आजाद सिपाही की पड़ताल- दो

आजाद सिपाही संवाददाता

रांची। धनबाद के निरसा थाना में दर्ज चर्चित मामले का सच अब सीआइडी तलाशेगी। सरकार ने इसके आदेश दे दिये हैं। फिलहाल सीआइडी पुलिस कार्रवाई की समीक्षा करेगी। इसके बाद पूरे मामले की जांच भी करेगी। अब तक की जांच में पुलिस को यह पता चला है कि धनबाद के पूर्व एसएसपी कौशल किशोर और कुछ पुलिसकर्मी इस खेल में शामिल हैं। साथ ही, कुछ कोयला तस्करों के शामिल होने की बात भी सामने आयी है।

 सच तो समीक्षा के बाद ही सामने आयेगा। धनबाद पुलिस पर आरोप है कि उसने ही बंगाल के रहनेवाले बीसीसीएल कर्मचारी चिरंजीत घोष की टवेरा गाड़ी में गांजा प्लांट किया और गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। चिरंजीत की पत्नी ने न्याय के लिए कई जगह गुहार लगायी थी, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई थी। बाद में पुलिस इस मामले में बैकफुट पर आ गयी। घोष को जमानत मिल गयी है। इस मामले में आसनसोल के एसडीपीओ की भूमिका भी सामने आयी है। अब जो तथ्य सामने आ रहे हैं, उसके मुताबिक इस पूरे मामले में लाला नामक एक कोयला तस्कर शामिल है, जिसने तस्करी में रोड़ा बने चिरंजीत को फंसाया था। इसमें धनबाद की निरसा पुलिस समेत कुछ पुलिस अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। जानकारी के मुताबिक पुलिस की इस कार्रवाई की जांच करने का आदेश बोकारो डीआइजी प्रभात कुमार को दिया गया है। अब सीआइडी इसकी समीक्षा करेगी। पूरे मामले की जांच अगर ईमानदारी से हो गयी, तो कई अधिकारियों की गर्दन फंसेगी। साथ ही, पुलिस और कोयला तस्करों के गंठजोड़ का भी खुलासा होगा। आजाद सिपाही की पड़ताल में यह भी सामने आया है कि बंगाल पुलिस में इस बात को लेकर विवाद भी हुआ था और उस समय के अधिकारी बदले भी गये थे। वहां की मुख्यमंत्री ने खुद हस्तक्षेप किया था। धनबाद से आसनसोल की चिमनी भट्टी में और पश्चिम बंगाल की कुछ कोलियरियों से बनारस कोयला भेजा जाता है। सड़क धनबाद से होकर ही गुजरती है। अवैध कोयला ले जाने के लिए धनबाद पुलिस की सहमति जरूरी है। चर्चा है कि तस्करी को लेकर विवाद हुआ था, इसके कारण ही चिरंजीत घोष को जेल जाना पड़ा था।

चर्चा में हैं मनोज गुप्ता

 इन दिनों मनोज गुप्ता नामक व्यक्ति काफी चर्चा में हैं। उनके कुछ पुलिस अधिकारियों से अच्छे संबंध बताये जाते हैं। चर्चा तो यहां तक है कि पूर्व की सरकार में जूनियर पुलिस अधिकारियों के तबादले में भी उनका सीधा हस्तक्षेप हुआ करता था। चर्चा है कि उन पर एक वरीय आइपीएस अधिकारी का वरदहस्त था। गांजा प्लांटेड कांड की जांच में जांच का एक कोण उनकी भूमिका पर भी होेगा। जांच के बाद ही उनकी भूमिका के बारे में सच सामने आ सकता है।

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