रांची। हेमंत सोरेन सरकार अब झारखंड को पलायन के अभिशाप से मुक्ति दिलाने में जुट गयी है। झारखंड के हर हाथ को यहीं काम दिलाने के प्रयास शुरू हो गये हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर अफसरों ने इसके लिए योजनाएं बनानी शुरू कर दी हैं। विभिन्न राज्यों से लौट रहे प्रवासी मजदूरों को झारखंड में ही रोजगार उपलब्ध कराने के लिए अधिनियम बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि स्थानीय रोजगार अधिनियम बनाया जा रहा है, ताकि प्रवासियों को राज्य में ही रोजगार मुहैया कराया जा सके। इससे झारखंड पलायन की समस्या से भी मुक्त होगा।
मीडिया से बातचीत करते हुए सीएम ने कहा कि संसाधनों की कोई कमी राज्य में नहीं है। इसके जरिये हम पर्याप्त रोजगार के अवसर पैदा कर सकते हैं। राज्य के मजदूरों का पूरा डाटा तैयार किया जा रहा है। योग्यता और क्षमता के आधार पर श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराया जायेगा। कई नियम-अधिनियम बनाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें पता ही नहीं था कि राज्य के साढ़े सात लाख मजदूर बाहर काम कर रहे हैं। सभी में योग्यता भी है।
सीएम ने औद्योगिक घरानों से भी अपील की है कि वे प्रवासी श्रमिकों के साथ अन्य मजदूरों को रोजगार देने की कार्ययोजना बनायें। सरकार उन्हें सहयोग करेगी। इसे लेकर जल्द ही औद्योगिक घरानों के साथ बैठक भी होगी।
योजना बनाने में जुटे अफसर
सीएम के निर्देश के बाद जिला प्रशासन के अधिकारी अपने जिलों में लौट रहे मजदूरों का डाटाबेस बनाने में जुट गये हैं। इसके लिए सीएस के निर्देश पर मुख्यालय के स्तर पर भी योजना बनायी जा रही है। बता दें कि अब तक ढाई लाख प्रवासी मजदूर झारखंड आ चुके हैं। आश्चर्य की बात यह है कि अब तक प्रवासी मजदूरों का कोई आंकड़ा कभी एकत्र नहीं किया गया था। यह पहली बार है, जब कोई सरकार प्रवासी मजदूरों का आंकड़ा तैयार करने में लगी है। प्रवासी मजदूरों को सरकारी और निजी प्रतिष्ठानों के अलावा दूसरे क्षेत्रों में भी रोजगार दिलाने का प्रयास किया जायेगा।
प्रवासी मजदूरों का डाटाबेस बनाने के लिए कमेटी बनी
हेमंत सरकार प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के प्रति कितनी गंभीर है, इसका पता इस बात से चल जाता है कि पंचायत और प्रखंड स्तर पर कमेटी बनायी गयी है। यह कमेटी प्रवासी मजदूरों का डाटाबेस तैयार करेगी, ताकि यह जानकारी मिलती रहे कि कितने मजदूर बाहर से आये हैं और पंचायत में पहुंचे हैं। जानकारी के अनुसार जितने भी लोग पंचायत में पहुंचे हैं, उनका मेडिकल सर्वे किया जा रहा है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि कितने लोग क्वारेंटाइन में हैं और कितने लोगों का क्वारेंटाइन 14 दिनों से अधिक हो गया है। सभी प्रवासी मजदूरों की दक्षता, शैक्षणिक योग्यता और अन्य जानकारियां जुटाने का अभियान युद्धस्तर पर शुरू कर दिया गया है, ताकि कोरोना संकट खत्म होने के तत्काल बाद काम शुरू किया जा सके। बता दें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के लिए दो महत्वाकांक्षी योजनाएं, बिरसा हरित ग्राम योजना तथा नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना शुरू करने की घोषणा की है। बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत पौधरोपण किया जाना है। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र में भूमि का चयन किया जा चुका है। इसके अलावा प्रवासी मजदूरों का श्रम निबंधन भी किया जा रहा है। मजदूरों की स्किल मैपिंग भी की जा रही है, जिससे भविष्य में उन्हें रोजगार दिया जायेगा।