प्रस्तावित परिसीमन को जनगणना तक के लिए टाल दिया जाना चाहिए
जनजातियों को अलग से सरना धर्म कोड दिया जाना चाहिए
सरकार जनदबाव में आकर यह फैसला करने के लिए बाध्य हुई
रांची। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के जातीय जनगणना कराने के फैसले का झारखंड की सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने स्वागत किया है। बुधवार को नरेंद्र मोदी कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव की प्रेस ब्रीफिंग के बाद सुप्रियो भट्टाचार्य ने यह प्रतिक्रिया दी। झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह मुख्य प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने इसे विपक्ष की जीत करार दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार जनदबाव में आकर यह फैसला करने के लिए बाध्य हुई है। यह विपक्षी दलों की नैतिक जीत है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को 10 साल पहले यह कर लेना चाहिए था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। भले उन्होंने देर से फैसला किया है, झामुमो इसका स्वागत करता है। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि संविधान के मूल में आरक्षण की जो बातें हैं, उस पर मोदी कैबिनेट के फैसले में कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है।
न ही आदिवासियों के सरना कोड पर कोई निर्णय इस कैबिनेट में लिया गया है। उन्होंने कहा कि जब सरकार जातीय जनगणना करवाये, तब उसमें आदिम जनजातियों के धर्म को भी शामिल किया जाये। सरना धर्म कोड चुनने का आदिवासियों को मौका दिया जाये। उन्होंने कहा कि जिस तरह हिंदुओं में कई जातियां हैं, मुस्लिमों में कई जातियां हैं, सिख में भी कई जातियां हैं। उसी तरह आदिवासियों की भी कई जनजातियां हैं। उन जनजातियों को अलग से सरना धर्म कोड दिया जाना चाहिए। झारखंड सरकार ने विधानसभा में इसका प्रस्ताव पारित करके केंद्र को भेजा है, लेकिन उस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है। सुप्रियो भट्टाचार्य ने यह भी मांग रख दी है कि देश में प्रस्तावित परिसीमन को जनगणना तक के लिए टाल दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनगणना के बाद ही परिसीमन हो, ताकि यह स्पष्ट हो जाये कि किस क्षेत्र को आरक्षण की श्रेणी में रखा जाये और किसको नहीं। साथ ही आरक्षण की भी स्थिति स्पष्ट हो जायेगी। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार ने सरना धर्मावलंबियों को 28 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव पास कर दिया है। दलितों को 18 फीसदी और पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव झारखंड विधानसभा से पास हो चुका है।