- दो लाख जांच सीआइडी ने की, रिपोर्ट पर 170 से अधिक थानेदार बदले गये
अजय शर्मा
रांची। झारखंड पुलिस अब पुलिस मैनुअल पर काम करेगी। यह पहला राज्य है, जब एक ही मामले की दो अलग-अलग एजेंसियां जांच कर रही थीं। एक घटना पर पुलिस एफआइआर कर जांच कर रही थी, तो अपराध अनुसंधान विभाग उसी मामले की अलग से जांच कर रहा था। इस जांच के लिए सरकार से कोई अनुमति भी नहीं ली गयी थी। सीआइडी द्वारा राज्य के अलग-अलग जिलों के एसपी को भेजी गयी रिपोर्ट के आधार पर 170 से अधिक थानेदार को बदल दिया गया। वहीं 85 थानेदार निलंबित कर दिये गये थे। उस समय भी इस मामले को उठाया गया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। तत्कालीन डीजीपी केएन चौबे ने भी इस पर सवाल खड़ा किया था। पिछले पांच वर्षों में सीआइडी में जो कोई भी रहा, वह उसने अपनी सुविधा अनुसार मनचाहे मामले की जांच करायी और पुलिस जांच की दिशा ही बदल दी। पुलिस मैन्युअल कहता है कि एक साथ दो एजेंसी एक ही मामले की जांच नहीं कर सकती। दूसरे राज्यों में भी ऐसा नहीं होता है। जांच या अनुसंधान के लिए नियम बना है उसी नियम का पालन करते हुए सब कुछ किया जाना चाहिए। अब सरकार ने आइपीएस अधिकारी अनिल पालटा को इसकी कमान सौंपी है।
क्या होता रहा सीआइडी में
सीआइडी में कोई भी व्यक्ति अगर आवेदन लेकर जाता था, तो उस पर जांच के आदेश दे दिये जाते थे। अमूमन यह आवेदन जमीन कारोबारियों पर हुआ करता था। जांच में पुलिस कार्रवाई पर सवाल खड़ा करते हुए एसपी को निर्देश दिया जाता था कि थानेदार को बदल दिया जाये। रांची के बुंडू, नगड़ी, रातू, गोंदा, पिठौरिया, तमाड़ और ओरमांझी के थानेदार इसी के शिकार हुए थे। दूसरे जिलों में भी यही स्थिति थी। हजारीबाग के पांच थानेदार सीआइडी की रिपोर्ट पर बदले गये। जमशेदपुर, चाइबासा, धनबाद, बोकारो, रामगढ़, गुमला, पलामू में थानेदारों को बदलने की एक लंबी फेहरिस्त है।
क्या है नियम
मैनुअल कहता है कि जिस मामले का अनुसंधान सीआइडी करेगी, उस मामले के जांचकर्ता अधिकारी भी सीआइडी के होंगे। दूसरा नियम है कि कई मामलों में सीआइडी जिला के कई कांडों की मॉनिटरिंग करती है। इसमें अनुसंधान करने वाला जिला पुलिस के अधिकारी होते हैं और निर्देश सीआइडी का माना जाता है। पुलिस मुठभेड़ से संबंधित मामलों की जांच सीआइडी करती है। माना जाता था कि जिस मामले की सीआइडी से जांच हो जाये उस मामले में आरोपियों को लाभ मिल जाता है। यही वजह है कि जमीन कारोबारी, कोयला व्यापारी सीआइडी से जांच कराना चाहते थे।
दो लाख से अधिक मामलों में सीआइडी का हस्तक्षेप
पिछले पांच वर्षों में दो लाख से अधिक मामलों में सीआइडी ने अपनी जांच रिपोर्ट दी है। इसी आधार पर कई अपराधियों को भी लाभ मिल गया है। लाभ पाने वालों में जमीन कारोबारी भी शामिल हैं।
सीआइडी ने तैयार की थी लिस्ट
सीआइडी ने नियम विरुद्ध जमीन कारोबारियों की एक लिस्ट तैयार की है। उस लिस्ट को जिलों के एसपी को भी भेजा गया है। बाद में दूसरी लिस्ट भी बनायी गयी, जिसमें कुछ कारोबारियों के नाम हटा दिये गये। उस समय भी इस पर सवाल खड़ा किया गया था।
जमीन कारोबारी पुलिस अधिकारियों की सूची भी
सीआइडी ने जमीन कारोबारी, पुलिस अधिकारी और कोयला व्यापारियों की भी सूची तैयार की थी। इसमें राज्य के कई पुलिस अधिकारियों और दारोगा इंस्पेक्टर के नाम थे। सूची तो बनी लेकिन किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
झारखंड में एक ही मामले की दो एजेंसी कैसे कर रही थी जांच
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