तेजस्वी के सीएम फेस पर कांग्रेस ने उठाया सवाल
राहुल गांधी ने बिहार के लिए अलग प्लानिंग कर राजद को दे दी चुनौती

नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाला है, लेकिन राजनीतिक सरगर्मी अभी से तेज हो गयी है। एक तरफ जहां एनडीए ने यह साफ कर दिया है कि उसका चेहरा नीतीश कुमार ही होंगे, वहीं महागठबंधन में तलवार खिंचती हुई नजर आ रही है। महागठबंधन में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर अब बयानबाजी शुरू हो गयी है। कांग्रेस पार्टी ने तेजस्वी के सीएम फेस पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है, तो वहीं दूसरी तरफ राजद ने यह साफ कर दिया है कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जायेगा। कांग्रेस का कहना है कि जिस पार्टी के पास अधिक विधायक होंगे, सीएम उसका ही होगा, यानी तेजस्वी यादव को अभी से सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया जा सकता। कांग्रेस के इस बयान पर राजद का कहना है कि सीटों की बात नहीं है। यदि इंडी गठबंधन को बहुमत मिला, तो तेजस्वी ही बिहार की कमान संभालेंगे। इंडी गठबंधन के इन दो प्रमुख सहयोगियों के बीच शुरू हुई खटर-पटर की गूंज विधानसभा में भी सुनाई पड़ी, जब तेजस्वी यादव ने अपने भाषण में राज्य में कांग्रेस शासनकाल की गड़बड़ियों को उठाया और कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। इसके जवाब में कांग्रेस की तरफ से अब बिहार के लिए अलग प्लानिंग तैयार कर राहुल गांधी ने राजद के सामने बड़ी चुनौती पेश कर दी है। राहुल गांधी ने तेजस्वी के सामने पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को खड़ा कर राजद की रणनीति को करारा झटका दिया है। बिहार की राजनीति में वैसे तो चुनाव तक कई मोड़ आयेंगे, लेकिन शुरूआत में ही राजद और कांग्रेस के बीच का यह टकराव दूरगामी असर पैदा करेगा। क्या है बिहार में राजद और कांग्रेस का विवाद और क्या है दोनों पार्टियों की सियासी रणनीति, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसे लेकर सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी इंडी गठबंधन की तैयारियां शुरू हो गयी हैं। एनडीए की चुनावी गाड़ी जहां पटरी पर दौड़ती नजर आ रही है, वहीं इंडी गठबंधन की गाड़ी अभी से ही डगमगाने लगी है। इस गठबंधन के दो प्रमुख घटक, राजद और कांग्रेस के बीच अभी से ही खटर-पटर शुरू हो गयी है। यह खटर-पटर सीट शेयरिंग से लेकर सीएम फेस तक को लेकर शुरू हुई है। राजद ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है, तो वहीं कांग्रेस ने कहा है कि जिस पार्टी को सबसे अधिक सीटें मिलेंगी, सीएम उसका ही होगा। तेजस्वी को अभी से सीएम फेस बताना सही नहीं है। इसके अलावा कांग्रेस ने बिहार की 70 सीटों पर प्रत्याशी उतारने की बात कह दी है। इस चुनावी माहौल में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कांग्रेस और वर्तमान नीतीश सरकार पर निशाना साध कर आग में घी डाल दिया है। तेजस्वी ने 1990 से पहले के कांग्रेस शासनकाल और उसके बाद के लालू-राबड़ी राज की तुलना करते हुए वर्तमान सरकार की आलोचना की। उन्होंने छपरा के चुल्हाई तेली कांड का उदाहरण देते हुए सामाजिक न्याय के मुद्दे को भी उठाया।

क्या कहा तेजस्वी ने
तेजस्वी यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन की अटकलों के बीच कांग्रेस के 70 सीटों पर चुनाव लड़ने के दावे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसकी बजाय उन्होंने 1990 से पहले के कांग्रेस शासन पर सवाल उठाकर सबको चौंका दिया। तेजस्वी यादव ने 1990 के पहले और बाद के बिहार की स्थिति की तुलना की। उन्होंने अपने पिता और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के शासनकाल को समाज के अंतिम व्यक्ति को आवाज देने वाला राज बताया। उन्होंने कहा कि पिछड़े, अति पिछड़े और दलित विधायक-एमएलसी, सांसद और आयोगों के चेयरमैन और सदस्य बनाये गये। तेजस्वी ने इस दौरान कांग्रेस शासनकाल सवाल उठाते हुए कहा कि उसने बिहार को क्या दिया, लोगों को यह पता है।

सियासी गलियारों में हलचल
तेजस्वी के विधानसभा में दिये गये इस बयान और कांग्रेस द्वारा 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग पर राजद की चुप्पी चुनावी गठबंधन को लेकर कई सवाल खड़े कर रही है। तेजस्वी यादव के इस बयान से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गयी है। कांग्रेस ने उनके बयान पर सीधे कोई टिप्पणी तो नहीं की है, लेकिन बताया जाता है कि पार्टी आलाकमान इस पर गंभीर है।

राहुल गांधी हुए एक्टिव
बिहार की ताजा राजनीतिक स्थिति के मद्देनजर अब यह तय हो गया है कि राहुल गांधी का पूरा फोकस अब बिहार पर ही रहने वाला है। लोकसभा चुनाव के बाद हुए हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की कोशिश और प्रदर्शन को देखते हुए 2024 के आखिर तक लगने लगा था कि राहुल गांधी अगर चाहें तो 2025 यूं ही गुजार सकते हैं और पूरी एनर्जी अगले आम चुनाव की तैयारी में लगा सकते हैं, क्योंकि दिल्ली और बिहार चुनाव में कांग्रेस को कुछ खास हासिल होने के कम ही चांस थे। दिल्ली चुनाव के नतीजों को नंबर के नजरिये से देखें तो कांग्रेस जीरो बैलेंस अकाउंट वाली ही लगती है, लेकिन राजनीति के हिसाब से देखें तो कांग्रेस लड़ती हुई नजर आने लगी है। दिल्ली चुनाव में कांग्रेस को कुछ न मिलकर भी बहुत कुछ मिला है और सबसे बड़ा हासिल तो कांग्रेस को खोखला कर देने वाली आम आदमी पार्टी की हार है। वास्तव में दिल्ली चुनाव ने हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र की हार से डगमगा चुके कांग्रेस के आत्मविश्वास को वापस दिला दिया है और कांग्रेस की बिहार की टीम की बातों और सक्रियता से तो ऐसा ही लगता है कि वह लालू और तेजस्वी यादव के राजद को कोई खास भाव देने वाली नहीं है। कांग्रेस ने लालू परिवार को साफ कर दिया है कि वह राजद की बी-टीम बिल्कुल नहीं है।

क्या बिहार में कांग्रेस दिल्ली से बेहतर कर सकेगी
बिहार में कांग्रेस के लिए दिल्ली से बेहतर स्कोप है। दिल्ली की तरह वह बिहार से आॅल-आउट नहीं हुई है। नंबर तो उत्तर प्रदेश में भी दो विधायकों तक पहुंच गया है, प्रियंका गांधी जैसी बड़ी नेता के हद से ज्यादा एक्टिव होने के बावजूद – लेकिन बिहार में यूपी के मुकाबले कांग्रेस बेहतर पोजीशन में अब भी है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस ने बिहार का पूरा मामला राहुल गांधी को संभालने के लिए दे दिया है। कृष्णा अल्लावरु को प्रभारी बना कर राहुल गांधी ने खुद के एक्टिव होने का संकेत भी दे दिया है।

बिहार के लिए अलग प्लानिंग
राहुल गांधी ने अपनी टीम के साथ बिहार की तमाम परिस्थितियों का आकलन किया है। बताया जाता है कि उन्होंने बिहार के लिए अलग प्लानिंग कर राजद के सामने बड़ी चुनौती पेश कर दी है। इस प्लानिंग के तहत अब कांग्रेस बिहार में पप्पू यादव-रंजीता रंजन और कन्हैया कुमार को आगे बढ़ाने में लग गयी है। राहुल गांधी जानते हैं कि पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को लेकर लालू यादव सहज नहीं हैं। असल में लालू यादव नहीं चाहते थे कि किसी भी सूरत में कन्हैया कुमार और पप्पू यादव कांग्रेस में शामिल हों। कन्हैया कुमार के मामले में तो उनकी नहीं चली, लेकिन पप्पू यादव के केस में तेजस्वी यादव का विरोध भारी पड़ा। राहुल गांधी जानते हैं कि ये दोनों चेहरे लालू यादव-तेजस्वी यादव के लिए पीड़ादायक हैं। राहुल गांधी ने साल के शुरू में ही ताबड़तोड़ बिहार दौराकर लालू यादव और तेजस्वी यादव को कांग्रेस का इरादा जता दिया है, उनकी बिहार टीम भी लगता है जैसे कहर ढा रही है। नये प्रभारी कृष्णा अल्लावरु भी पटना में जमे हुए हैं। लगातार कांग्रेस नेताओं के साथ मीटिंग कर रहे हैं और समझा रहे हैं कि आने वाले विधानसभा चुनाव में क्या और कैसे करना है। इसके अलावा अब चर्चा है कि भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर राहुल गांधी की बिहार यात्रा के बारे में भी सोचा जा रहा है। सोचने में क्या है, अमल में भी आये तब तो। यात्रा तो दिल्ली में भी हुई थी, लेकिन तब राहुल गांधी झांकने तक नहीं गये थे। क्या पता, बिहार का प्लान कुछ और हो। बिहार में तो नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और यहां तक कि नये प्लेयर प्रशांत किशोर भी यात्रा कर रहे हैं।

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version