रांची। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार से श्रमिक आयोग के गठन की मांग की है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि वापस लौटे श्रमिकों का जिलावार डाटा बने। बाबूलाल मरांडी ने शनिवार को कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के रूप में एक बड़ी चुनौती हम सब के समक्ष आई है। इस महामारी ने सालों-साल से चली आ रही तमाम व्यवस्था को खासकर आर्थिक व रोजगार के ढांचे को पूरी तरह अस्त-व्यस्त करके रख दिया है। अभी जो सबसे बड़ी समस्या सामने आ रही है वह प्रवासी मजदूरों को राज्य में ही रोजगार उपलब्ध कराने और उनका पलायन रोकने का है। मजदूर किसी भी प्रदेश के महत्वपूर्ण संसाधन होते हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार ने खुद माना है कि झारखंड के प्रवासी मजदूरों की संख्या 10 लाख से कहीं अधिक है। अभी तक इनकी संख्या का सही आकलन नहीं हो पाया है। पहले क्या हुआ, क्यों नहीं हुआ, इसकी विवेचना करने का यह उपयुक्त समय नहीं है। इससे इतर और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर प्रवासी मजदूरों का हित हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य सरकार को प्रवासी मजदूरों का उनकी दक्षता के साथ जिलावार एक डाटा तैयार करनी चाहिए। कहने का तात्पर्य है कि जो भी प्रवासी मजदूर लौटे हैं वे किस क्षेत्र में दक्ष हैं इसका पूरा विवरण तैयार करना होगा। रियल एस्टेट, आईटी व इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नीशियन, बिल्डिंग डेकोरेटर, केयरटेकर, चालक, ब्यूटीशियन, ऑटोमोबाईल, फर्नीचर के काम आदि में कितने लोग पारंगत हैं सभी का जिलावार डाटा तैयार हो। फिर उनके हिसाब से उनके हुनर के हिसाब से रोजगार सृजन करने की जरूरत है। सरकार चाहे तो पारंगत मजदूरों की ग्रेडिंग भी करवा सकती है।

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि जानकारी मिली है कि उत्तरप्रदेश सरकार ने कोरोना संकट में मजदूरों की पीड़ा और परेशानी को देखते हुए श्रमिक आयोग के गठन का निर्णय लिया है। यूपी सरकार मजदूरों को अपने प्रदेश में ही रोजगार मुहैया कराने, बीमा कवर देने सहित सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देने की दिशा में भी काम कर रही है। वर्तमान परिस्थिति के मद्देनजर यह प्रवासी मजदूरों के हित में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। हमें लगता है कि झारखंड सरकार को भी इसी तर्ज पर झारखंड श्रमिक आयोग का गठन करनी चाहिए।

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