-हाईलाइटरः अवैध नियुक्तियों के लिए अतिरिक्त पद सृजित करने के लिए कैबिनेट से मंजूरी देने का है आरोप।
कोलकाता। स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) में अवैध भर्ती करने के लिए कई अतिरिक्त पद सृजित किया गया था। इस अतिरिक्त पद सृजित करने की मंजूरी राज्य सरकार ने ही दी थी। कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि सीबीआइ राज्य सरकार से जुड़े उन लोगों की भी जांच करेगी जिन्होंने अतिरिक्त पदों के सृजन को मंजूरी दी और आवश्यक निर्णय लिए। कोर्ट ने कहा, अगर जरूरी हुआ तो केंद्रीय एजेंसी उन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर सकती है। बताते चलें कि किसी भी विभाग में नए या अतिरिक्त पद सृजित करने के लिए राज्य कैबिनेट से मंजूर करना होता है।
एसएससी मामले में कोर्ट ने कहा, इस भ्रष्टाचार की प्रकृति और सीमा जानने के लिए, इसमें कौन शामिल है, यह समझने के लिए सीबीआइ जांच जरूरी है। अतिरिक्त पदों के सृजन को लेकर भी आगे की जांच सीबीआइ को करनी होगी। इस संदर्भ में हाई कोर्ट ने टिप्पणी की राज्य सरकार की कैबिनेट ने भी एसएससी में अवैध नौकरियों को बचाने के हित में कई फैसले लिए हैं, जो आश्चर्यजनक है। सरकार से जुड़े लोग यह जानते हुए भी नौकरियां बचाना चाहते थे कि ये नियुक्तियां पैनल के बाहर और पैनल का कार्यकाल खत्म होने के बाद की गई हैं।
कथित तौर पर पैसे के बदले अवैध तरीके से नौकरी पाने वालों को भर्ती करने के लिए एसएससी में पर्याप्त रिक्तियां नहीं थीं। इसलिए कई अतिरिक्त रिक्तियां सृजित की गईं। इन्हें अधिसंख्यात्मक पद कहा जाता है। आरोप है कि उन पदों पर बड़ी संख्या में अयोग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति की गई हैष इस प्रकार अभिलेखों में दर्शाया गया है कि उनकी नियुक्ति वास्तव में वैध है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार से जुड़े व्यक्तियों द्वारा इन अतिरिक्त पदों को सृजित करके अवैध नियुक्तियों को मान्यता देने के लिए कई निर्णय भी लिए गए। उन फैसलों को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट से मंजूरी भी दी गई थी।
एसएससी मामले की जांच के दौरान सीबीआइ को स्कूल शिक्षा विभाग से एक पत्र मिला, जिसे उन्होंने कोर्ट में जमा कर दिया। पत्र के विषय में कहा गया है कि प्रतीक्षा सूची में शामिल नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए विभिन्न सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में सहायक शिक्षकों (व्यावसायिक, शारीरिक शिक्षा सहित) और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के कुछ ‘सुपरन्यूमेरिकल पद’ यानी अतिरिक्त पद सृजित करने का प्रस्ताव राज्य कैबिनेट को सौंपे जाने का आरोप है।
प्रस्ताव में 9वीं-10वीं के लिए 1,932 और 11वीं-12वीं के लिए 247 अतिरिक्त पद सृजित करने की बात कही गई है। इसके अलावा ग्रुप सी के 1,102,ग्रुप डी के 1,980 अतिरिक्त पद और फिजिकल एजुकेशन, वोकेशनल एजुकेशन में कुल 1,600 अतिरिक्त पद सृजित होने की
बात कही जा रही है।
कोर्ट के आदेश के मुताबिक, सीबीआइ राज्य सरकार के उन लोगों के खिलाफ जांच करेगी जो अतिरिक्त पदों के सृजन और अवैध नियोजन में शामिल थे। जांच के लिए वे संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ करेंगे।
गौरतलब है कि सीबीआइ की जांच में सामने आए इस दस्तावेज में 5 मई 2022 की तारीख दी गई है। 2021 में ममता बनर्जी की सरकार के दूसरी बार सत्ता में आने के बाद शिक्षा मंत्री का पद पार्थ चटर्जी से लेकर ब्रात्य बसु को दिया गया था। यानी जिस समय कैबिनेट पर इन अतिरिक्त पदों को मंजूरी देने का आरोप है, उस समय ब्रात्य बोस शिक्षा मंत्री थे। पार्थ उद्योग मंत्री थे। पार्थ को जुलाई 2022 में एसएससी मामले में गिरफ्तार किया गया था। ब्रात्य के करीबी सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने अभी तक फैसले की कापी नहीं देखी है। देखने के बाद जो
करना वह कहेंगे।
कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति देबाग्शु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बर रशीदी की विशेष खंडपीठ ने सोमवार को एसएससी मामले में फैसला सुनाया। 2016 की पूरी भर्ती प्रक्रिया रद कर दी गई है। 25,753 लोगों की नौकरियां चली गईं। कोर्ट ने इस संबंध में सीबीआइ से जांच जारी रखने को कहा गया है। साथ ही जिन लोगों को एसएससी पैनल की समय सीमा समाप्त होने के बाद भी नौकरी मिली, उन्हें चार सप्ताह के भीतर ब्याज सहित अपना वेतन लौटाने को कहा गया है। नौकरी पाने वालों को 12 प्रतिशत सालाना की दर से ब्याज भी देना होगा। एसएससी मामले में हाई कोर्ट का यह फैसला लोकसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका है। इस बीच स्कूल सर्विस कमीशन ने जानकारी दी है कि वे इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रायगंज की चुनावी सभा से हाई कोर्ट के फैसले को ‘अवैध’ बताते हुए नौकरी गंवाने वालों के साथ होने की बात कही है। साथ ही जहां तक संभव होगा कानूनी लड़ाई लड़ने की भी बात कही है।