- सर्वदलीय बैठक में उभरे एक सुर: कोरोना की जंग में हम सब एक साथ
कोरोना संकट से जूझ रहे झारखंड के लिए 10 अप्रैल का दिन बेहद खास रहा, क्योंकि राज्य की सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में एक स्वर से इस खतरे से राज्य को बचाने का संकल्प व्यक्त किया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का यह प्रयास इस जंग में एक बड़ा और महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इससे पहले किसी राज्य ने इस तरह की बैठक का आयोजन नहीं किया था। हां, केंद्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जरूर सर्वदलीय बैठक कर कोरोना के खिलाफ जंग में सभी दलों का सहयोग मांगा था। झारखंड में यह भी पहला अवसर है, जब किसी एक मुद्दे पर तमाम विपक्षी पार्टियों के सुप्रीमो एक साथ एक मंच पर आये हों और कोरोना के खिलाफ जंग में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का हरसंभव सहयोग करने का भरोसा दिया है। इस सर्वदलीय बैठक का निहितार्थ साफ है कि राजनीतिक रूप से चाहे हर दल अलग-अलग राय रखता हो, सवाल जब झारखंड का हो, तो सभी दल एक साथ हैं। इस राजनीतिक एकता के बल पर ही झारखंड आगे बढ़ रहा है और संकट के इस दौर में यह एकता एक मिसाल बनेगी, इसमें कोई संदेह नहीं है। इस आयोजन के फलाफल का विश्लेषण करती आजाद सिपाही ब्यूरो की खास रिपोर्ट।
पहली बार किसी एक उद्देश्य के लिए सभी दल आये साथ
कोरोना संकट के कारण पिछले दो सप्ताह से अधिक समय से लॉकडाउन झेल रहे देश के पूर्वी हिस्से के छोटे से राज्य झारखंड की राजधानी रांची में 10 अप्रैल को दिन में जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बुलावे पर तमाम राजनीतिक दलों के प्रदेश अध्यक्ष एक-एक कर प्रोजेक्ट भवन में पहुंचे, तो किसी को अंदाजा नहीं था कि कोरोना संकट के प्रति सभी दलों का नजरिया एक जैसा है। तीन दिन पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमाम विपक्षी दलों के नेताओं से इस मुद्दे पर बात की थी, तब कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया था। इसलिए रांची में होनेवाली सर्वदलीय बैठक के प्रति भी कोई खास उत्साह नहीं था। लेकिन बैठक समाप्त होने के बाद बाहर निकले इन नेताओं ने जो कुछ कहा, वह न केवल कोरोना के खिलाफ जंग के लिए निर्णायक साबित हो सकता है, बल्कि पूरे देश के लिए मिसाल बन सकता है। चाहे सत्तारूढ़ झामुमो हो या कांग्रेस-राजद, विपक्षी भाजपा हो या आजसू, वामपंथी पार्टियां हों या अन्य बड़े दल, सभी ने एक स्वर से इस संकट के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का और झारखंड को बचाने का संकल्प व्यक्त किया।
सर्वदलीय बैठक में मौजूद हर दल के नेता ने हेमंत सोरेन सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमों पर संतोष व्यक्त किया। झारखंड के करीब दो दशक के इतिहास में यह पहला अवसर था, जब किसी मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष की राय एक जैसी रही। बैठक में शामिल हर दल के नेता ने कोरोना संकट से निबटने के लिए अपने-अपने सुझाव दिये। बैठक की सबसे खास बात मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का व्यवहार रहा। उन्होंने झारखंड को कोरोना से बचाने के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे उपायों की जानकारी साझा की और सभी राजनीतिक दलों से सहयोग और सुझाव मांगे। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने सभी के सुझावों को ध्यान से सुना और उन्हें नोट भी किया। मुख्यमंत्री ने इन सुझावों पर अमल करने के लिए रणनीति बनाने का भरोसा भी दिया।
सही मायने में इस सर्वदलीय बैठक का कोई सकारात्मक परिणाम निकलता नजर आया। बैठक में शामिल होने सभी दलों के बड़े नेता आये। किसी को इसमें राजनीति नजर नहीं आयी, जैसा कि पिछली बैठकों में होता था। इससे यह भी साफ हो गया कि झारखंड को कोरोना से बचाने के लिए हर दल गंभीर है और हर दल के पास अपनी रणनीति है। कहा भी जाता है कि यदि संकट के समय बहुत सारे लोग अपने-अपने तरीके से समाधान लेकर इकट्ठे हो जायें, तो एक ठोस समाधान निकल सकता है और संकट से सफलता से सामना किया जा सकता है। हेमंत सोरेन ने यही किया। पहले उन्होंने अपने स्तर से तमाम उपाय कर लिये, व्यवस्था को चाक-चौबंद बना लिया, ताकि सर्वदलीय बैठक में व्यवस्थागत खामियों पर वाद-विवाद कर असल मुद्दे को भुला नहीं दिया जाये। यह हेमंत सोरेन की प्रशासनिक क्षमता और दूरगामी सोच का बड़ा उदाहरण है, तो झारखंड के तमाम राजनीतिक दलों का राज्यहित में सकारात्मक कदम।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक की चहुंओर सराहना हो रही है। हेमंत सोरेन ने सर्वदलीय बैठक बुला कर साफ कर दिया है कि वह झारखंड में ऐसी लकीर खींचना चाहते हैं, ऐसी परंपरा स्थापित करना चाहते हैं, जो पूरे देश के लिए मिसाल बने। वहीं विपक्ष भी यह संदेश देना चाहता है कि भले ही हमारी राजनीतिम विचारधारा अलग-अलग है, लेकिन झारखंड हित में हम सभी एक हैं। कोरोना संकट ने उन्हें यह अवसर दिया और वह पीछे नहीं हटे। इस बैठक के बाद झारखंड के सवा तीन करोड़ लोगों को भी भरोसा हो गया कि सामान्य दिनों में राजनीतिक दांव-पेंच में उलझे रहनेवाले राजनीतिक दल संकट के समय साथ हैं और यदि हर दल इसमें अपनी सकारात्मक भूमिका निभा गया, तो फिर इस संकट का सामना करना और इससे पार पाना बेहद आसान हो जायेगा।
इस सर्वदलीय बैठक ने एक और बात साफ कर दी है। वह यह कि यदि किसी संकट का मिल कर सामना किया जाये, तो वह संकट छोटा हो जाता है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की इस शानदार पहल के लिए झारखंड उन्हें हमेशा याद रखेगा। साथ ही कोरोना के खिलाफ जारी जंग को जीतने के प्रति उनके साथ तमाम राजनीतिक दलों की प्रतिबद्धता भी झारखंड को दोगुनी ताकत देगी, इसमें कोई संदेह नहीं है।
अब देखना होगा कि सर्वदलीय बैठक में व्यक्त सुझावों और विचारों को कितना अमल में लाया जाता है। सरकार और राजनीतिक दलों ने शुरूआत कर दी है। अब झारखंड के लोगों को तय करना है कि वे इस लड़ाई को कितनी जल्दी और प्रभावी ढंग से जीतते हैं।