“भारत के निर्वाचन आयोग ने देश के राजनैतिक दलों को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को हैक करने की चुनौती दी है। आयोग ने कहा है कि 3 जून से दलों को हैक करने का समय दिया जाएगा। ”

आयोग ने कहा कि हर एक राजनैतिक दल को हैकिंग के लिए

4 घंटे का समय दिया जाएगा। प्रत्‍येक दल को पांच राज्‍यों की चार ईवीएम दी जाएगी।

ईवीएम में छेड़छाड़ के आरोपों के बाद चुनाव आयोग ने शनिवार को ईवीएम और वीवीपीएटी का डेमो दिया। जिसमें उन्‍होंने मशीन की कार्य प्रणाली समझाते हुए हैकिंग के भ्रम को दूर किया।

मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने कहा कि पांच राज्यों के हालिया विधानसभा चुनाव के बाद जो आशंका थी उसे दूर करने के लिए हमने यह डेमो दिया। अब तक छेड़छाड़ पर कोई राजनीतिक दल पुख्‍ता प्रमाण पेश नहीं कर पाया है।

आयोग ने आगे कहा कि अब वीवीपीएटी से मतदाता यह जान पाएगा कि उसका वोट किसको गया है। ईवीएम के साथ वीवीपीएटी के उपयोग करने से सभी भ्रम दूर हो जाएंगे। जैदी ने कहा कि 2018 के अंत तक आयोग को सभी वीवीपीएटी तैयार मिलेगी।

जैदी ने कहा कि कोई भी दल अपने तीन प्रतिनिधि को हैक करने के लिए भेज सकता है। राजनीतिक दल 26 जून तक ऑनलाइन इस चुनौती में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकते हैं। सभी दलों को निश्चित तारीख और समय दिया जाएगा। दल जिस ईवीएम की मांग करेंगे उसे मतदान स्‍टेशन से लाने के दौरान उन्‍हें साथ सफर करने की अनुमति दी जाएगी। मशीनों को खोलकर देखने भी दिया जाएगा।

आयोग के अनुसार प्रतिनिधि ईवीएम के कई बटनों को एक साथ दबाकर, किसी वायरलेस या ब्लूटूथ डिवाइस या बाहरी युक्ति का प्रयोग भी कर सकते हैं। ईवीएम में एक बार उपयोगी होने वाली प्रोग्राम चिप लगी होती है। जिसमें एक बार प्रोग्राम लिखा जा सकता है, यह बाद में बदला नहीं जा सकता। इसके अलावा, हर मशीन की चिप पर डिजिटल सिग्नेचर होता है, जिसे बदलना असंभव है। अगर किसी ने इस चिप को बदला तो मशीन काम करना बंद कर देगी।

नसीम जैदी ने कहा कि भिंड की घटना की जांच में पाया गया कि डेमो के दौरान चार स्विच से अलग-अलग वोट पड़ रहे थे। ऐसा लेकिन मतदान के दौरान नहीं हुआ था। आयोग के अनुसार ईवीएम ऐसी मशीन है जो किसी भी अन्‍य नेटवर्क से नहीं जुड़ी हैं। इनका वायरलेस, वाई-फाई, ब्लूटूथ या इंटरनेट से जुड़ाव नहीं है। आयोग ने बताया कि सभी 7 राष्ट्रीय दल और 48 राज्य स्तरीय दलों को इस चुनौती में हिस्सा लेने के लिए बुलाया गया।

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