कोरोना महामारी को लेकर जहां पूरा देश एकजुट होकर लड़ रहा है। हर कोई एक दुसरे की मदद के लिए आगे आ रहा है। कोई गरीबों को खाना खिला रहा है तो कोई मास्क और सेनेटाइजर बांट रहा है। हर कोई अपने-अपने सामर्थय के हिसाब से लोगों की मदद कर रहा है। इसी बीच केंद्र सरकार ने सभी नीजि कंपनियों को हिदायत दी की छोटे-छोट कर्मचारियों का ख्याल रखें उन्हें नौकरी से ना निकालें वहीं दुसरी ओर बाहर फंसे मजदूरों को उनके राज्य में पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने रेल किराये का सारा खर्च मजदूरों से वसूलने का फैसला लिया। इस पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गयी है और अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसको लेकर बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी सभी जरूरतमंद मजदूरों के रेल टिकट का खर्च उठाएगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फैसला लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई श्रमिक-कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा के टिकट का खर्च उठाएगी और जरूरी कदम उठाएगी। सोमवार को जारी किये गये एक बयान में कहा गया है कि सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन लागू होने की वजह से देश के मजदूर अपने घर वापस जाने से वंचित रह गये।
सोनिया गांधी ने बयान में कहा कि जब हम लोग विदेश में फंसे भारतीयों को बिना किसी खर्च के वापस ला सकते हैं, गुजरात में एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये खर्च कर सकते हैं, अगर रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री राहत कोष में 151 करोड़ रुपये दे सकता है तो फिर मुश्किल वक्त में मजदूरों के किराये का खर्च क्यों नहीं उठा सकता है?
गौरतलब है कि 24 मार्च को जब लॉकडाउन लागू हुआ था, तब लाखों की संख्या में मजदूर जहां थे वहीं फंसे रह गये। उसके बाद करीब 40 दिन के बाद जब राज्य सरकारों के निवेदन पर मजदूरों को घर भेजने के लिए केंद्र सरकार ने इसके लिए स्पेशल ट्रेन की मंजूरी तो दी लेकिन साथ में उनसे रेल किराया भी वसूलने की बात कह डाली। यह कहीं से भी सही नहीं है।
बता दें कि रेल मंत्रालय के इस फैसले की काफी आलोचना की गई है, ना सिर्फ राजनीतिक दल और राज्य सरकारों ने इसका विरोध किया है बल्कि सोशल मीडिया पर भी इसकी आलोचना हुई है।

http://azadsipahi.com/05/2020/railways-said-only-15-percent-of-the-money-is-being-charged-from-the-state-governments-on-fares.html

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