-आस्था और विश्वास के साथ मना सरहुल पर्व
आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। सरहुल पर्व पर प्रकृति के रंग में झारखंड गुरुवार को रंग गया। लाल पाड़ की साड़ी में महिलाएं मांदर की थाप पर नृत्य करती नजर दिखीं। आस्था और विश्वास के साथ सरहुल पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। राजधानी रांची समेत पूरे झारखंड में प्रकृति के स्वागत का पर्व सरहुल धूमधाम से मना। शोभायात्रा निकाली गयी। सखुआ के वृक्ष की पूजा की गयी। इस त्योहार में आदिवासियों का प्रकृति प्रेम देखते ही बन रहा था। धरती और सूरज के विवाह का उत्सव सरहुल पूरे झारखंड में उल्लास से मना। सरना धर्म के प्रतीक ध्वज और पारंपरिक वाद्य यंत्रों ढोल-नगाड़े के साथ नाचते-गाते स्त्री-पुरुष और बच्चे सड़कों पर दिखे। शाम होते ही मेन रोड का नजारा देखते बन रहा था। शोभायात्रा में आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों के साथ-साथ सभी समुदाय के लोगों की सहभागिता रही। शोभायात्रा में शामिल लोग पारंपरिक वेशभूषा में मांदर, ढोल की थाप पर थिरकते रहे। शोभायात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम थे। पारंपरिक रूप से जगह-जगह पर स्वागत किया गया। अखाड़ा में पूजा समाप्त होने के बाद सूप में सरहुल फूल और पत्ता लेकर चारों तरफ चक्कर लगाया गया। जो भी रास्ते में मिला, उसके कान पर उस फूल को रखा। लोगों द्वारा इस अवसर पर अतिथि का स्वागत परंपरागत नृत्य और गाजे-बाजे के साथ किया गया। नन्हे-नन्हे बच्चे हाथों में तीर कमान लिए भगवान बिरसा की याद को ताजा कर रहे थे। महिला-पुरुष गुलाल लगा कर गाजे-बाजे के साथ लोगों के साथ शोभायात्रा का हिस्सा बने।