कोरोना संकट के दौर में देश में सबसे ज्यादा विवादों में रहने वाले मौलाना साद को दिल्ली पुलिस ने चौथा नोटिस जारी कर सरकारी लैब में कोरोना जांच कराने के लिए कहा है। बता दें के तबलीगी जमात का मुखिया मौलाना साद एक प्राइवेट लैब में कोरोना टेस्ट करा चुका था जहां उसकी रिपोर्ट निगेटिव आयी थी। जिसके बाद उसके वकील ने दावा किया कि मौलान साद को कोरोना नहीं हुआ है।
दिल्ली पुलिस द्वारा भेजे गये इस चौथे नोटिस में क्राइम ब्रांच ने मौलाना साद से कुछ सवाल भी किये है। देश में कोरोना वायरस के मामलों में अचानक इजाफा करने वाले तब्लीगी जमात के मुखिया मौलाना साद के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला भी दर्ज किया है। ईडी ने दिल्ली पुलिस की एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 31 मार्च को मौलाना साद समेत सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। साद ने बड़े जमावड़े पर रोक के आदेश के बावजूद जलसा किया था।
मौलाना सदा के नाम से नहीं मिला कोई खाता
अपराध शाखा को निजामुद्दीन स्थित तबलीगी मरकज के एक और बैंक खाते का पता लगा है। तबलीगी मरकज के नाम वाला यह खाता हमदर्द स्थित बैंक आॅफ बड़ौदा की शाखा में है। इस खाते से लगातार लेन-देन होता रहता था। अपराध शाखा ने इसकी जानकारी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दी है।
अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया एक महीने के जांच में अब तक मौलाना मोहम्मद साद के व्यक्तिगत नाम से कोई बैंक खाता नहीं मिला है।
अधिकारियों के अनुसार, मरकज का बैंक खाता साद का बेटा व भतीजा देखता था। ये दोनों ही साद के राजदार माने जाते है। अपराध शाखा दिल्ली में स्थित ट्रेवल्स एजेंट से भी जानकारी जुटाने में लगी है कि उनके जरिये कितने जमाती विदेश गये थे और कब भारत आये थे। जांच में पता चला है कि मरकज से लोग जमात के लिए टुकड़ियों में जाते थे। ये जहां जाते, वहां मजिस्दों में रहते और लोगों के घर खाना खाते थे। इस कारण प्रचार करने गए लोगों का खर्चा कम आता था। यह भी देखा जा रहा है कि धर्म के नाम पर आयकर विभाग से छूट ली जाती थी या नहीं।
अपराध शाखा के अधिकारियों के अनुसार, जांच टीम के सिपाही के कोरोना संक्रमित होने के बाद जिन पुलिस अधिकारियों को सेल्फ क्वारंटीन रहने को कहा गया है, उनमें सीनियर अफसर भी हैं। ऐसे में मरकज मामले की जांच धीमी होने की आशंका है।