जयपुर: राजस्थान के 60 प्रतिशत से आधिक रेतीले भू-भाग पर उगने वाले केर-सांगरी पुरातनकाल में यहां के निवासियों के भरण-पोषण का आहार बनी हई थी। लेकिन आज यह राजस्थान थीम के पांच सितारा होटलों की शान बनी हुई है।
कभी फ्री में मिलने वाली यह केर सांगरी आज बादाम की कीमत को मात दे रही है। राजस्थान के राज्य वृक्ष खेजड़ी से मिलने वाली सांगरी को सुखाने के बाद अचार व सब्जी बनाने के उपयोग में लिया जाता है।
इसके उत्पादन के लिए किसी भी प्रकार के खाद-बीज की जरूरत नहीं होती है। इसकी बढ़ती पहचान के कारण आज इसकी मांग विदेशों में भी तेजी से बढ़ रही है।
कहां है इसका उत्पादन
सांगरी का उत्पादन पश्चिमी राजस्थान में बहुतायात में होता है। जिसमें सबसे अधिक उत्पादन नागौर, औंसिया एवं पोकरण में होता है। नागौर के सांगरी व्यापारी विजय कुमार का कहना है कि बाजार में इसकी मांग काफी बढ़ रही है।
नागौर में लगभग 2500 टन सांगरी का उत्पादन होता है। जिसे देश-विदेश में निर्यात किया जाता है। साथ ही मारवाड़ी लोग इसे खाने के काफी शौकीन होते हैं।
बादाम से कम नहीं है सांगरी
2001 से सांगरी के भाव में तेज़ी आयी, वर्तमान में इसका भाव 600 से 700 रू प्रति किलो के भाव से बिक रही है। जबकि 1960 में यह 2 से 3 रू प्रति किलो था। साल भर पहले तक यह 1200 से 1300 रू प्रति किलो में बिक रही थी।
सेहत के लिए है फायदेमंद
जानकारों के अनुसार सांगरी, पेट एवं शुगर सम्बंधी बीमारियों में लाभदायक है। इसमें औसतन 8.15 % प्राटीन, 40.50% कार्बोहाइड्रेड 8.15% शर्करा, 2.3% वसा, कैल्सियम तथा लौह तत्व पाये जाते है, जो कि मनुष्य के साथ-साथ पशुओं के लिए भी फायदेमंद हैं।
राज्य की राजधानी जयपुर में भी इसकी मांग काफी है। चाँदपोल बाज़ार मंडल के संगठन मंत्री नंद किशोर मूलवानी का कहना है कि राजस्थानी थीम के होटलो और हेरिटेज होटलों में इसकी मांग अधिक होती है
वहीं चाँदपोल निवासी विमला सोनी ने बताया कि इसे उबालने के बाद सुखाकर, अचार व सब्जी बनाने के उपयोग में लिया जाता है, सुखाकर रखने के बाद इसे 2-3 साल तक प्रयोग में लिया जा सकता है। कभी आम आदमी की थाली में मिलने वाली सांगरी होटलों एवं शादी-समारोह की शान बन चुकी है।