बीते हफ्ते सीरिया की बशर अल-असद सरकार पर अपने नागरिकों के खिलाफ रासायनिक हथियारों से हमला करने का आरोप लगा था जिसमें 31 बच्चों सहित 87 लोग मारे गए थे
दुनिया की सात बड़ी शक्तियों ने सीरिया को अलग-थलग करने का अभियान तेज कर दिया है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक मंगलवार को इटली में जी-7 के विदेश मंत्रियों ने मध्य-पूर्व के अपने समकक्षों के साथ बैठक की. इसमें सऊदी अरब, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन और कतर शामिल रहे जो सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद का विरोध करते हैं. इस बैठक में सीरिया के छह साल पुराने गृह युद्ध पर चर्चा हुई. जी-7 देशों में अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान शामिल हैं.
अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन की रूस यात्रा से कुछ घंटे पहले हुई इस बैठक का एक मकसद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को असद सरकार की मदद से पीछे हटने के लिए संदेश देना भी था. रूस और ईरान असद सरकार के प्रमुख सहयोगियों में शामिल हैं.
इससे पहले सोमवार को ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से सीरिया पर बात की थी. टेरेसा मे के कार्यालय से जारी बयान के मुताबिक दोनों नेता इस बात पर सहमत थे कि असद सरकार से संबंध तोड़ने के लिए रूस को समझाने का यह अच्छा मौका है. सोमवार को ही ब्रिटेन और कनाडा ने कहा था कि अगर रूस ने असद सरकार का समर्थन जारी रखा तो उसके खिलाफ प्रतिबंधों को और सख्त बनाया जाएगा.
बीते हफ्ते गुरुवार को असर सरकार पर विद्रोही नागरिकों के खिलाफ नर्व गैस इस्तेमाल करने का आरोप लगा था. इससे इदलिब प्रांत में 31 बच्चों सहित 87 लोग मारे गए थे. इसके अगले दिन अमेरिका ने होम्स के नजदीक उसके हवाई अड्डे को निशाना बनाकर क्रूज मिसाइलें दागी थीं.
इस बीच सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने सीरियाई सेना पर अमेरिका की चेतावनी के बावजूद हुमा प्रांत में विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्र में बैरल बम का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. हालांकि, सीरियाई सेना के सूत्रों ने इन आरोपों को खारिज किया है. बीते हफ्ते मिसाइल हमले के बाद अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि अगर सीरियाई सेना रासायनिक हथियारों या बैरल बमों का दोबारा इस्तेमाल करती है तो वह और अधिक हमले करेगा.