे

    नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
    बिहार में इस साल के अंत में होनेवाले विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गयी है। राज्य का चुनावी परिदृश्य अब तक तो सीधे मुकाबले की तरफ इशारा कर रहा है, लेकिन हाल के दिनों में इंडी गठबंधन के दो सबसे बड़े घटक, राजद और कांग्रेस के बीच में पैदा हुई दरार से यह परिदृश्य बदल भी सकता है। असल में बिहार में इंडी गठबंधन, जिसे महागठबंधन भी कहा जाता है, में कांग्रेस अब राजद से ज्यादा सक्रिय भूमिका निभा रही है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी दो बार बिहार का दौरा कर चुके हैं और दलित राजनीति पर केंद्रित कार्यक्रमों में शामिल हुए हैं। कांग्रेस ने अपने प्रभारी कृष्णा अल्लवरु को बिहार में रहने और नियमित रूप से रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है। पार्टी ने कन्हैया कुमार के नेतृत्व में 16 मार्च से बिहार में युवाओं को जोड़ने के लिए ‘नौकरी दो, पलायन रोको यात्रा’ शुरू की है। कांग्रेस की सक्रियता से राजद के भीतर खलबली देखी जा रही है। लालू-तेजस्वी ने कन्हैया कुमार को बिहार में सक्रिय करने पर आपत्ति जतायी है और राहुल गांधी को यह जानकारी भी दे दी है। समझा जा रहा है कि कन्हैया कुमार ही वह ‘कांटा’ हैं, जो राजद और कांग्रेस के रिश्तों की चादर को तार-तार कर रहा है। कन्हैया के प्रति राजद का रवैया और कांग्रेस, खास कर राहुल गांधी का उन पर भरोसा ही टकराव की जमीन तैयार कर रहा है। ऐसे में बिहार का चुनाव सीधे मुकाबले से त्रिकोणीय हो जाये, तो बहुत अधिक आश्चर्य नहीं होना चाहिए। क्या है कन्हैया कुमार को लेकर बिहार में राजद और कांग्रेस के बीच तल्खी और क्या हो सकता है इसका असर, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    बिहार में आठ महीने के बाद विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन सियासी दांव और समीकरण अभी से सेट किये जाने लगे हैं। प्रदेश में अपने खोये जनाधार को वापस पाने के लिए कांग्रेस पार्टी अब किसी पर निर्भर रहने की बजाय आत्मनिर्भर बनने की कवायद में है। इसके लिए पार्टी ने अपनी यूथ बटालियन यानी कन्हैया कुमार और कृष्णा अल्लावुरु को मैदान में उतार दिया है। कन्हैया कुमार ने भी रविवार 16 मार्च से ‘नौकरी दो, पलायन रोको यात्रा’ शुरू कर दी है। यात्रा का मकसद युवाओं को पार्टी से जोड़ने का है, लेकिन यह पदयात्रा पार्टी को फायदा पहुंचाने की बजाय नुकसान भी पहुंचा सकती है। सियासी जानकारों का तो यह भी कहना है कि कन्हैया कुमार की पदयात्रा कहीं कांग्रेस पार्टी को पैदल ना कर दे।
    दरअसल, बिहार में कांग्रेस पार्टी अभी तक राजद के पीछे खड़े होकर राजनीति कर रही थी। लेकिन राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जब से राहुल गांधी को इंडी ब्लॉक की कप्तानी से हटाने की सिफारिश की, तभी से दोनों दलों के बीच काफी मनमुटाव देखने को मिल रहा है। इस मुद्दे पर दलों के बीच काफी तीखी बयानबाजी देखने को मिल चुकी है। इस दौरान राहुल गांधी दो बार बिहार आये और दोनों बार लालू परिवार से मुलाकात की, लेकिन दोनों बार राजद को फंसाने वाले बयान देकर वापस गये। अब राजद को जवाब देने के लिए ही कांग्रेस पार्टी ने कन्हैया कुमार को बिहार में उतारा है। वैसे भी लालू परिवार के दबाव में ही कन्हैया कुमार को दिल्ली ट्रांसफर किया गया था।

    राजद को कन्हैया पर है आपत्ति
    विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कन्हैया कुमार को बिहार में सक्रिय करने से राजद नाराज हो गया है। लालू-तेजस्वी की तरफ से राहुल गांधी को इसका संदेश भी दिया जा चुका है। बताया जाता है कि पहले राहुल गांधी चंपारण से कन्हैया कुमार की यात्रा को रवाना करने आनेवाले थे, लेकिन लालू-तेजस्वी की नाराजगी ने उनके कदम रोक दिये। इसलिए कहा जा रहा है कि कांग्रेस द्वारा कन्हैया को सक्रिय करना पार्टी को फायदा की जगह नुकसान भी पहुंचा सकता है। सियासी जानकारों का कहना है कि कन्हैया कुमार के आने से बिहार कांग्रेस भी दो खेमों में बंट गयी है। कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू, कन्हैया कुमार, पप्पू यादव अभी एक कैंप में हैं और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह दूसरे कैंप में। अखिलेश प्रसाद का गुट राजद से रिश्ता रखने के समर्थन में है, जबकि कन्हैया कुमार का गुट अब ‘एकला चलो’ की नीति पर काम करना चाहता है। बिहार में कांग्रेस पार्टी 90 के दशक से राजद के सहारे ही राजनीति कर रही है। अब अचानक से राजद से अलग होकर चुनावी मैदान में कूदना उसके लिए खुदकुशी के बराबर होगा।

    यदि रिश्ता टूटा, तो क्या होगा
    ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि यदि कांग्रेस और राजद का रिश्ता कन्हैया के कारण टूटा, तो फिर बिहार में क्या होगा। इसका जवाब यही है कि नया समीकरण बनेगा। अकेले अपने दम पर लड़कर जीतना बिहार में किसी दल के लिए आसान नहीं है। प्रशांत किशोर जिस वोट बैंक के आधार पर राजनीति कर रहे हैं, कांग्रेस का आधार भी अकेले होने पर वही होगा। ऐसे में इन दोनों के बीच एक समीकरण पनप सकता है। वहीं दूसरी ओर कन्हैया कुमार तो अपनी पदयात्रा के पहले बयान में ही घिर गये हैं। वह नौकरी-रोजगार पर बोलते-बोलते अचानक से हनीमून की बातें करने लगे। पदयात्रा में एनडीए सरकार पर हमला करते हुए कन्हैया कुमार ने कहा कि यहां की जनता को न केवल शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ता है, बल्कि हनीमून मनाने तक के लिए भी दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ता है। चूंकि कांग्रेस पार्टी कन्हैया कुमार को प्रमोट कर रही है, तो उनकी हर बात में ‘बाल की खाल’ निकाली जायेगी, इतनी समझ तो कन्हैया कुमार को होनी ही चाहिए।

    क्यों कन्हैया से नाराज हैं लालू-तेजस्वी
    अब कन्हैया कुमार को लेकर लालू-तेजस्वी की नाराजगी के कारणों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। लालू-तेजस्वी का मानना है कि कन्हैया को यदि बिहार में स्थापित किया गया, तो वह राजद की जातीय गोलबंदी वाली राजनीति को खत्म कर देंगे। इतना ही नहीं, तेजस्वी के लिए वह बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं। इसलिए उन्हें बिहार से बाहर ही रखना अच्छा है। कन्हैया कुमार राजद के इन दोनों नेताओं के बारे में खुल कर तो कुछ नहीं कहते, लेकिन राजनीतिक जानकार कहते हैं कि उनके कदम कांग्रेस के लिए शुभ तो नहीं ही हो सकते। इसके अलावा कहा जा रहा है कि कन्हैया कुमार कांग्रेस के जिस पलायन और बेरोजगारी के मुद्दे को उठा रहे हैं, कमोबेश तेजस्वी का भी यही कोर मुद्दा है। ऐसे में इन दो युवा नेताओं के टकराव में सियासी परिदृश्य कैसा होगा, इसका अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है।

    कांग्रेस से नाराजगी के दूसरे कारण
    कन्हैया के अलावा राजद की कांग्रेस से नाराजगी के दूसरे कारण भी हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस को पता चला है कि बिहार के कुछ नेता राजद के करीब हैं। गुजरात दौरे के दौरान राहुल गांधी ने भाजपा के साथ सहयोग करने वाले कांग्रेस नेताओं की पहचान कर उन्हें हटाने का जिक्र किया था। उन्होंने पार्टी के कुछ सदस्यों को आगे करने और अन्य को दरकिनार करने की भी बात कही थी। कांग्रेस अब राजद खेमे में जवाबी हमले की तैयारी कर रही है और इसे लेकर राजद में खलबली है।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleगिरिडीह में जो लोग हाथ में रंग लेकर होली खेल रहे थे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है : बाबूलाल मरांडी
    Next Article खेलगांव आवासीय परिसर से लेफ्टिनेंट कर्नल का शव बरामद
    shivam kumar

      Related Posts

      भारत में हजारों पाकिस्तानी महिलाएं शॉर्ट टर्म वीजा पर भारत आयीं, निकाह किया, लॉन्ग टर्म वीजा अप्लाई किया

      May 1, 2025

      पाकिस्तान के शिमला समझौता रोकने से कहीं भारत उसके तीन टुकड़े न कर दे

      April 29, 2025

      सैन्य ताकत में पाकिस्तान पीछे लेकिन उसकी छाया युद्ध की रणनीति से सतर्क रहना होगा भारत को

      April 28, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • गृह मंत्रालय ने राज्यों को आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया
      • मप्र में सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियों पर रोक, मुख्यमंत्री ने बुलाई उच्च स्तरीय बैठक
      • भारत-पाकिस्‍तान तनाव के बीच 8 राज्यों के 29 एयरपोर्ट्स 10 मई तक बंद, कई उड़ानें रद्द
      • भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बीच आईपीएल 2025 स्थगित
      • बॉलीवुड हस्तियाें ने की भारतीय सेना की तारीफ
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version