रांची: होटवार का माहौल गुरुवार को बदला-बदला था। वहां लगभग दो हजार के आसपास लोग गये थे, जो झारखंड की औद्योगिक उड़ान के गवाह बने। यह पहला अवसर था, जब वहां उपस्थित लोगों में आत्मविश्वास दिखा। उनमें आशा का संचार दिखा। लोगों को सकारात्मक बात करते देखा गया। जिससे भी पूछा जा रहा था, वह कह रहा था अब झारखंड बदल रहा है। झारखंड ने ऊंची उड़ान लगा दी है। सबसे ज्यादा खुश यहां विभिन्न संस्थानों में ट्रेनिंग ले रही युवतियां थीं। उनका कहना था कि राज्य में पहली बार कोई आया है, जो पलायन रोकने की बात कर रहा है। वे कह रही थीं कि सचमुच में रघुवर दास प्रयास कर रहे हैं।
हमें विश्वास है कि हमें यहां रोजगार मिल जायेगा। इनमें ज्यादातर युवतियां कम पढ़ी लिखी थीं। उनका कहना था कि हम तो यह मान ही चुके थे कि कभी हमें रोजगार नहीं मिलेगा। इसलिए कि हम गरीब घर से हैं। कम पढ़े लिखे हैं, हमें रोजगार कौन देगा। हम यही मान रहे थे कि हमें या तो किसी के घर में जूठा बरतन मांजना पड़ेगा या फाकाकसी काटनी पड़ेगी। लेकिन इस सरकार ने हमारे सपने भी जगा दिये हैं। हमें भी उम्मीद जग गयी है। लगता है अब हमें भी रोजगार मिल जायेगा। हम भी अब सपने देखेंगे, अपने परिवार की सेवा करेंगे।
इस कार्यक्रम में कुछ कांग्रेस और राजद से भी आये थे। वे उन लोगों के साथ आये थे जिनके उद्योग की आज आधारशिला रखी जा रही थी। उनका भी कहना था कि अगर ये उद्योग धरातल पर उतर गये, इनमें उत्पादन शुरू हो गया, तो सचमुच में झारखंड बदल जायेगा। झारखंड को सचमुच में इसकी जरूरत थी।
जिन लोगों की फैक्टरियों की आधारशिला रखी जा रही थी, उनका कहना था कि इस तरह का माहौल हम कभी नहीं देखे थे। हम यह कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि एमओयू के मात्र 90 दिनों के अंदर उद्योग की आधारशिला रख दी जायेगी। इतनी जल्दी यहां जमीन मिल जायेगी। हमें तो पहले झारखंड के बारे में बताया जाता था कि जमीन मांगने पर वहां जूतों की माला पहनायी जाती है, लेकिन यहां तो हमारा स्वागत फूल माला से हुआ। अधिकारियों ने हमें बुलाया। हमने उनकी चाय पी, उनके जूस पीये और बगैर पैसे हमारा काम इतनी जल्दी हो गया। यहां से बार-बार फोन जाता है कि आप अपना काम शुरू करिये, हम आपके साथ हैं। कुछ उद्यमियों का कहना था कि हम कम पूंजी में कारोबार शुरू कर रहे हैं। हम यह उम्मीद भी नहीं किये थे कि मुख्यमंत्री हमारे उद्योग की आधारशिला रखेंगे। कुल मिला कर माहौल को देख कर कोई भी निस्संकोच कह सकता है कि झारखंड बदल रहा है। झारखंड चल पड़ा है। यहां की गाड़ी विकास की पटरी पर सरपट भाग रही है।