रांची। झारखंड के बहुचर्चित शराब घोटाले को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर बड़ा हमला बोला है। मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर पूरे मामले की सीबीआइ जांच की मांग की है। मरांडी ने गुरुवार को लिखे अपने पत्र में आरोप लगाया है कि इस घोटाले में सैकड़ों करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है और इसमें निलंबित आईएएस अधिकारी, राज्य बेवरेज कॉरपोरेशन के शीर्ष अधिकारी और छत्तीसगढ़ के शराब माफिया शामिल हैं। उन्होंने नाम लेते हुए कहा कि निलंबित आईएएस विनय कुमार चौबे, पूर्व आईएएस अमित प्रकाश, जेएसबीसीएल के तत्कालीन महाप्रबंधक सुधीर कुमार दास, कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया और नकली होलोग्राम सप्लाई करने वाले विधू गुप्ता जैसे बड़े चेहरे इस घोटाले का हिस्सा रहे हैं।

मरांडी ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो(एसीबी) की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि एंटी-करप्शन ब्यूरो ने जानबूझकर समय पर चार्जशीट दाखिल नहीं की, जिसकी वजह से सभी मुख्य आरोपित अदालत से आसानी से जमानत पाने में सफल हो गए। मरांडी का कहना है कि यह कोई सामान्य चूक नहीं, बल्कि आरोपितों को बचाने की सुनियोजित साजिश है। उन्होंने लिखा है कि एसीबी में हाल ही में हुए संदेहास्पद तबादलों पर भी सवाल खड़े किए। मरांडी ने पूछा कि एसीबी से हटाए गए अफसर शराब घोटाले में किसके लिए काम कर रहे थे। उन्हें किसके इशारे पर एसीबी में पदस्थापित और फिर क्यों हटाया गया। वर्तमान में उन्हें कहां पदस्थापित किया गया है और किसके हित में काम कर रहे हैं। मरांडी ने कहा कि यह फेरबदल इस बात का संकेत है कि सरकार घोटाले की तह तक जाने के बजाय इसमें शामिल अपने करीबी अफसरों को बचाने में जुटी है।

उन्होंने मांग की कि पूरे शराब घोटाले और इसमें हुए राजस्व नुकसान की सीबीआइ जांच कराई जाए, एसीबी के उन अधिकारियों की भूमिका की जांच की जाए जिन्होंने चार्जशीट समय पर दाखिल नहीं की, एसीबी में हुए तबादलों के पीछे के कारणों, अफसरों की गतिविधियों और बेनामी संपत्तियों की भी जांच हो। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस मामले में तत्काल और ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह माना जाएगा कि इस महाघोटाले को मुख्यमंत्री का सीधा संरक्षण प्राप्त है।

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