रांची। विधानसभा के बजट सत्र के 18वें दिन विधायक प्रदीप यादव ने पिछड़ा वर्ग मंत्रालय के गठन की मांग की। उन्होंने कहा कि झारखंड में आदिवासियों, दलितों और पिछड़े वर्ग की संख्या 90% से भी अधिक है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए, झारखंड सरकार ने आरक्षण की सीमा को बढ़ाते हुए पिछड़ों के लिए 27% आरक्षण और जाति जनगणना कराने का निर्णय लिया है, लेकिन यह निर्णय अब तक प्रभावी नहीं हो पाया है।
उन्होंने संविधान के 93वें संशोधन (शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण) और हाईकोर्ट के निर्णय का भी जिक्र किया, जो राज्य में लागू नहीं हो पाया है, जिससे आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों को समुचित लाभ नहीं मिल रहा है। प्रदीप यादव ने अन्य राज्यों की तरह झारखंड में भी ह्लपिछड़ा वर्ग मंत्रालयह्व के गठन की मांग की, ताकि बड़ी आबादी के हितों की रक्षा हो सके।
इस पर मंत्री दीपक बिरूआ ने कहा कि पिछड़ों के कल्याण के लिए अलग विभाग संवैधानिक प्रावधान का मामला है। फिलहाल इस पर कोई विचार नहीं किया जा सकता। पीएम और राष्ट्रपति के पास प्रतिनिधिमंडल भेजने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस पर विचार किया जायेगा।
उत्तराखंड की तर्ज पर आंदोलनकारियों को मिले सुविधा : मथुरा
मथुरा प्रसाद महतो ने सदन में उत्तराखंड की तर्ज पर आंदोलनकारियों को सुविधा देने की मांग की। इस पर मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि उत्तराखंड की तर्ज पर आंदोलनकारियों को सुविधा मुहैया कराने का कोई प्रस्ताव लंबित नहीं है।
हालांकि पुलिस फायरिंग में घायल, जेल में मौत और 40 फीसदी से अधिक दिव्यांग के आश्रितों को तृतीय और चतुर्थ वर्ग में सीधी नियुक्ति दी जा रही है। अब तक 20 लोगों को सीधी नियुक्ति मिल चुकी है। तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरी में पांच फीसदी क्षैतिज आरक्षण भी दिया जा रहा है।
2021 से अब तक 16584 आंदोलनकारियों को चिन्हित किया गया है। इस पर समीक्षा के बाद आवश्यक कार्रवाई की जायेगी।
हेमलाल मुर्मू ने कहा कि इसी आंदोलन के कारण हमलोग आज विधानसभा के सदस्य हैं। मथुरा महतो ने कहा कि एक ही मुकदमे में जो लोग जेल गये, सभी को लाभ मिलना चाहिए। मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि चार्जशीट में जिन आंदोलनकारियों का नाम दर्ज है, उनको भी लाभ मिलना चाहिए।