नयी दिल्ली। शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘जब केदारनाथ का पुनर्निर्माण का काम शुरू हुआ तो मेरे लिए हर बार वहां जाना संभव नहीं था। ऐसे में मैं आॅफिस से ही लगातार रिव्यू मीटिंग करता था। उसी में केदारनाथ में कैसे काम चल रहा है, कितनी तेजी से चल रहा हैं, मैं वहां से ड्रोन के द्वारा लगातार मॉनिटर करता था।’
पीएम ने कहा कि आज सरकारी कामों की गुणवत्ता को भी देखना है और मैं बता दूं कि इंसपेक्शन के लिए जाना है तो मेरे पहुंचने से पहले वहां सबकुछ ठीक-ठाक हो ही जाएगा। लेकिन अब उन्हें पता भी नहीं चलता है और ड्रोन के जरिए मैं सब देख लेता हूं। उन्होंने कहा, ‘जरूरी नहीं है कि मैं पहले से बता दूं कि मुझे वहां निरीक्षण के लिए जाना है। फिर तो सबकुछ ठीकठाक हो ही जाएगा। मैं ड्रोन भेज दूं तो पता वही लेकर आ जाता है। उनको पता भी नहीं चलता कि मैंने जानकारी ले ली है।’
पीएम मोदी ने कहा कि पहले की सरकारों के समय तकनीक को समस्या का हिस्सा समझा गया, उसको गरीब विरोधी साबित करने की कोशिशें हुईं. इस कारण 2014 से पहले गवर्नेंस में टेक्नॉलॉजी के उपयोग को लेकर उदासीनता का वातावरण रहा. इसका सबसे अधिक नुकसान गरीब, वंचितों, मध्यम वर्गों को हुआ.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पहले की सरकारों के समय तकनीक को समस्या का हिस्सा समझा गया. उसको गरीब विरोधी साबित करने की कोशिशें हुईं. इस कारण 2014 से पहले गवर्नेंस में गुणवत्ता के उपयोग को लेकर उदासीनता का वातावरण रहा. इसका सबसे अधिक नुकसान गरीब, वंचितों, मिडिल क्लास को हुआ.
पीएम ने कहा कि जब केदारनाथ के निर्माण का काम शुरू हुआ था तो हर बार मेरे लिए वहां जाना संभव नहीं था. तो मैं ड्रोन के जरिए केदारनाथ के काम का निरीक्षण करता था. मैं बता दूं कि मुझे वहां निरीक्षण करने कि लिए जाना है तो फिर वहां सब ठीक-ठाक हो ही जाएगा. मैं ड्रोन भेज दूं तो जानकारी वह लेकर आ जाता है और उन्हें पता भी नहीं चल पाता है कि मैंने जानकारी ले ली है।

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