हाइकोर्ट ने कोरोना महामारी में लॉकडाउन का अनुपालन नहीं होने पर जतायी नाराजगी, पूछा

आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। झारखंड हाइकोर्ट ने राजधानी रांची में कोरोना महामारी में लॉक डाउन का अनुपालन नहीं होने पर नाराजगी जतायी है। कोर्ट ने राज्य सरकार से कई विंदुओं पर जवाब-तलब किया। पूछा कि सीलबंद रहने के बाद भी हिंदपीढ़ी में लोग कैसे बाहर निकल रहे हैं? हॉटस्पॉट माने जाने वाले हिंदपीढ़ी से पांच लोग लोहदगा कैसे चले गये? बसों से मजदूरों को साहेबगंज और दुमका भेजने का पास किस परिस्थिति में निर्गत हुआ? कोरोना महामारी से निपटने के लिए पॉलिसी बनाने को लेकर क्या कार्रवाई की गयी है? रमजान के आगामी पवित्र महीने में कोराना वायरस से निपटने के लिए क्या कदम उठाये जायेंगे? कोर्ट ने कोरोना महामारी की रोकथाम को लेकर उठाये गये कदमों पर राज्य सरकार को विस्तृत रिपोर्ट 24 अप्रैल तक दाखिल करने का निर्देश दिया। हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कोरोना संक्रमण को लेकर दाखिल जनहित याचिकाओं की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग से की।
खंडपीठ ने कहा है कि हिंदपीढ़ी इलाके के सीलबंद रहने के बावजूद यहां के दो ठेकेदार जल बोर्ड पहुंचे, जबकि हिंदपीढ़ी के पांच लोगों को लोहरदगा ले जाया गया। खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए सरकार से पूछा कि जब हिंदपीढ़ी इलाका कोरोना के संभावित हॉटस्पॉट के रूप में जाना जा रहा है। इस पूरे इलाके को सील कर दिया गया है और संभावित हॉटस्पॉट के रूप में पहचाना गया है, तो यहां के लोग एक दूसरे जगहों पर कैसे आना-जाना कर रहे हैं। एक अन्य समाचार पत्र की रिपोर्ट का हवाला देते हुए खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि राज्य सरकार में एक मंत्री के निर्देश पर मजदूरों से भरी बस को साहेबगंज और पाकुड़ में भेजने के लिए पास निर्गत किया गया। मजदूरों से भरी बसों को भेजने के लिए रांची के उपायुक्त के खिलाफ क्या कार्रवाई की गयी है। कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि क्या बसों से रांची से बाहर गये लोगों को क्वारेंटाइन किया गया, इनकी कोरोना जांच की गयी? महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कोर्ट को बताया कि कोरोना संक्रमित मरीज मिलने के बाद हिंदपीढ़ी इलाके को सील कर दिया गया है, इसके 15 निकासों को अवरुद्ध कर दिया गया है।
कोरोना संक्रमित के अंतिम संस्कार के लिए बुंडू में स्थान चिह्नित
खंडपीठ ने गुलाब चंद्रा प्रजापति द्वारा कोरोना संक्रमण के मृतकों के दाह संस्कार और दफनाने के मुद्दे पर दायर जनहित याचिका की सुनवाई भी की। महाधिवक्ता द्वारा अदालत को बताया गया कि कोरोना संक्रमण से मौत के बाद दाह संस्कार या दफनाने के लिए बुंडू में जमीन चिह्नित की गयी है। इस संबंध में रांची डीसी की ओर से बताया गया है। कोर्ट ने मामले को निष्पादित कर दिया है।

कारोना से जंग के लिए चिकित्सकों की पर्याप्त व्यवस्था हो
महाधिवक्ता ने यह भी बताया कि केंद्र सरकार से मास्क, पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीइ) टेस्टिंग किट, वेंटिलेटर और रैपिड टेस्टिंग किट भेजने की मांग की गयी है। राज्य में अभी कोरोना जांच के पांच हजार किट हैं। खंडपीठ ने कहा कि रिम्स एवं राज्य के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों मेडिकल स्टॉफ, चिकित्सा उपकरण की पर्याप्त व्यवस्था रहनी चाहिए, जिससे कोरोना के खिलाफ जंग लड़ी जा सके।
ट्रांसजेंडरों की जिलावार सूची प्रस्तुत करें
दूसरी ओर अमरजीत सिंह द्वारा लॉकडाउन को देखते हुए ट्रांसजेंडर समुदाय को राहत देने से संबंधित अमरजीत सिंह की जनहित याचिका पर भी खंडपीठ ने सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह जिलावार ट्रांसजेंडरों की सूची प्रस्तुत करें और यह सुनिश्चित करे कि उन्हें तुरंत भोजन और राशन मुहैया हो जाये। स्वास्थ्य व स्वच्छता कार्यकर्ताओं के संरक्षण से संबंधित अरुण कुमार दुबे द्वारा भेजे गये पत्र का अंश पढ़ा। इसे कोर्ट ने जनहित याचिका के रूप में माना है। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया।

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