परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता मिलने में हो रहे विलंब को लेकर भारत ने रूस से कहा है कि अगर उसे सदस्यता नहीं मिलती है तो उन परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों पर रोक लग जाएगी, जिसमें विदेशी भागीदारी शामिल है।

रूस तमिलनाडु के कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना की 5वीं और 6वीं रिऐक्टर यूनिट्स को विकसित करने के लिए भारत से समझौते पर हस्ताक्षर के लिए काफी उत्सु​क है लेकिन भारत सरकार के इस निर्णय से अब यह अटक सकता है।

आपको बता दें कि भारत की एनएसजी की सदस्यता पाने में चीन एक बड़ा रोड़ा है। ऐसे में भारत को रूस से काफी उम्मीदें हैं। भारत को उम्मीद है कि एनएसजी की सदस्यता के लिए रूस चीन पर दबाव डालेगा, इसलिए भारत सरकार ने अपने रुख कड़े कर लिए हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी 1 से 3 जून तक रूस की यात्रा पर जाने वाले हैं, उससे पहले ही भारत ने एनएसजी सदस्यता का मसला रूस के सामने उठाया है। इसका मकसद साफ है कि राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन भारत की चिंताओं को समझें।

रूस को मोदी की यात्रा के दौरान कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना की 5वीं और 6वीं रिऐक्टर यूनिट्स को विकसित करने के लिए समझौते की उम्मीद लगी थी, लेकिन भारत के इस रूख से रूस की चिंताएं बढ़नी लाजमी हैं।

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