वैश्विक महामारी कोरोना का संकट झारखंड में गहराने लगा है। पिछले 45 दिन में राज्य में संक्रमितों की संख्या दो सौ से पार पहुंच गयी है और आधे से अधिक जिलों में लोग इस खतरनाक संक्रमण की चपेट में आने लगे हैं। यह इस खूबसूरत और खनिज संपदा से भरपूर प्रदेश के लिए खतरे की घंटी है। राहत की बात इतनी ही है कि राज्य में इस संक्रमण से होनेवाली मौतों की संख्या बहुत कम है। लेकिन इससे खतरा कम नहीं हो जाता। देशव्यापी लॉकडाउन का तीसरा चरण अगले दो दिन में खत्म होने वाला है, लेकिन झारखंड की सवा तीन करोड़ आबादी को चौथे चरण के लिए भी तैयार हो जाना चाहिए, क्योंकि यहां अब संक्रमण के फैलने की रफ्तार तेज हुई है। बाहर से आनेवाले लोगों के जरिये यह महामारी झारखंड में पैर पसार रही है और इसे रोकने का एकमात्र उपाय लॉकडाउन का सख्ती से पालन करना ही है। झारखंड जैसे राज्य में यदि संक्रमण का सामुदायिक दौर शुरू हो गया, तो स्थिति बेकाबू हो जायेगी और पूरा प्रदेश तबाही की कगार पर पहुंच जायेगा, यह बात सरकार को, प्रशासन को और आम लोगों को समझ लेनी चाहिए। झारखंड का मर्ज लगातार बढ़ रहा है और इसे लॉकडाउन जैसी कड़वी दवा की जरूरत है। झारखंड में लॉकडाउन बढ़ाने के औचित्य को रेखांकित करती आजाद सिपाही ब्यूरो की खास रिपोर्ट।

झारखंड में कोरोना संक्रमण ने दोहरा शतक जमा लिया है। महज 45 दिन में ही संक्रमितों की संख्या दो सौ के पार पहुंच गयी है। राज्य के 24 में से आधे से अधिक जिलों में इस खतरनाक वायरस से संक्रमित मरीज मिल रहे हैं। यह इस राज्य के लिए वाकई चिंताजनक स्थिति है। हालांकि संतोष की बात यही है कि कोरोना के संक्रमण से राज्य में मौतों की संख्या नगण्य है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यहां की आबोहवा और यहां के लोगों में प्रतिरोधक क्षमता देश के दूसरे राज्यों के मुकाबले अधिक मजबूत है। लेकिन यह कहीं से भी खुश होनेवाली बात नहीं है।
कोरोना के कारण झारखंड समेत पूरा देश 25 मार्च से लॉकडाउन झेल रहा है। झारखंड में कोरोना का पहला मामला 31 मार्च को रांची में सामने आया था, लेकिन उसके बाद से यह लगातार बढ़ता जा रहा है। रांची के अलावा हजारीबाग, गिरिडीह, कोडरमा, बोकारो, धनबाद, देवघर, पलामू, गढ़वा, लातेहार और जमशेदपुर जिलों में कोरोना के संक्रमित मिल चुके हैं। राहत की बात यह है कि बोकारो, धनबाद और देवघर संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं, लेकिन रांची और दूसरे जिलों में जिस तरह मामले बढ़ रहे हैं, स्थिति गंभीर होती जा रही है। ऐसे में अब एकमात्र उपाय यही नजर आ रहा है कि झारखंड में लॉकडाउन को बढ़ाया जाये। देशव्यापी लॉकडाउन का तीसरा चरण अगले दो दिन में खत्म हो जायेगा, लेकिन झारखंड को अभी लंबा सफर तय करना है।
अब तक यह तो साफ हो गया है कि झारखंड में कोरोना का संक्रमण बाहर से ही आ रहा है। तबलीगी जमात की विदेशी महिला से हुई शुरुआत अब देश के दूसरे हिस्सों में फंसे लोगों के लौटने के साथ बढ़ने लगी है। इस पर तत्काल लगाम लगाने की जरूरत है। लेकिन अफसोस इस बात का है कि अब भी झारखंड के लोगों को स्थिति की गंभीरता का अंदाजा नहीं है। लोगों को यह समझना होगा कि यदि झारखंड में संक्रमण का सामुदायिक विस्तार शुरू हो गया, तो स्थिति बेकाबू हो जायेगी। एक बार यदि यह संक्रमण गांवों तक पहुंच गया, तो फिर झारखंड को बचाने का कोई रास्ता नहीं बचेगा। यह निराशावादी नजरिया तो है, लेकिन हकीकत है। झारखंड के पास न तो संसाधन है और न सुविधा। ऐसे में यदि संक्रमितों की संख्या इसी तरह बढ़ती रही, तो फिर उनका इलाज भी संभव नहीं हो सकेगा। इसलिए लोग जितनी जल्दी सतर्क हो जायें, उतना ही अच्छा होगा।
सरकार और प्रशासन के स्तर पर भी अब सख्त रवैया अपनाने की जरूरत है। लोग जिस तरह लॉकडाउन का उल्लंघन कर रहे हैं और समूह में जमा हो रहे हैं, संक्रमण के फैलने का खतरा उतना ही बढ़ता जा रहा है। पवित्र रमजान के महीने में सामूहिक इफ्तार की खबरें भी आयी हैं, जिसमें प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के शामिल होने की बात सामने आयी है। यह लॉकडाउन के निर्देशों का सरासर उल्लंघन तो है ही, समाज को खतरे में डालने का प्रयास भी है। ऐसे अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। धार्मिक आयोजन तो बाद में भी होते रहेंगे। हमें यह समझना होगा कि जिस तरह सरहुल और रामनवमी की परंपरा को इस साल तोड़ा गया, क्या झारखंड को बचाने के लिए रमजान और दूसरे त्योहारों की परंपरा को स्थगित नहीं किया जा सकता है। समाज के सभी वर्गों और संप्रदायों को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा और झारखंड को बचाने के लिए आगे आना होगा।
यह भी एक हकीकत है कि कोरोना का संक्रमण रोकने में आम लोगों की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण है। बाहर से आनेवाले लोगों की सूचना देना और उन्हें समुचित जांच के लिए प्रस्तुत करना सभी का कर्तव्य है। जांच रिपोर्ट आने तक सभी को एकांतवास में रहना जरूरी है, ताकि सामुदायिक संक्रमण की किसी भी आशंका को दूर किया जा सके। सरकार और प्रशासन के लिए भी अब यह जरूरी हो गया है कि वह सख्ती से लॉकडाउन का पालन कराये। किसी भी प्रकार के सामूहिक आयोजन को सख्ती से रोका जाये, चाहे वह धार्मिक हो या सामाजिक। जब तक प्रशासन सक्रिय नहीं होगा और लोग नहीं समझेंगे, कोरोना के खिलाफ जंग में अब तक की गयी मेहनत पर पानी फिर जायेगा।
इसलिए झारखंड में लॉकडाउन को बढ़ाया ही जाना चाहिए, ताकि लोगों को घरों से बाहर निकलने से रोका जा सके। बहुत से लोगों को इस नजरिये से इत्तेफाक नहीं होगा, लेकिन गंभीर होते मर्ज को ठीक करने के लिए अब इसी कड़वी दवा की जरूरत है। यदि झारखंड में लॉकडाउन नहीं बढ़ाया गया, तो यकीन मानिये, कोरोना इसे तबाही की कगार पर लाकर खड़ा कर देगा। तब हमारे सामने हाथ मलने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा। इसलिए हमें लॉकडाउन के चौथे और सबसे सख्त चरण के लिए तैयार रहना चाहिए। राज्य सरकार के लिए भी यह एक कड़वा और अलोकप्रिय फैसला होगा, लेकिन आज झारखंड को इसी फैसले की जरूरत है।

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